NRI चायवाला आत्मनिर्भर भारत का एक स्तम्भ

Editor-Manish Mathur
जयपुर 25 दिसंबर 2020, कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बशर्ते उसे पूरी शिद्दत व ईमानदारी से किया जाए, तो एक दिन ऊंचा मुकाम जरूर हासिल होता है। इस बात को मयूर विहार फेज एक निवासी एनआरआइ चायवाले जगदीश कुमार ने साबित कर दिखाया है। न्यूजीलैंड में बड़े बड़े रेस्तरां में काम करने वाले जगदीश सिंह स्टार्ट अप इंडिया से प्रेरित होकर 2018 में भारत आ गए और यहां आकर चाय का उद्योग शुरू किया। हालांकि कोरोना काल में उनका काम बंद पड़ा है लेकिन उनके हौंसले अब भी बुलंद हैं। वह अपनी परवाह न कर जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर काम कर रहे हैं।
ऐसे बन गए जगदीश एनआरआइ चायवाले
जगदीश ने बताया कि उन्हें विदेश जाकर चाय की बहुत अधिक जानकारी हो गई थी तो उन्होंने भारत में भी चाय का उद्योग शुरू करने का विचार बनाया, लेकिन उन्हें किसी बड़े उद्योगी से मदद नहीं मिल सकी। इसके बाद उन्होंने नागपुर में एक छोटे से चाय के स्टॉल के साथ अपने काम की शुरूआत की। वहां के लोगों को उनकी चाय की वैरायटी काफी पसंद आई। उन्होंने अपने स्टॉल का नाम भी एनआरआइ चाय वाला रख दिया था। इसके बाद लोग और अधिक आकर्षित होने लगे। वह चाय पीने आने वाले लोगों से अंग्रेजी में भी बात किया करते थे। इसके बाद हाई क्लास लोग लोग उनसे काफी प्रेरित हुए। इसी तरह से उनके नाम के साथ एनआरआइ चायवाला जुड़ गया।
झुग्गी, बस्ती व सड़कों पर जाकर बेसहारा लोगों का बन रहे सहारा
जगदीश कोरोना काल में जरूरतमंद लोगों के लिए बढ़ चढ़कर काम कर रहे हैं। दिन हो या रात उन्हें जहां से भी किसी जरूरतमंद के बारे में जानकारी मिलती है वह उनकी मदद करने निकल पड़ते हैं। कोरोना काल में करीब साढ़े तीन हजार लोगों का पेट भर चुके हैं जगदीश।

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