ब्रह्म में रमण ही ब्रह्मचर्य – आर्यिकाश्री 105 विज्ञानमति माताजी

Edit- Swadesh Kapil

तिजारा (अलवर), 1 सितम्बर 2020। दशलक्षण पर्व की शृंखला में आज अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर देहरा तिजारा में विराजमान परम पूज्य आर्यिकाश्री 105 विज्ञानमति माताजी ने अपने संदेश में कहा कि दसलक्षण पर्व उत्तम साधना का पर्व है। इसके 10 धर्म, 10 कल्पतरू की तरह हैं जो हमें जीवन में सबकुछ देते हैं और अंत में हमें मोक्ष की राह भी बताते हैं। उन्होंने कहा कि आज का दिन उत्तम ब्रह्मचर्य का दिन है।

पूज्य आर्यिका माताजी ने बताया कि ब्रह्म में रमण करना ही ब्रह्मचर्य है अर्थात आत्मा में ही रम जाना और परमात्म पद की प्राप्ति के लिए शास्त्रोक्त उपाय करना। जिनागम के अनुसार, भगवान महावीर के द्वारा बताई गई वाणी का उनके उनके सिद्धांतों का पालन करना ही जैनधर्म का सार है। ये उद्गार माताजी ने देहरा जैन मंदिर में दिए। उन्होंने यह मंगलकामना की कि लॉकडाउन के चलते समूचे देश के श्रावकों ने अपने घर पर रहकर ही सभी प्रकार की भक्ति, व्रत, उपवास आदि किए हैं, अतः बाबा चन्द्रप्रभु उन्हें शक्ति दें और उनका भविष्य उज्जवल हो।

सायंकाल बेला में प्राणिमात्र के प्रति दया और क्षमा का भाव रखते हुए सामयिक, प्रतिक्रमण भी हुआ। देहरा प्रबंध कारिणी समिति के मंत्री भाई अंकुश जैन रॉकी ने बताया कि चतुर्मास में माताजी की मौन साधना से उनकी चर्या,उनके उपदेश से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला है। हमारी समिति और जैन समाज तिजारा सदा-सदा विज्ञान मति माताजी की ऋणी रहेगी। इस मौके पर विजय जैन,नरेंद्र जैन,संजय जैन,रमेश शास्त्री और डॉ कमलेश वसंत मौजूद थे।

About Manish Mathur