नई दिल्ली, 16 मई, 2025: ग्लोबल एक्सेस टू टैलेंट फ्रॉम इंडिया (गति) फाउंडेशन को भारत के माननीय विदेश मंत्री, श्री डॉ. एस. जयशंकर की उपस्थिति में लॉन्च किया गया। माननीय विदेश मंत्री, इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे। साथ ही, माननीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री, श्री जयंत चौधरी इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कन्वर्जेंस फाउंडेशन, मनीष सभरवाल और गोदरेज फाउंडेशन के गठजोड़ से तैयार गति, एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन है और यह वैश्विक प्रतिभा गतिशीलता के लिए व्यवस्थित, नैतिक और सर्कुलर मार्ग बनाने के लिए समर्पित है।
यह पहल, इस अनुमान के मद्देनज़र बेहद महत्वपूर्ण है कि उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को 2030 तक 45-50 मिलियन (4.5-5 करोड़) कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ेगा। कुशल प्रतिभा के लिए भारत को वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से, गति फाउंडेशन का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम बाज़ारों में भारतीय श्रमिकों के लिए अवसरों को खोलने के लिए सरकारों, व्यवसायों और गैर-लाभकारी संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
इस लॉन्च कार्यक्रम में विदेशी राजदूत, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, अग्रणी उद्योग प्रतिनिधि और थिंक टैंक शामिल हुए और विभिन्न देशों की सरकारों के बीच साझेदारी, नैतिक भर्ती प्रथाओं और वैश्विक कौशल गतिशीलता के लिए उद्योग-नेतृत्व वाले समाधानों जैसे प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श किया।
गोदरेज फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी, उमर मोमिन ने कहा, “ऐसे दौर में जब लोग विदेश जाकर 10 गुना अधिक कमा सकते हैं, तो वैश्विक श्रम गतिशीलता को बढ़ावा देना सिर्फ स्मार्ट अर्थशास्त्र नहीं है – यह परिवर्तनकारी विकास है। उच्च आय वाले देशों में 2030 तक लगभग 50 मिलियन (5 करोड़) श्रमिकों की कमी होगी, गति नैतिक, सर्कुलर और अच्छी तरह से विनियमित प्रवास मार्गों का निर्माण करने पर विचार कर सकता है जो तीन गुना लाभ प्रदान करते हों जैसे, कौशल की कमी पूरी करना, देश में समृद्धि को बढ़ावा देना और लोगों के लिए अवसर का सम्मानजनक मार्ग प्रदान करना।”
कन्वर्जेंस फाउंडेशन के संस्थापक-मुख्य कार्यकारी, आशीष धवन ने कहा, “आज, लगभग 700,000 भारतीय हर साल काम करने के लिए विदेश जाते हैं। हालांकि, इस कार्यबल का 60% जीसीसी देशों तक सीमित है। हमारे पास भौगोलिक क्षेत्रों और रोज़गार के अवसरों में विविधता लाकर अपने वार्षिक प्रवासी प्रवाह को सही मायने में बढ़ाकर 2-2.5 मिलियन (2-2.5 करोड़) तक करने का अवसर है। ऐसा करने से न केवल अधिक रोज़गार के अवसर पैदा हो सकते हैं, बल्कि हमें अपने रेमिटेंस को भी बढ़ाकर 300 अरब तक करने में मदद मिलेगी। रेमिटेंस सीधे घरों बाहर जाता है – उपभोग, शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च को बढ़ाता है – इसलिए इससे गरीबी कम करने में भी मदद मिलती है।”
टीमलीज सर्विसेज के उपाध्यक्ष, मनीष सभरवाल ने कहा, “गति जैसे विचार का दौर भारत में आ गया है। बहुत सी बातें हो रही हैं, लेकिन यदि अर्थशास्त्र अवैध प्रवास (माइग्रेशन) से कानूनी प्रवास और प्रवास से गतिशीलता और काम करने की नागरिकता पर बहस को आगे बढ़ाने में सक्षम है, तो यह राजनीति को मात देगा। यह धारणा कि अमीर देश मुद्रास्फीति से बच सकते हैं या प्रवास के बिना देखभाल के काम (केयर वर्क) से जुड़ी चुनौती से निपट सकते हैं तो यह असंभव है। प्रवास को व्यवस्थित, अस्थायी और सुरक्षित बनाना विभिन्न देशों के लिए बड़ी चुनौती है। गति फाउंडेशन का मानना है कि अच्छी तरह तैयार अतिथि कर्मी (गेस्ट वर्कर) कार्यक्रम का अगले दो दशक में वैश्विक समृद्धि उल्लेखनीय योगदान होगा।