पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को समर्पित मेरी एक कविता उन्हें अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि

पवित्र आत्मा चली गई धरती अब पावन कैसे हो*

गीत नया क्या गाऊं आज कलम चली ना जाए
रूठ गए वो टूट गई है सपनों की व्यवसाय,

 आज नहीं तो कल मिलेंगे सोचे निस दिन रैन
चिर निद्रा में लिपटे हुए दर्शन बड़े बेमेल,

देख ना पायी जीवंत तुमको दुख ये बहुत रहेगा
आज नहीं तो कल हठधर्मी तुमसे यही कहेगा

छोड़ वो लोक पराया वापस तुम आ जाओ
देखो जनता कहती तुमसे देश की लाज बचाओ

उठो चिता से शक्तिमान हो बल ओजस्वी लाओ
मोदी पड़े अकेले आकर उनका हाथ बटांओं

देश पुकारे आज तुम्हें तो मौन धरे हो क्यूँ तुम
लोकसेवा धर्म है पहले कैसे पीछे हो तुम

ईश्वर तेरे हाथों ये कौन सा खेल रचा है
आज हमारी धरती से फिर एक नूर गया है

अब जो स्वर्ग गए हो तो इतना ‘स्वस्ति’ करना
वाणी से अमृत लेकर मुट्ठी भर वितरण करना

धरती को पावन करना धरती को पावन करना।

       – स्वस्ति त्रिपाठी

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