वेदांता अपनी व्यापक रूपरेखा से एनवायरमेंट, सोशल और गवर्नेंस में अग्रणी बनने हेतु अग्रसर

नई दिल्ली/ मुंबई 08 अक्टूबर, 2021। विश्व की अग्रणी प्राकृतिक संसाधन कंपनी वेदांता द्वारा प्रत्येक निर्णय और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रक्रिया में पूर्णतया ईएसजी को स्थापित करने के लिए एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम की शुरूआत की है। विगत एक दशक से अधिक समय से जिम्मेदार खनन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ सस्टेनेबल संचालन करते हुए वेदांता ने दुबई एक्सपो में अपने ईएसजी में अग्रणी बनने के लक्ष्य को विशिष्ट रूप से दर्शाया।
वेदांता समूह के सीईओ सुनील दुग्गल ने कहा, कि जलवायु परिवर्तन का विषय हमारे लिये मुख्यतया है। यह समय हम सभी के लिए इस वास्तविकता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने का है। वेदांता इसमें प्रमुख भूमिका निभाते हुए भविष्य में ग्रीन मेटल्स हेतु संबद्ध है। हम हमारे परिचालन में निर्णय और मूल्यांकन के हर पहलू में ईएसजी को स्थापित करने के लिये परिवर्तनकारी संचालन कर रहे है।
श्री दुग्गल ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक खनिज-सघन दुनिया बन जाएगी, क्योंकि इलेक्ट्रिक कारों को पारंपरिक कार की तुलना में छह गुना अधिक खनिजों की आवश्यकता होगी, और तटवर्ती हवा को गैस फील्ड प्लांट की तुलना में नौ गुना अधिक खनिज की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में दिखने वाली धातुओं के अपने पोर्टफोलियो के साथ वेदांता की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
वेदांता जीरो हार्म, जीरो वेस्ट एंड जीरो डिस्चार्ज के अपने मूल सिद्धांत की दिशा में सक्रिय रूप से कार्यरत है, और हम देश और दुनिया को पर्यावरण प्रबंधन, सामाजिक समानता और प्रभाव, एवं अच्छे कॉर्पोरेट के सिद्धांतों पर भरोसा करते हुए एक बेहतर जगह बनाने हेतु प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सभी से आव्हान किया कि सभी इसमें अपनी भागीदारी निभाते हुए प्रत्येक व्यक्ति इस दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना योगदान दे।
जलवायु परिवर्तन की भविष्य की आवश्यकताओं के प्रति अपनी प्रतिज्ञा में, वेदांता 24 भारतीय कंपनियों में से एक है, जो जलवायु परिवर्तन पर निजी क्षेत्र की घोषणा के लिए हस्ताक्षरकर्ता हैं और 2050 तक अपने कार्यों को डीकार्बोनाइज करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
वेदांता समूह की कंपनी हिंदुस्तान जिंक ने भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य निर्धारित किए हैं। हिंदुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन स्वाभाविक है, और हम आज इस बारे में चितिंत हैं। उन्होंने इसे समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि क्लाईमेट जस्टिस के लिए एक उत्तरदायी, बहुराष्ट्रीय दृष्टिकोण है जिसमें सभी देशों को वैश्विक जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के जवाब में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हिंदुस्तान जिंक का वर्ष 2035 के लिए सतत विकास का लक्ष्य हैं, जिससे लगभग 5 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। अगले 5 वर्षों में ताप विद्युत संयंत्रों को बंद करने और नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरित करने का हमारादृष्टिकोण स्पष्ट है।
वेदांता ने जलवायु संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण पर कार्यबल (टीसीएफडी) के अनुरूप पहली जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट जारी की है, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय धातु और खनन कंपनी बन गई है। टीसीएफडी के साथ उनका सहयोग उनके प्रकटीकरण मानकों में अधिक पारदर्शिता लाएगा।
वेदांता सस्टेनेबल प्रेक्टिस में अग्रणी रहा है एवं पर्यावरण और समुदायों की सुरक्षा के लिए नई तकनीकों का लाभ उठा रहा है। जीरो हार्म, जीरो वेस्ट, जीरो डिस्चार्ज के दर्शन द्वारा निर्देशित, पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) प्रथाएं वेदांता के संचालन के मूल में हैं जो सस्टेनेबल और जिम्मेदार विकास प्रदान करने पर केंद्रित हैं जो कि सभी हितधारकों के लिए मूल्य आधारित है।
कंपनी यह सुनिश्चित करती है कि उच्च-मात्रा-कम-प्रभाव वाले कचरे का 94 प्रतिशत से अधिक सालाना पुनर्नवीनीकरण हो। समुदाय में 3 मिलियन से अधिक व्यक्तियों पर सकारात्मक सामाजिक प्रभाव डाला है और इसके अलावा ई-लर्निंग कार्यक्रमों के माध्यम से 39 मिलियन से अधिक व्यक्तियों को कोविड पर जागरूक किया है।
वेदांत वित्त वर्ष 2025 तक अपने जीएचजी उत्सर्जन की तीव्रता को 20 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी ने वित्त वर्ष 12 बेसलाइन के मुकाबले वित्त वर्ष 20 में जीएचजी उत्सर्जन की तीव्रता में 13.83 प्रतिशत की कमी की है। यह कमी जीएचजी उत्सर्जन से बचने में ्9 मिलियन टन के बराबर है। व्यावसायिक इकाइयों में निरंतर प्रयासों के माध्यम से, वेदांता ने वित्त वर्ष 2020 में 1.92 मिलियन गीगाजोले ऊर्जा बचत की है।

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