‘बस, पीरियड ही तो है’, स्‍टेफ्री ने भारत के परिवारों से कहा

Edit-Rashmi Sharma

जयपुर 01 जून 2020 – वर्ल्‍ड मेंस्‍ट्रुअल हाइजीन डे के अवसर पर, स्‍टेफ्री® ने एक नया डिजिटल वीडियो रिलीज किया है। इस वीडियो के जरिए परिवारों से अपील की गई है कि वो माहवारी (पीरियड) के बारे में बातचीत करने के अपने तरीके में बदलाव लाएं। भारत की लगभग 2 मिलियन लड़कियों की पहली माहवारी (पीरियड) लॉकडाउन[1] के दौरान आई होगी। इस आधार पर बना, स्‍टेफ्री का #ItsJustAPeriod परिवारों को प्रोत्‍साहित करता है कि वो माहवारी (पीरियड) के बारे में सकारात्‍मक व खुला नजरिया अपनाएं ताकि संबंधित किशोरी को इस बारे में जानकारी रहे और वो आत्‍मविश्‍वास व सहयोगपूर्ण तरीके से इस नये अनुभव का सामना करे।

साथ ही, यह सुनिश्चित करने हेतु कि परिवारों में लड़कियों के साथ सहज ढंग से इस बारे में बात हो, स्‍टेफ्री® ने मेंस्‍ट्रुपेडिया के साथ भी सहयोग किया है। यह प्‍लेटफॉर्म पीरियड को लेकर लड़कियों के लिए एक सहेलीनुमा गाइड है, जो बताता है कि माहवारी (पीरियड्स) क्‍या है और उसे बेहतर तरीके से कैसे संभाला जाये।

यह एक संसाधन के रूप में परिवार के साथ पीरियड्स के बारे में पहली बार बेहिचक बात करने में भी सहायक है।

https://www.menstrupedia.com/quickguide/parents

यह वीडियो सभी सोशल प्‍लेटफॉर्म्‍स पर लॉन्‍च किया गया:

यूट्यूब: https://www.youtube.com/watch?v=1loAM4QG134

फेसबुक: https://www.facebook.com/StayfreeIndia/videos/190352278826520/

इंस्‍टाग्राम: https://www.instagram.com/p/CAvCqQupA4h/?igshid=w832sjpwz274

 

भारत में हर वर्ष लगभग 15 मिलियन लडकियों1 का रजोदर्शन (मेनार्की) होता है, फिर भी उनमें से 71 प्रतिशत से अधिक को उनकी  रजोदर्शन हर वर्ष माहवारियों2 से पहले मासिक धर्म के बारे में पता ही नहीं होता है। उन्‍हें इस बारे में जानकारी प्राय: उनकी शिक्षकों और सहेलियों से मिलता है – लेकिन लॉकडाउन के चलते स्‍कूल बंद होने के चलते उन्‍हें इस बारे में जानकारी प्रदान करने वाले साधन सीमित हो गये हैं।

जॉन्‍सन एंड जॉन्‍सन कंज्‍यूमर डिविजन, भारत के वाइस प्रेसिडेंट मार्केटिंग, मनोज गडगिल ने बताया, ”यह वर्ल्‍ड मेंस्‍ट्रुअल हाइ‍जीन डे हम सभी को याद दिलाता है कि हर लड़की की पहली माहवारी के अनुभव को एक सामान्‍य जैविक घटना के रूप में बताने की जिम्‍मेवारी हम सभी की है। और इस महामारी के दौरान स्‍कूल बंद होने के चलते उनकी शिक्षिकाओं से उनके संपर्क के अभाव में, परिवार इस दिशा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और उन्‍हें निभाना होगा। आज, उस दिशा में जागरूकता पैदा करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया गया है और स्‍टेफ्री® इस सफर में लड़कियों व उनके परिवारों की सहायता करने के लिए कृतसंकल्‍प है।“This World.

इस अभियान का फोकस इस बात को प्रचारित करना है कि अवधि की बातचीत आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लड़कियां अकेले पीरियड के साथ अपने पहले अनुभव से न गुजरें। यह अभियान प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपनी बेटियों या बहनों के साथ महत्वपूर्ण अवधि की बातचीत को स्वतंत्र रूप से शुरू करने के लिए एक आइस-ब्रेकर के रूप में काम करेगा। माता-पिता, दादा-दादी और यहां तक ​​कि भाई-बहन भी अब जानकारी साझा करने, अनुभव को सकारात्मक बनाने में मदद कर सकते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करें कि किसी भी लड़की को कभी भी अपने पीरियड्स पर शर्म महसूस न करें।

1 भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में कराई गई जनगणना के आंकडों पर आधारित –

 

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