Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 31 जनवरी 2021 नेट-थियेट के कार्यक्रम की श्रृंखला में आज पद्यश्री ए-हरिहरण बाॅलिवुड पार्श्वगायक के शिष्य और राजस्थान के जानेमाने ग़ज़ल गायक डाॅ, सुनील राही ने अपनी पुरकशिश आवाज में शायर समीर परिमल की ग़ज़ल ‘‘प्यार देकर भी प्यार जरूरी तो नही, हर दफ़ा हम हो ख़तावार ज़रूरी तो नही’’ गाई तो आनलाइन दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये।
नेट-थियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि आज सुरीली सांझ नाट्यगुरू स्व. एस. वासूदेव को समर्पित की गई। एस. वासूदेव ऐसे नाट्य निर्देशक थे जिन्होनें राजस्थान के रंगमंच को राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।
डा. राही ने शायर ताबिश धरमकोटी की ग़ज़ल उनके लब पर हंसी सी लगती है हर तरफ नग्मगी सी लगती है, सुनाकर कर समां बांधा। इसके पश्चात शायर दीपक जैन दीप की ग़ज़ल मेरी आंखों में ढूंढते हो क्या इसके बाद मुख्तार तिलहरी की लिखी ग़ज़ल चंद सिक्को में लोग बिकतें है, आदमी आज कितने सस्ते हैं तथा काश ऐसा कोई मंजर होता, मेरे कांधे पर तेरा सर होता शायर ताहिर फराज की ग़ज़ल पेज की तो दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। और फरमाइशो की झडी लगा दी।
इस सुरीली सांझ में सिंथेसाइजर पर उस्ताद हबीब खान , गिटार पर पवन बालोदिया और तबले पर जसवंत दांती ने बेहतरीन संगत करते हुये सांझ को सुरमयी बना दिया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी गुरमिंदर सिंह पुरी ने किया। मंच सज्जा डा. मुकेश कुमार सैनी, घृति शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, सौरभ, अंकित नोनू, तुषार, तपेश । संगीत विष्णु कुमार जांगिड, प्रकाश मनोज स्वामी, अंकित कुमार का रहा।
पत्रिका जगत Positive Journalism