आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण आवश्यक – डॉ अनिल गुप्ता

Editor-Manish Mathur 
जयपुर 10 फरवरी 2021  – राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार 10 फरवरी को समुदाय आधारित आपदा जोखिम मूल्यांकन और प्रबंधन  विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।  वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ  नरेंद्र सिंह राठौड़ माननीय कुलपति एमपी यू ऐ टी ने आपदा प्रबंधन एवं जोखिम आकलन पर आयोजित इस वेबीनार को आज के समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि हाल ही में देश ने उत्तरांचल के चमोली में एक त्रासदी को झेला है।
हमारे देश में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक एवं मानव निर्मित आपदाओं से प्रतिवर्ष जनहानि झेलनी पड़ती है यदि समुदाय विशेष को आपदा प्रबंधन एवं जोखिम आकलन का प्रशिक्षण मिल सके तो आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। कुलपति का संदेश व्यक्त करते हुए उनके विशेषाधिकार डॉ वीरेंद्र नेपालिया ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद  में उप महानिदेशक कृषि शिक्षा के पद पर रहते हैं हुए उन्होंने कृषि विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में आवश्यक सुधार कर  आपदा प्रबंधन  के विषय  प्रारंभ किए थे  जिसके पीछे  यही दृष्टिकोण रहा  की  हमारे विद्यार्थी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं एवं कृषि व्यवसाय के जोखिम का  सटीक आकलन कर सकें  एवं  आपदा का उचित प्रबंध  कर हानि को कम कर सकें। उन्होंने कुलपति की ओर से आयोजकों  को इस प्रकार के सार्थक वेबीनार के आयोजन के लिए बधाई भी दी।
मुख्य वक्ता के रूप में जीविका व आर्थिक क्षेत्र में सामुदायिक परिस्थितिकी एवं आपदा प्रबंधन विषय पर बोलते हुए  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, गृह मंत्रालय भारत सरकार के ई सी डी आर एम अध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि आपदा प्रबंधन एवं मूल्यांकन के लिए समुदाय आधारित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है ।  उन्होंने कहा कि किसी भी समुदाय को आपदा से निपटने की तैयारियों और शमन सहित विकास के सभी कार्यक्रमों के लिए मजबूत किया जाना चाहिए तथा सभी प्रकार की आपदा प्रबंधन तैयारियों के लिए क्षेत्र विशेष के समाज एवं समुदाय को केंद्र में रखकर योजना बनाई जानी चाहिए। डॉ गुप्ता का राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के माध्यम से विभिन्न विभागो में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जिसमें राष्ट्रीय कृषि आपदा प्रबंधन  योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुकूलन  योजना, संकट कालीन प्रबंधन योजना इत्यादि अनेक नीति निर्माण में प्रमुख योगदान रहा है ।
वेबिनार के प्रारंभ में स्वागत उद्बोधन देते हुए सामुदायिक महाविद्यालय,  एमपीयूऐटी की अधिष्ठाता डॉ. मीनू श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत किया  एवं कहा कि आपदा कभी भी जनसंख्या समूह को समान रूप से प्रभावित नहीं करती है  लिंग भेद इसका एक महत्वपूर्ण आयाम है  और किसी भी आपदा में   महिलाएं एवं बच्चे अधिक प्रभावित एवं असुरक्षित होते हैं। वेबिनार के प्रारंभ मे अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ अजय शर्मा ने भी संबोधित किया एवं कहा कि कृषि, सामुदायिक विज्ञान और अभियांत्रिकी के सभी विध्यार्थियो एवं फैकल्टी को आपदा प्रबंध की जानकारी और दक्षता आवश्यक है।
 राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान  के वरिष्ठ फैकल्टी एवं सलाहकार श्री आशीष पंडा ने आपदा प्रबंधन ने मानसिक स्वास्थ्य की बात कही उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही अन्य व्यक्ति समाज एवं समुदाय की सेवा कर सकता है उन्होंने वैलनेस के विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि व्यक्ति को भौतिक, भावात्मक, बौद्धिक, सामाजिक, पर्यावरणीय, एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर बराबर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति का जीवन एक वृक्ष के समान होना चाहिए जिसमें वृक्ष की जड़  व्यक्ति की आंतरिक मजबूती, दक्षता एवं जोखिम उठाने की क्षमता को दर्शाती हैं वही वृक्ष का तना विपरीत परिस्थितियों में भी इंसान को मजबूती से परिस्थितियों का सामना करना सिखाता है। एक वृक्ष का उपरी भाग दर्शता है कि व्यक्ति किस प्रकार से समाज को उन्हें फल एवं छाया दे कर सेवा कर सकता है।   आयोजन सचिव डॉ. हेमू राठौर, सह प्राध्यापक सीसीएएस एम पी यू ऐ टी ने बताया कि समुदाय आधारित आपदा जोखिम मूल्यांकन और प्रबंधन विषय पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान  के प्रोफ़ेसर चंदन घोष  ने जल संसाधनों के  कम खर्चीली प्रबंधन  तकनीको की बात कही।  उन्होंने बताया कि  राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान  द्वारा  उदयपुर की झीलों के संरक्षण के लिये भी सुझाव दिये गये है। श्री शेखर चतुर्वेदी, सहायक प्राध्यापक एनआईडीएम ने बताया कि  आपदा प्रबंधन मे स्टेकहोल्डर की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि हमारे देश का 80% भूभाग  विभिन्न प्रकार की आपदाओं के जोखिम से प्रभावित है । वेबीनार के आयोजन सचिव डॉ अरविंद वर्मा, प्रो. सस्य विज्ञान एवं सहायक निदेशक अनुसंधान ने बताया कि वेबिनार में  सुश्री फातिमा आमीन ने  आपदा के दौरान  एवं आपदा से पहले समुदाय आधारित जोखिम भेद्यता की बात कही । वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ. सुबोध कुमार शर्मा, आचार्य मत्स्यकी महाविद्यालय ने अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि  राजस्थान में प्रतिवर्ष पड़ने वाले सूखे   अथवा बाढ़ के हालातों में टिकाऊ कृषि के लिए मजबूत नीति बनाने की आवश्यकता है। वेबीनार के आयोजन मे समन्वयक, आरसीऐ के  पीयूष चौधरी एवं   राष्ट्रीय आपदा प्रबंध संस्थान के ईसीडी आर एम के युवा प्रोफेशनल श्री हर्षित शर्मा का सहयोग साराहनीय वेबिनार मे 276 से अधिक विद्यार्थियों एवं फैकल्टी ने भाग  लिया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद विभागाध्यक्ष डॉ गायत्री तिवारी ने किया।

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