वेदांता समूह ने कार्बन उत्सर्जन कम करने और ईएसजी सर्वोच्च प्रथाओं के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया

Editor-Ravi Mudgal

जयपुर 22 दिसंबर 2020 –  जलवायु सरंक्षण हेतु सेकण्ड इण्डिया सीईओ फोरम में कार्बन उत्सर्जन कम करने हेतु घोषणा पर विश्व की प्रमुख प्राकृतिक संसाधन कंपनी वेदांता ने हस्ताक्षर कर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
इसका उद्धेश्य विशिष्ट उत्सर्जन उपायों के माध्यम से देश को शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की ओर अग्रसर करना है, जिसमें अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता, जल-कुशल प्रक्रिया, हरित गतिशीलता, योजनाबद्ध वनीकरण एवं अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण शामिल है।
इस अवसर पर माननीय पर्यावरण मंत्री, वन और जलवायु परिवर्तन सूचना और प्रसारण – भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम, प्रकाश जावड़ेकर ने जलवायु परिवर्तन पर सीईओ फोरम को संबोधित किया।
वेदांता समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुग्गल ने कहा, कि “ हम कार्बन फुटप्रिन्ट को कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं हमारी कंपनी पूर्णतया सरकार के साथ मिल कर शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के दिशा में सहयोग कर रही है। ‘जीरो हार्म, जीरो वेस्ट एंड जीरो डिस्चार्ज‘ वेदांता के मूल में है। हम निश्चित रूप से माननीय मंत्री द्वारा व्यक्त की गई भावनाओं के अनुरूप अगले एक दशक में अपने परिचालन को काफी हद तक डी-कार्बोनाइज करने के लिए तत्पर हैं। मैं इस महत्वपूर्ण पहल के लिए भारत सरकार को बधाई देना चाहता हूं और देश को अपनी कार्बन प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद करने के लिए हमारे पूर्ण समर्थन का आश्वासन देता हूं।
वेदांता के इन-हाउस कार्बन फोरम और इनोवेशन सेल में विश्वस्तरीय विशेषज्ञ शामिल हैं जो ऐसे नवाचारों पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं जिनसे कंपनी को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता मिलती हैं।
मार्च 2020 तक जिम्मेदारीपूर्ण खनन पर निरंतर ध्यान देने के साथ, कंपनी ने 2012 के बेसलाइन स्तर से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को लगभग 14 प्रतिशत कम किया है, जो कि वातावरण से 9 मिलियन टन से अधिक कार्बनडाइआॅक्साइड कम करने में सहायक होगा। पिछले वर्ष 582 मिलियन यूनिट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन किया एवं पिछले 3 वर्षों में 6 मिलियन गीगा जूल की ऊर्जा बचत हासिल की। ऊर्जा के संरक्षण के लिए 70 परियोजनाओं को विभिन्न स्थानों पर लागू किया गया है। 40 मेगा वाट सौर परियोजना स्थापित करने के अलावा, देश के 5 राज्यों में 274 मेगावाट की क्षमता वाले विंड फार्म स्थापित किए गए।
वेदांता के जीरो हार्म, जीरो वेस्ट एंड जीरो डिस्चार्ज ’के अपने मार्गदर्शक सिद्धांत के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता के साथ, कंपनी 88 प्रतिशत उच्च-मात्रा वाले कचरे के पुनर्चक्रण और 105 प्रतिशत फ्लाई ऐश उपयोग को प्राप्त करके परिपत्र अर्थव्यवस्था की अवधारणा को प्राप्त करने का प्रयास करती है।
वेदांता ने इस वर्ष धातु और खनन क्षेत्र में डाउ जोन्स सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स (डीजेएसआई) रैंकिंग में 12वां स्थान प्राप्त किया है जो कि गत वर्ष 21वें स्थान पर थी। एशिया पैसिफिक में वेदांता को धातु और खनन श्रेणी में दूसरा स्थान मिला है जो कि गत वर्ष 7वां स्थान था। वेदांता की सहायक कंपनी हिन्दुस्तान जिं़क को डॉव जोन्स सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स द्वारा धातु और खनन क्षेत्र में विश्व स्तर पर 5वां और एशिया पैसिफिक में प्रथम स्थान दिया गया है। हिंदुस्तान जिंक को जलवायु सरंक्षण हेतु महत्वपूर्ण उपलब्धि वाटर पाॅजिटिव कंपनी के रूप में घोषित किया गया है। समय-समय पर लक्ष्यों में प्रगति का आकलन करने के लिए, वेदांता सस्टेनेबिलिटी एश्योरेंस प्रोग्राम (वीएसएपी) को परिचालन के दौरान नियोजित किया जाता है और अवलोकनों की गहन निगरानी की जाती है।
33प्रतिशत महिलाओं को वरिष्ठ पदों पर अवसर देने के लक्ष्य के साथ, वेदांता समावेश और विविधता की संस्कृति पर प्रमुखता से ध्यान केंद्रित करता है। केंद्रित प्रयासों के माध्यम से, वेदांता ने अपने निर्णय लेने वाले निकायों में 28 प्रतिशत महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है।
वेदांता की प्रमुख सामुदायिक विकास पहल, नंद घर के माध्यम से, कंपनी का लक्ष्य देश में 8.5 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं के जीवन को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करना है। प्रोजेक्ट नंद घर, अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की पहल, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ समन्वय में, भारत में आंगनवाड़ी पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने के साथ ही, बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, बाल कुपोषण के उन्मूलन के लिए सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इंटरैक्टिव शिक्षा प्रदान कर रहा है, गुणवत्ता स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहा है, और कौशल प्रदान करके महिलाओं को सशक्त बनाता है। नंद घर ने 2021 तक भारत भर में 4000 नंद घर स्थापित करने के लक्ष्य हेतु अब तक 1700 केंद्रों की शुरुआत की है। हाल ही में अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और महिला एवं बालविकास मंत्रालय के साथ उत्तर प्रदेश में अगले एक वर्ष में 500 नंद घ्

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