स्टूडेंट्स की मेन्टल हेल्थ मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना होगाः डॉ. देसाई

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से रविवार को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे के मौके पर कोटा शहर पुलिस एवं एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके तहत पैनल डिस्कशन हुआ और सुसाइड जैसी घटनाओं में कमी लाने के प्रयासों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस परिचर्चा में कोटा रेंज पुलिस महानिरीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा, कोटा शहर पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी, कोटा मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना, मानव विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. निमेष.जी. देसाई, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोटा डॉ. जगदीश सोनी, मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. विनोद दड़िया एवं साध्वी अनादि सरस्वती ने अपने विचार रखे। इस मौके पर कोटा पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ कैम्पस के सौहार्द्र सभागार में आयोजित किया गया था। इससे पूर्व एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने परिचर्चा में शामिल होने आए सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर वर्ष 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे निर्धारित किया गया हैं जिसके तहत इस वर्ष की थीम ‘क्रीएटिंग होप थ्रू एक्शन’ रखी गई थी।

काउंसलर्स से मिलकर अपनी समस्या बताइए
मानव विज्ञान एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. निमेष.जी. देसाइ ने कहा कि सुसाइड सिर्फ कोटा की नहीं बल्कि पूरे देश की समसया है। यहां से ज्यादा सुसाइड अन्य शहरों में भी हो रहे हैं। आजकल समाज और परिवार के दबाव में स्टूडेंट्स को खुद को स्ट्रेस फील करता है। इसके लिए सबसे जरूरी है कि स्टूडेंट्स समाज में अपनी भागीदारी दिखाएं। परिवार व अपने आस-पास के लोगों से जुड़ें। यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस कोटा से देश को इतने डॉक्टर-इंजीनियर दिए हैं, उस शहर के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नेगेटिव अभियान चलाया जाता है। मैं स्टूडेंट्स से कहना चाहूंगा कि मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक अथवा काउंलर से बात करना बुरी बात नहीं है। आप उनसे मिलें और अपने मन की बातें शेयर करें।

स्टूडेंट्स सामाजिक गतिविधियों से जुडें
कोटा रेंज पुलिस के महानिरीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा ने कहा कि दिमाग में अस्थिरता की वजह से अलग-अलग ख्याल आते हैं। जिसकी वजह से कई बार नेगेटिव ख्याल आते हैं और यही वजह है कि लोग सुसाइड जैसी अप्रिय घटनाओं को अंजाम देते हैं। कॉम्पिटिशन की वजह से अकेलापन इस वक्त सबसे बड़ा इश्यू है। ऐसे में बच्चों को सामाजिक गतिविधियों से जुड़ना चाहिए। राजस्थान सरकार एवं राजस्थान पुलिस के द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसमें से एक है स्टूडेंट्स सेल। जिसका गठन एसपी कोटा शरद चौधरी द्वारा किया गया है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी का सहयोग मिलना जरुरी है।

पेरेन्ट्स बच्चों की काउंसलिंग अवश्य कराएं
मनोचिकित्सक डॉ. विनोद दड़िया ने कहा कि कई बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं। ऐसे में पेरेन्ट्स को चाहिए यदि उनका बच्चा भावनात्मक रूप से कमजोर है तो वे पहले उसकी काउंसलिंग कराएं। सबसे जरूरी बात है कि सुसाइड जैसी घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर काफी जल्दी वायरल होते हैं। ऐसे में अन्य स्टूडेंट्स जो पहले से ही नकारात्कता से घिरे रहते हैं, वे भी ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित होते हैं। स्टूडेंट्स सोशल मीडिया से जितना हो सके, दूर रहें। मोबाइल का इस्तेमाल सिर्फ पढ़ाई के लिए हो तो ज्यादा बेहतर होगा।

समय रहते समस्या का निदान समझना होगा
मनोचिकित्सक डॉ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि सुसाइड एक यूनिवर्सल प्रॉब्लम है। हर 40 सेकंड में एक सुसाइड होता है। डब्ल्यूएचओ का मानना है कि यह 99 फीसदी मेन्टल हेल्थ इश्यू है जोकि पहचान में नहीं आ पाता। सही समय पर स्टूडेंट्स के व्यवहार में होने वाले बदलावों को समझना जरूरी है। सुसाइड करने वाला व्यक्ति अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ क्लू अवश्य देता है। यदि किसी के सामान्य व्यवहार में बदलाव दिखे तो उस व्यक्ति से बात कर उसकी समस्या को समझने का प्रयास करना होगा और उसे समय रहते साइकोलॉजिस्ट के पास भेजना होगा। तभी ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

मिलकर काम करना होगा
कार्यक्रम में कोटा सिटी एसपी शरद चौधरी एवं साध्वी अनादि सरस्वती ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कोटा सिटी एसपी ने कहा कि कोटा का नाम बनाए रखना होगा। किसी स्टूडेंट का सुसाइड करना काफी दुखद होता है। उसके अभिभावकों की पीड़ा का आप और हम नहीं समझ सकते। हमें इस पर मिलकर काम करना होगा। ताकि कॅरियर सिटी में ऐसी घटनाएं नहीं हो।

माइंड मैनेजमेंट करना होगा
मेडिकल कॉलेज की प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना ने माइंड मैनेजमेंट पर अपने विचार रखे। उन्होनें कहा कि ‘इफ यू मैनेज योर माइंड, यू कैन मैनेज एवरीथिंग’ और लाइफ इज मच बिगर देन कॅरियर। आपका कम्पिटीशन दूसरों से नहीं खुद से होना चाहिए। अपनी क्षमताओं के अनुसार कॅरियर ऑप्शन चुनिए। डॉक्टर-इंजीनियर बनना एक पड़ाव है। जबकि आप लाइफ मल्टी डेमेंशियन है। पढ़ाई के साथ दैनिक दिनचर्या का समन्वय सही होना चाहिए। दिमाग को दुरूस्त रखने के लिए स्टूडेंट्स को हेल्दी फूड खाना चाहिए। स्टूडेंट्स को कुछ समय खुद को भी देना होगा। योग-प्राणायाम के अलावा रोजाना वॉक पर जाना चाहिए। आपकी पढ़ाई या रिजल्ट में कमी निकालना कुछ लोगों की आदत होती है लेकिन, स्टूडेंट्स को इन सभी बातों को नजरअंदाज कर खुद को स्ट्रान्ग बनाना होगा और अपनी कमियों को जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। जो भी व्यक्ति आपको नेगेटिव फील कराता है, उनसे दूरी बनाकर रखिए।

स्टूडेंट के मानसिक स्वास्थ्य के कार्य में कोटा पूरे देश में एक रोल मॉडल के रूप में उभरे।
कोटा पुलिस एवं एलन करियर इंस्टिट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में इस पर चर्चा का आयोजन किया गया था। जिसमें प्रमुख मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सकों के अलावा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। इस परिचर्चा का उद्देश्य था कि आज देश ही नहीं पूरा विश्व एक नई समस्या मानसिक रोग से प्रभावित है। इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा कि कोटा में स्टूडेंट्स को अच्छी शिक्षा के साथ साथ पॉजिटिव माहौल मिल सके। आने वाले समय मे स्टूडेंट्स को स्ट्रेस फ्री माहौल देने एवम उनके मानसिक स्वास्थ्य पर अपने कार्य से कोटा रोल मॉडल बनकर उभरे। हमारा प्रयास है कि कोटा की पहचान करियर सिटी के साथ केयर सिटी के रूप में भी कायम रहे – नवीन माहेश्वरी, निदेशक
एलन करियर इंस्टीट्यूट

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