फेस्टिव सीजन से पहले आये फाइनेंस ने एमएसएमई को लोन वितरण दोबारा शुरू किया

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 06 अक्टूबर 2020 – भारतीय रिजर्व बैंक में एनबीएफसी के तौर पर रजिस्टर्ड आये फाइनेंस ने ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित क्षेत्र माइक्रो एंटरप्राइजेस के लिए किफायती ऋण को हकीकत बना दिया है। इसने 2015 में राजस्थान ऑपरेशंस की शुरुआत की और तब से राज्य में जमीनी स्तर पर कारोबार कर रहे लाखों कारोबारियों को विकास के लिए कस्टमाइज बिजनेस लोन प्रदान किया है।

देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भारत के बढ़ते एमएसएमई सेक्टर के लिए क्रेडिट आसान बनाने के विजन से प्रेरित आये फाइनेंस अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह समर्पित है और इसकी सक्सेस स्टोरी भी अब तक बेहद प्रभावी रही है। कंपनी की राजस्थान में 16 और पूरे भारत में 173 शाखाएं हैं और इसमें 3200 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। अपनी स्थापना के बाद से आये फाइनेंस ने 2,30,000 से अधिक माइक्रो एंटरप्राइजेस को 3000 करोड़ रुपए से अधिक के बिजनेस लोन प्रदान किए हैं।

देशभर के माइक्रो एंटरप्राइजेस को फंड्स का निरंतर फ्लो उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, खासकर फेस्टिव सीजन के दौरान, प्रमुख एमएसएमई लैंडर ने अब उस सेग्मेंट को लोन देना शुरू कर दिया है जिसे औपचारिक रूप से लोन देने वाले चैनलों ने नजरअंदाज किया था। आये फाइनेंस के किफायती बिजनेस लोन एमएसएमई को कारोबार की निरंतरता को बनाए रखने में मदद करेंगे जो महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन की वजह से वे गंवा चुके हैं।

आये फाइनेंस के प्रबंध निदेशक संजय शर्मा ने सेग्मेंट में लैंडिंग दोबारा शुरू करने के अवसर पर कहा, “एमएसएमई महामारी और उसकी वजह से आर्थिक माहौल में आए व्यवधानों के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इन बिजनेस को दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए फंड्स तक नियमित पहुंच को आसान पहुंच बनाना अधिक महत्वपूर्ण है। इसके अलावा फेस्टिव सीज़न के दौरान बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए एमएसएमई को अब पहले से कहीं अधिक फंड्स की आवश्यकता है। हमारा उद्देश्य दुनिया को धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापस लाने में उसकी मदद करना है।”

भारत में माइक्रो एंटरप्राइज को लोन देने के लिए ही आये फाइनेंस की स्थापना की गई थी और अब इन कारोबारों को “फाइनेंशियल सपोर्ट से परे” सहायता प्रदान करने के लिए अपनी नॉट-टू-प्रॉफिट कंपनी फेम (फाउंडेशन फॉर एडवांसमेंट ऑफ माइक्रो एंटरप्राइजेज) की शुरुआत की है। यह राज्य के डेयरी किसानों सहित माइक्रो एंटरप्राइज को अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी में सुधार करने, अपने उत्पादों को बेचने के लिए वैकल्पिक चैनल तलाशने और अपने पशुधन को बेहतर ढंग से मैनेज करने व उत्पादन में सुधार के लिए एडवायजरी प्रदान करने में मदद कर रहा है।

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