दर्शकों ने अरेबिक, पर्शियन और उर्दू कैलीग्राफी के गुर सीखे

Edit-Dinesh Bhardwaj

जयपुर 10 सितंबर 2020 – ऑनलाइन लर्निंग क्लासेस ‘बीजाक्षर’ के दूसरे दिन, जेकेके के फेसबुक पेज पर ‘द आर्ट ऑफ कैलीग्राफी’ (अरेबिक, पर्शियन और उर्दू) सेशन प्रदर्शित किया गया। क्लास का संचालन कैलीग्राफी कलाकार खुर्शीद आलम ने किया। इस कार्यक्रम का आयोजन कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा जेकेके और अरेबियन एवं पर्शियन रिसर्च संस्थान, टोंक के सहयोग से किया गया।

क्लास की शुरुआत अरेबिक, पर्शियन और उर्दू कैलीग्राफी के संक्षिप्त परिचय के साथ हुई। कलाकार ने ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध कैलीग्राफी मास्टर्स के कार्यों के बारे में बताया, जिन्होंने सुंदर लेखनकला की दुनिया में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इन मास्टर्स में इब्न   अल-बाव्वाब, याक़ुत अल-मुस्तासिमी, अब्दुल राशिद डेलमी, एजाज़ रक़म शम्सुद्दीन सहित अन्य शामिल हैं। मास्टर कैलीग्राफर, मीर अली तबरेज़ी के महत्वपूर्ण योगदान के बारे में उन्होंने  बताया कि मीर अली तबरेज़ी पर्शियन कैलीग्राफी के मास्टर थे जो कि आज भी उर्दू कैलीग्राफी के लिए कई कैलीग्राफर्स द्वारा उपयोग किया जाता है।

कलाकार ने अरेबिक, पर्शियन और उर्दू कैलीग्राफी की विभिन्न शैलियों को पेश किया। जिसमें खत-ए-सुलुस, खत-ए-रूकाह, खत-ए-नस्तलीक, खत-ए-दीवानी और खत-ए-नस्क शामिल थे। सेशन के दौरान, उन्होंने यह भी बताया कि विभिन्न लेखन शैलियों के लिए लेखन उपकरण बनाने के लिए ‘रीड पेन’ कैसे काटे जाते हैं। इस प्रकार की कैलीग्राफी के लिए तैयार इंक काजल, गोंद और पानी का उपयोग करके बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि कैलीग्राफी  के लिए स्टोर से खरीदी गई विभिन्न रंगों की इंक का भी उपयोग किया जा सकता है। कलाकार ने अरेबिक, पर्शियन और उर्दू लिपि लिखने, पेन होल्डिंग तकनीक, राइटिंग मूवमेंट, विभिन्न अक्षरों के माप का विश्लेषण, मोटे से पतले स्ट्रोक के लिए पेन का अभ्यास और शेप्स के माध्यम से लैटर्स लिखने के तरीकों को चरणबद्ध  दिखाया।

गुरूवार, 10 सितंबर का कार्यक्रम

गुरूवार, 10 सितंबर को ऑनलाइन लर्निंग क्लासेस ‘बीजाक्षर’ का समापन ‘आर्ट ऑफ बुकबाइडिंग’ सेशन के साथ होगा, जिसका संचालन राजेंद्र कुमार करेंगे।

उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन लर्निंग सेशन जेकेके के फेसबुक पेज https://www.facebook.com/jawaharkalakendra.jaipur/ पर उपलब्ध होगा

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