एसबीआई लाइफ ने माताओं को निस्संकोच खुद के लिए समय निकालने हेतु प्रोत्साहित किया, मदर्स डे के मौके पर # GuiltFreeMoms अभियान चलाया

10 मई, 2022: मां प्रेम की प्रतिमूर्ति होती है और उसका प्यार किसी शर्त से बंधा नहीं होता। घर और बाहर की तमाम जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह करते हुए, वह अपने परिवार को सदैव सर्वोत्तम तरीके से संभालने की कोशिश करती है। अपनी जरूरतों को दरकिनार कर अपने परिवार की आवश्यकताओं का ख्याल रखना उसकी सहज प्रवृत्ति होती है, हालांकि उनके इस त्याग की प्रायः अनदेखी कर दी जाती है। यही नहीं, वो खुद का ख्याल रखने को लेकर हमेशा दुविधा की स्थिति में रहती हैं, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि स्वयं की देखभाल करके वो कहीं कोई अपराध तो नहीं कर रही हैं, उन्हें ऐसा लगता है कि कहीं उनके इस आचरण से परिवार के प्रति उनके समर्पण पर प्रश्न-चिह्न न लग जाए। हर माँ की इस दुविधा भरी स्थिति के समाधान के लिए, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने मदर्स डे के अवसर पर एक सामाजिक प्रयोग किया। इस प्रयोग का उद्देश्य यह था कि माताओं को बिना किसी अपराध-बोध की भावना से ग्रस्त हुए स्वयं की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके और ऐसा करते हुए उनके मन में कोई ग्लानि की भावना न पैदा हो।

माताओं को जिन चीजों से खुशी मिले उन्हें उनको करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु, एक भावपूर्ण सामाजिक प्रयोगात्मक डिजिटल फिल्म, #GuiltFreeMoms रिलीज की गई। यह डिजिटल फिल्म व्यक्तिगत और परिवार की जरूरतों के बीच ‘जीवन के संतुलन’ का भी समर्थन करती है। बच्चों की देखभाल के लिए स्वयं की देखभाल पर भी सामान्य रूप में ध्यान देने की बढ़ती आवश्यकता पर जोर देते हुए, कंपनी का उद्देश्य हर मां को अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए खुद को मुक्त करने के लिए प्रेरित करना है। ‘अपने लिए, अपनों के लिए’ के ब्रांड उद्देश्य के साथ, एसबीआई लाइफ ने माताओं से आग्रह किया है कि वे बिना किसी ग्लानि की भावना के अपने जीवन से जुड़ी जरूरी चीजों को खुशी-खुशी करें जिससे उनके जीवन में संतुलन आ सके! यह डिजिटल फिल्म, एसबीआई लाइफ द्वारा पिछले तीन वर्षों में निर्मित #MummyKahanHain डिजिटल प्रॉपर्टी का एक हिस्सा है।

वीडियो के लिए लिंक: https://youtu.be/Cl-gkUzzqnI

यह फिल्म श्रेया गौतम (महिला व्यवसायी), मांडवी जायसवाल (प्रोफेशनल से बनी गृहिणी), स्नेहलता जैन (गृहिणी से उद्यमी बनी), युवका अबरोल (उद्यमी) जैसी उन सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्सं के साथ शुरू होती है जो खुद भी एक माँ हैं और वो स्वयं की देखभाल के साथ-साथ मातृत्व से जुड़ी अपनी कहानियों के बारे में विशेष चर्चा करती हैं। इस फिल्म में माँ को एक नए रूप में दिखाया गया है जो एक साथ कई काम करती है। एक अलग कमरे में बैठकर फिल्म देख रही एक माँ अपने शिशु को पालने में झुला रही है और इनफ्लुएंसर्स द्वारा साझा की गई पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया दे रही है। तभी, उसके मन में अचानक एक सवाल पैदा होता है, ‘माँ बनने के बाद वो कौन-सी चीज है जो अब करना छूट गया है?’, नई माँ अपनी इच्छाएँ खुद से साझा करती है। तभी कमरे में इनफ्लुएंसर्स का प्रवेश होता है और वो उसे खुद की देखभाल करने के महत्व का अहसास कराती हैं। अंत में, प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक, पाउलोमी पंडित अपने विचार व्यक्त करते हुए कहती हैं कि माताएं स्वयं की देखभाल को प्राथमिकता नहीं देती हैं और वो व्यक्तिगत और पारिवारिक इच्छाओं के बीच ‘संतुलन’ की आवश्यकता पर जोर देती हैं।

एसबीआई लाइफ के चीफ ऑफ ब्रांड, कॉरपोरेट कम्युनिकेशन एंड सीएसआर, श्री रविंद्र शर्मा ने कहा, “एक मां का बच्चे के जीवन में पहला और सबसे अधिक प्रभाव होता है। वह अपने प्रियजनों और विशेषकर अपने बच्चे पर हर रोज अपना प्यार लुटाती है। दुर्भाग्यवश, हमारे समाज में लंबे समय से एक रीति चली आ रही है कि यदि कोई माँ अपने बच्चे/परिवार की देखभाल करने के अलावा अगर कुछ भी करने के बारे में सोचती है तो वह स्वार्थी है। जिस क्षण वह एक माँ से इतर अपनी खुशी की कोई चीज करने का फैसला करती है, समाज अनुचित तरीके से उसके बारे में धारणा बनाने लगता है। इस दुविधा और सामाजिक लांछन को दूर करने के लिए, हमने # GuiltFreeMoms लॉन्च किया, जो एक सामाजिक प्रयोगात्मक डिजिटल फिल्म है। इस फिल्म में ऐसी इनफ्लुएंसर्स हैं जो खुद भी एक माँ हैं और वो मातृत्व से जुड़ी अपनी वास्तविक जीवन की कहानियाँ सुनाती हैं। एसबीआई लाइफ की # MummyKahanHain डिजिटल प्रॉपर्टी का उद्देश्य हमेशा माताओं द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविक जीवन की परिस्थितियों को स्पर्श करना है और उन्हें समाज की सोच को दरकिनार करते हुए उन चीजों को करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है जिनसे उन्हें खुशी मिलती हो और वो भी स्वयं के भीतर ग्लानि की बिना कोई भावना पाले।

उन्होंने आगे कहा, “हम एसबीआई लाइफ में, ‘अपने लिए, अपनों के लिए’ की अपनी विचारधारा का दृढ़ता से समर्थन करते हैं। इस मदर्स डे पर, हम माताओं को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे अपने जीवन में अन्य चीजों का ध्यान रखते हुए सबसे पहले स्वयं की देखभाल पर ध्यान दें। इस प्रकार, हमारी डिजिटल फिल्म, अपने और परिवार के लिए जीवन में संतुलन रखने की इस धारणा को समाहित करने का एक प्रयास है, और यह फिल्म #GuiltFreeMoms का समर्थन करती है।”

“नई माताएं लगातार अपने निर्णयों पर सवाल उठा रही हैं, या उन्हें इस बात की चिंता सताती है कि एक माँ के रूप में वो अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वाह नहीं कर रही हैं। विशेषकर कामकाजी महिलाएं इस ग्लानि भाव को लेकर अधिक संवेदनशील हैं क्योंकि वे कार्य-संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं और अपने बच्चे को अपने द्वारा दिए जाने वाले समय के बीच तालमेल बिठाने को लेकर कशमकश में रहती हैं। जबकि अधिकांश माताएं इन पैटर्नों से अवगत हैं; लेकिन उन्हें इससे बाहर निकलना काफी चुनौतीपूर्ण लगता है। अंततः, इसका एक मां के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है और उन्हें इसके चलते बहुत जल्द कई संभावनाशील कॅरियर्स से हाथ धोना भी पड़ जाता है। इस अभियान के माध्यम से, हम माताओं को एक आदर्श माँ के अवास्तविक आदर्श से पैदा होने वाली ग्लानि भावना को दूर करने में मदद करना चाहते हैं, उन्हें अपनी पेरेंटिंग शैली पर भरोसा करने और स्वयं की देखभाल की आवश्यकता को सामान्य करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं”- वाटकंसल्ट के मैनेजिंग पार्टनर, साहिल शाह ने उक्त बातें कही।
स्वयं की देखभाल के महत्व पर बोलते हुए, सुश्री पाउलोमी पंडित, मनोवैज्ञानिक ने कहा, “हर मां के लिए स्वयं की देखभाल की अलग-अलग परिभाषाएं होंगी लेकिन प्रत्येक मां के लिए निश्चित रूप से यह आवश्यक है। नई माताओं के लिए यह और भी महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने, तनाव को कम करने और स्वास्थ्य एवं प्रतिरोधी क्षमता को सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जबकि हमारी संस्कृति हमेशा से अपनी खुद की देखभाल पर ध्यान देने वाली माताओं के विचार को बढ़ावा नहीं देती है, लेकिन सभी माताओं के लिए बिना किसी ग्लानि के अपने दिनचर्या में स्वयं की देखभाल करना सीखना महत्वपूर्ण है।”

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