Jaipur Literature Festival

“वर्ड्स आर ब्रिजिस” जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का शब्द-सेतु – भाषाई विविधता का उत्सव

Edit – Dinesh Bhardwaj

जयपुर 06 अगस्त 2020 – आइकोनिक जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रोडूसर, टीमवर्क आर्ट्स ने हाल ही में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल वर्ड्स आर ब्रिजिस का विमोचन किया है| ‘वर्ड्स आर ब्रिजिस’ एक ऑनलाइन सीरिज है, जिसके माध्यम से भारत की भाषाई विविधता के साथ साहित्यिक-संपन्नता को पाठकों और श्रोताओं तक पहुँचाने का प्रयास है| विभिन्न भाषाओँ के प्रमुख लेखकों और अनुवादकों से सजी इस सीरिज की संरचना प्रमुख प्रकाशक हार्परकोलिन्स इंडिया की साझेदारी से तैयार की गई है|

लॉन्च के महीने भर बाद ही सीरिज अपने श्रोताओं के बीच खासी लोकप्रिय हुई है, जिसमें अब तक प्रसारित पांच एपिसोड में असमिया, बंगाली, मराठी और पंजाबी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखकों और उनके प्रतिभाशाली अनुवादकों को शामिल किया गया| आगे आने वाले एपिसोड में हमारे समय के महानतम कवियों और उपन्यासकारों में से एक विनोद कुमार शुक्ल के जीवन और कार्य पर चर्चा की जाएगी| जड़ों से जुड़े उनके लेखन में जहां स्थानीय समाज और यथार्थ उभरकर आता है, वहीं अर्थ के दृष्टिकोण से वह जादुई और भौगोलिक है। उनकी लेखन कला अद्वितीय है और कल्पनाशक्ति सीमातीत। सत्ती खन्ना ने शुक्ल जी की अनेकों रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद किया है| अनुवाद के अपने अनुभव और चुनौती के विषय में वो लेखिका और अनुवादक मोहिनी गुप्ता से बात करेंगे|

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक और प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले ने इस अवसर पर कहा, “हमें ख़ुशी है कि श्री विनोद कुमार शुक्ल, सत्ती खन्ना और मोहिनी गुप्ता जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रेरक एडिशन ‘वर्ड्स आर ब्रिजिस’ में हमारे साथ जुड़े हैं| इस महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफार्म पर हम बहुत से प्रतिष्ठित लेखकों और अनुवादकों की मेजबानी कर चुके हैं| इसके माध्यम से हम साउथ एशिया की विविध भाषाओँ और साहित्य को व्यापक स्तर पर पाठकों तक पहुँचाना चाहते हैं|”

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का ‘वर्ड्स आर ब्रिजिस’ एक प्रयास है, एक शब्द-सेतु है जो विभिन्न समुदायों और साहित्य को एक-दूसरे के करीब लेकर आएगा| हाल ही में आयोजित एक सत्र में बेस्टसेलिंग लेखिका और मानव अधिकार कार्यकर्त्ता तसलीमा नसरीन और जाने-माने अनुवादक अरुनाव सिन्हा ने तसलीमा की किताब ‘बेशर्म’ पर चर्चा की| ‘बेशर्म’ उनकी बहुचर्चित किताब ‘लज्जा’ का ही दूसरा भाग है| एक अन्य सत्र में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित अरुपा पटंगिया कलिता के उपन्यास के माध्यम से असम के दशकों पुराने नफरत भरे इतिहास को खंगाला गया| कलिता के साथ संवाद किया लेखिका रंजीता बिस्वास और अरुनि कश्यप ने| इस सीरिज के तहत जॉय गोस्वामी, नवदीप सूरी, रंजित होस्कोटे, रीटा कोठारी, सम्पूर्णा चटर्जी और विक्रांत पांडे जैसे नामी लेखक और अनुवादक मंच की शोभा बढ़ा चुके हैं|

इस सीरिज का अगला एपिसोड 6 अगस्त, गुरुवार को शाम 7 बजे फेस्टिवल के ‘हैंडल्स’ पर ऑन एयर होगा| पिछले सत्रों का टेलीकास्ट और आने वाले सत्रों की पूरी लिस्ट आप #JaipurLitFest के माध्यम से FacebookTwitter और YouTube सोशल मीडिया पेज पर देख सकते हैं|

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