जीएसटी दरों में बदलाव पर आईबीए और एसबीआई के अध्यक्ष श्री सी. एस. सेट्टी का वक्तव्य

मुंबई, 08 सितंबर, 2025: भारत आर्थिक रूप से लगातार बदल रहा है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, ऐसे में 5% और 18% की सरलीकृत दो-स्तरीय जीएसटी व्यवस्था, जिसमें अवगुण वाले सामान पर 40% कर शामिल है, उसके अप्रत्यक्ष कर सुधारों में एक मील का पत्थर है। यह एक अव्यवस्था-मुक्त, अगली पीढ़ी का जीएसटी बनाता है जो अधिक सरल, अधिक पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित है।

घरेलू सामान, जिन पर पहले 12% और 18% कर लगता था, अब 5% की श्रेणी में आ गए हैं, जिससे ज़रूरी चीज़ों की कम लागत और ज़्यादा खर्च करने योग्य आय के रूप में ठोस राहत मिलेगी। ज़्यादा खर्च करने की क्षमता के साथ, मांग और ऋण विस्तार बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी। इसी तरह, बीमा क्षेत्र को भी कम प्रीमियम और बेहतर सुरक्षा कवरेज और व्यापक बीमा पहुंच का लाभ मिलेगा।

इस कटौती से सीपीआई में भी नरमी आने की उम्मीद है क्योंकि आम उपभोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी। सरल व्यवस्था से व्यवसायों को भी लाभ होगा, जिससे अनुपालन लागत कम होगी और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।

कम जीएसटी दरों से होने वाली अल्पकालिक राजस्व हानि की भरपाई अधिक खपत और मजबूत आर्थिक गतिविधियों से होने की उम्मीद है, जिसका आने वाली तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि और राजकोषीय स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रभाव हैं क्योंकि यह पहल जीएसटी को वास्तव में नागरिक-अनुकूल और विकासोन्मुखी जीएसटी 2.0 में समेकित करती है।

About Manish Mathur