Editor-Manish Mathur
जयपुर 10 अप्रैल 2021 – पत्थर खनन और कारखानों से निकलने वाले चूरे के व्यावसायिक उपयोग पर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में होने वाले शोध कार्य का लाभ राजस्थान के उद्यमियों को मिलेगा। राजस्थान के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ स्टोन्स (सीडोस ) द्वारा शुक्रवार को आयोजित के वर्चुअल वर्कशॉप में आईआईटी, सीएसआईआर और एमएनआईटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध कार्य की जानकारी देते हुए राजस्थान के उद्यमियों को नई तकनीकों का लाभ लेने के लिए आमंत्रित किया।
इन विशेषज्ञों ने बताया कि नई तकनीक से कैसे पत्थर के चूरे को उपयोगी निर्माण सामग्री जैसे टाइल, कंस्ट्रक्शन ब्लॉक, पेवमेंट ब्लॉक आदि बनाने में प्रयोग किया जा सकता है और साथ ही, इस पर आधारित उद्योगों को तकनीकी सहायता देने के लिए पेशकश की।
वर्कशॉप का आयोजन सीडोस द्वारा, रीको, राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड और एमएनआईटी के सहयोग से किया गया था। इसमें विषय विशेषज्ञो, शोधकर्ताओं और सम्बंधित विभाग के प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में इस क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान राज्य प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती वीनू गुप्ता ने कहा कि राजस्थान सरकार अपने विभिन्न उपक्रमों के माध्यम से इस क्षेत्र में शोध को सहायता प्रदान कर रही है ताकि स्टोन स्लरी से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बचाया जा सके और इन शोध कार्यो के सार्थक परिणाम मिलने शुरु हो गए है।
राजस्थान देश का सबसे बड़ा पत्थर उत्पादक राज्य है, इसकी खदान और कारखानों से हर रोज बड़ी मात्रा में पत्थर का चुरा निकलता है जिसे सामान्यतः निर्धारित स्थानों पर फेंक दिया जाता है। नई तकनीक के आगमन से इसका व्यावसायिक उपयोग बढ़ रहा है। वर्कशॉप में बताया गया कि प्रदेश में प्रतिदिन करीब 4 मीट्रिक टन्न स्टोन स्लरी का व्यावसयिक उपयोग किया जा रहा है, इसके बावजूद कहीं अधिक मात्रा में स्लरी उत्पादित हो रही है जिसका भी उपयोग किया जा सकता है।
वर्कशॉप को सम्बोधित करते हुए राजस्थान सरकार के उद्योग सचिव और रीको एमडी श्री आशुतोष ऐ टी पेडनेकर ने कहा कि शोध से न सिर्फ पर्यावरण को फायदा हो रहा है बल्कि नए उद्योगों के लिए भी सम्भावना बन रही हैं।
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