नफरत की आग को रोकने का नया तरीका – रोशन झा  

Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 02 जुलाई 2020 – सोशल मीडिया पर बड़ी कंपनियां विज्ञापन रोक नफरत फैलाने के संदेशों के खिलाफ दबाव बनाएगी
दुनिया भर में सोशल मीडिया पर जाति नस्लें क्षेत्रीयता और धर्म की नफरतों के संदेश रोकने के लिए सोशल मीडिया को विज्ञापन देने वाली कंपनियां अपने विज्ञापन रोक कर सोशल मीडिया को लगाम लगाना चाहती है। कोका-कोला कंपनी ने घोषणा की है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर “हेट स्पीच” को लेकर दबाव बनाने के लिए वो कम से कम 30 दिनों के लिए इन प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन नहीं देगी।
कोकाकोला निर्माता कंपनी के चेयरमैन और सीईओ जेम्स क्विन्सी ने कहा, “दुनिया में नस्लवाद के लिए कोई जगह नहीं है। सोशल मीडिया पर नस्लवाद के लिए भी कोई जगह नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने सोशल मीडिया कंपनियों से ‘अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता’ की मांग की है। यह घोषणा फ़ेसबुक के उस बयान के बाद हुई है जब उसने कहा था कि वो न्यूज़ वैल्यू के हिसाब से किसी पोस्ट को ख़तरनाक या भ्रामक घोषित करेगा। फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने कहा है कि वो उन विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित करेंगे जिनमें ‘विभिन्न नस्लों, राष्ट्रीयता, धर्म, जाति, लिंग या प्रवासियों’ को लेकर ख़तरा होगा। “स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट” अभियान के आयोजकों ने फ़ेसबुक पर नफऱत भरे संदेशों और ग़लत सूचनाओं को न रोकने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ‘कम संख्या में कम बदलाव समस्या का समाधान नहीं कर सकता है।
“स्टॉप हेट फॉर प्रॉफिट” के समर्थन में 90 से अधिक कंपनियां अपने विज्ञापन रोक चुकी हैं। जबकि कोका-कोला ने सीएनबीसी से कहा है कि उसका विज्ञापन स्थगित करने का मतलब यह नहीं है कि वो इस अभियान का समर्थन कर रहा है। क्विंन्सी ने कहा कि कंपनी का वैश्विक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर विज्ञापन रोकने के बाद वह अपनी विज्ञापन नीतियों पर फिर से विचार करेगा। ज़करबर्ग की घोषणा के बाद कपड़ा निर्माता लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी ने कहा है कि वह फ़ेसबुक पर विज्ञापन रोक रही है। कोका-कोला से अलग इसने सोशल मीडिया कंपनी पर बहुत कुछ न करने का आरोप लगाया है। कंपनी के सीएमओ जेन ने कहा, “हम फ़ेसबुक से कह रहे हैं कि वो निर्णायक बदलाव का वादा करे।” उन्होंने आगे कहा कि “हम ग़लत सूचना और नफऱत भरी भाषा को ख़त्म करने की दिशा में सार्थक प्रगति देखना चाहते हैं। मतदाताओं को प्रभावित करने वाले राजनीतिक विज्ञापनों और सामग्री से बेहतर तरीक़े से निपटने में हम प्रगति देखना चाहते हैं। साथ ही हम फ़ेसबुक की प्रशंसा करते हैं कि उन्होंने इस दिशा में कुछ क़दम उठाएं हैं लेकिन वो नाकाफ़ी हैं।”

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