Prashant Agarwal, President, Narayan Seva Sansthan

कैसे रोजगार बाजार में क्रांति ला सकता है स्कूलों में छात्राओं का बेहतर कौशल प्रशिक्षण

Edit-Rashmi Sharma
जयपुर 14 अगस्त 2020 – आंकड़े अपनी कहानी खुदकहते हैं! ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआइएसएचई) के अनुसार, 993 विश्वविद्यालयों में से16विश्वविद्यालय खासतौर से छात्राओं के लिए हैं, राजस्थान में 3, तमिलनाडु में 2, आंध्र प्रदेश औरप्रत्येक राज्य में एक जैसे असम, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल स्थापित की गई है।
इसके अतिरिक्त, 2011-12 से 2017-18 तक एआईएसएचई, एमएचआरडी (तालिका 1) द्वारा प्रकाशित उच्च शिक्षा केआंकड़े ध्यान देने योग्य वृद्धिशील नामांकन प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। छह वर्षोंमें उच्च शिक्षा के लिए कुल दर्ज पुरुषों की संख्या में लगभग 30.3 लाख, 18.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई,जबकि नामांकितछात्राओं की संख्या में 44.3 लाख की वृद्धि हुई, जो 34 प्रतिशत है।प्रशांत अग्रवाल, अध्यक्ष, नारायण सेवा संस्थान ने कहा कि “यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, भारतीय शिक्षा प्रणालीमें भले ही अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ सैद्धांतिक शिक्षा प्रदान करने की अटूटक्षमता है, फिर भी यह प्रगति के लिए एक व्यवहार्य उत्प्रेरक में बदलने में सक्षम नहीं है,यानी कि यह आगे चलकर व्यावहारिक रूप से अधिक काम नहीं आ पाती। यह एक प्रमुख कारण है कि वर्तमान मेंकई उद्योगों में कर्मचारियों की मांग तो है लेकिन उसके लिए उपयुक्त क्षमता वालेलोग नहीं मिल रहे, हम मांग-कौशल की खाई से जूझ रहे हैं।”यह ठीक है कि भारत में कुछ बेहतरीन शैक्षणिक संस्थानों से प्रतिभा का एक बड़ापूल तैयार हो रहा है लेकिन उद्योगों में काम करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयारकर्मचारियों की कमी है। इसके अलावा, लैंगिक विभाजन के कारण, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में,लड़कियों को अक्सरअपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद एक अंशकालिक नौकरी से अपनी आजीविका अर्जितकरना मुश्किल होता है क्योंकि उनमें अपेक्षित रोजगार कौशल सेट की कमी होती है।अध्यक्ष, नारायण सेवा संस्थान ने कहा कि इस बड़ी खाई को पाटने के उपाय के रूप में,अक्टूबर 2019 में, दिल्ली सरकार ने स्कूलजाने वाली लड़कियों के लिए साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ के लिए ‘एसटीईएम’ नामक एक मोबाइल-लर्निंग ऐप काअनावरण किया। इस कदम का उद्देश्य लैंगिक असमानताओं को दूर करना और बालिका शिक्षाको प्रोत्साहित करना था। हालांकि, जहां तक रोजगार का सवाल है, बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण(पीएलएफएस) 2017-18 के उपलब्ध आंकड़ों में कहा गया है कि भारत के 33 फीसदी कुशल युवा बेरोजगार हैं।इसके अलावा, केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता रिपोर्ट के अनुसार भारत का 4.69 प्रतिशत कार्यबल केवलऔपचारिक रूप से कुशल है।
इस तरह के निराशाजनक आंकड़ों को संज्ञान में लेते हुए, सरकार, शिक्षा और उद्योग इस परिदृश्य कोदूर करने के लिए कई उपाय और कार्यक्रम शुरू कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, सीबीएसई बोर्ड से जुड़ेस्कूल अपनी छात्राओं को कक्षा छह से 11वीं तक के लिए मुफ्त स्किलिंग पाठ्यक्रम प्रदान कररहे हैं। वर्तमान में 2020-21 बैचों के लिए 12 घंटे की अवधि का कौशल प्रशिक्षण चल रहा है।सीबीएसई बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे कौशल आधारित पाठ्यक्रमों में मास मीडिया,आर्टिफिशियलइंटेलिजेंस, बैंकिंग एंड इंश्योरेंस, हेल्थ केयर, ट्रैवल एंड टूरिज्म, आईटी, ब्यूटी एंड वेलनेस, मार्केटिंग, एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल डिजाइन,योग, फैशन

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