जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा दिन रहा साहित्यिक सत्रों के नाम

Editor-Manish Mathur

जयपुर 10 मार्च | मंगलवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 15वें संस्करण के चौथे दिन ने वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर दस्तक दी| पूरे दिन के सत्र अनसुने किस्सों, भिन्न किताबों, विचारों और प्रस्तुतियों के नाम रहे| दिन की शुरुआत सुकून पहुँचाने वाले सूफी संगीत से हुई, जिसे पेश किया श्रीनगर, कश्मीर के गायक-गीतकार अली सफ्फुदीन व नूर मोहम्मद ने| दोनों ने साथ में श्रोताओं के सामने अद्भुत प्रस्तुति दी|
दरबार हॉल में, इतिहासकार और आर्कियोलोजिस्ट हिमांशु प्रभा रे ने, पेरिस में तांत्रिक अध्ययन के अध्यक्ष, अन्द्रेअ अक्रि के साथ प्रभावित करने की प्रक्रिया और इसके प्रकारों पर चर्चा की| सत्र में दक्षिणपूर्व एशिया की कला और वास्तुकला पर हिन्दू, बौद्ध, संस्कृत और इंडिक नजरिये से बात हुई| रे और अक्रि के साथ संवाद किया फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल ने| बौद्ध गुरुओं के बारे में बात करते हुए रे ने कहा, “मैं कहना चाहूँगा कि भारतीयकरण शब्द अपने आप में एक पिज़्ज़ा इफेक्ट है| यूरोपीय शब्दावली के रूप में शुरू हुआ यह शब्द वास्तव में एशियाई सभ्यता के प्रति यूरोपीय, खासकर फ्रांसीसियों का नजरिया था|”

एक अन्य सत्र में, रिटायर्ड डिप्लोमेट विनोद खन्ना ने, शोधकर्ता मालिनी सरन के साथ, इंडोनेशिया में रामायण की परम्परा और उसमें समाहित भारतीय संस्कृति के तत्त्वों की पड़ताल की| उनकी किताब, रामायण इन इंडोनेशिया गहन रिसर्च का परिणाम है| इतिहासकार और फेस्टिवल के को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल के साथ संवाद में उन्होंने इंडोनेशियाई रामायण के साहित्य, परफोर्मिंग आर्ट्स, दर्शन और धार्मिक परम्परा जैसे पहलुओं को उजागर किया| सरन ने कहा , “रामायण के अंतर्निहित गुणों–मनोरंजन करना, मार्गदर्शन करना और उपदेश देना—ने उनकी विशेष स्थिति को बढ़ावा दिया… रामायण का लचीलापन स्थानीय कलाकारों को अपनी कलात्मकता बाहर लाने की इजाज़त देता है, और इस तरह से वो हर किसी की ‘अपनी’ हो जाती है|”

डिजिटल वर्ल्ड के दिग्गजों में से एक, इंफोसिस के को-फाउंडर नंदन निलेकनी और कैमिकल इंजीनियर तनुज भोजवानी ने अपनी नई किताब, द आर्ट ऑफ़ बिटफुलनेस पर चर्चा की| दोनों के सह-लेखन में लिखी गई यह किताब इस अभूतपूर्व डिजिटल युग में लोगों और तकनीक के बीच जहरीले रिश्ते की बात करती है| दोनों लेखकों से संवाद किया अर्थशास्त्री और लेखक मिहिर एस शर्मा ने|

फेस्टिवल का एक सत्र दो ‘कुमारों’ के नाम रहा| द ब्लू बुक के लेखक अमिताव कुमार और पत्रकार व न्यूज़ एंकर रवीश कुमार| अमिताव ने रवीश कुमार को ‘पत्रकारिता का दिलीप कुमार’ कहा| अमिताव ने बताया कि नमिता गोखले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बहुभाषाई होने पर ज़ोर देती हैं| पत्रकारिता की बात करते हुए उन्होंने कहा, “पत्रकारिता इतिहास का रफ़ ड्राफ्ट ही है|”

प्रसिद्ध कहानीकार केन फोलेट ने अपने नए उपन्यास, नेवर के बारे में लेखक जैक ओ’येह से बात की| इस एक्शन-पैक्ड थ्रिलर में हीरोईन, खलनायक, झूठे मसीहा, पक्के राजनेता और अवसरवादी क्रांतिकारी हैं, जो अपनी कूटनीतियों से आगे बढ़ते चलते हैं| अपनी लेखन प्रक्रिया की बात करते हुए फोलेट ने कहा, “मैं अपने पाठकों से चालाक नहीं हूँ, मेरे पाठक बहुत स्मार्ट हैं| और वो नहीं चाहते कि मैं उनके दिमाग में अपने विचार डालूं और यकीनन वो मुझसे नहीं सुनना चाहते कि वो किसे वोट दें|”

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