कार्यशाला में प्रमुख विशेषज्ञ शामिल थे, जिनमें डॉ. पंकज आनंद (डायरेक्टर- इंटरनल मेडिसिन एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर), डॉ. यश जावेरी (डायरेक्टर, क्रिटिकल केयर एवं आपातकालीन चिकित्सा, रीजेंसी अस्पताल, लखनऊ), डॉ. सुनील कारंत (चेयरमैन, क्रिटिकल केयर, मणिपाल हॉस्पिटल्स, बेंगलुरु), डॉ. संजीत शशिधरन (निदेशक, रहेजा अस्पताल, मुंबई) और डॉ. श्रीनिवास सामवेदम (अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन) शामिल थे।
कार्यशाला में सेप्सिस की समय पर पहचान, सही जांच, दवाओं के उचित उपयोग और बेहतर उपचार रणनीतियों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि सेप्सिस आईसीयू में सबसे गंभीर स्थितियों में से एक है और इसका समय रहते इलाज करना बेहद जरूरी है।
इस मौके पर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर के डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन एवं क्रिटिकल केयर, डॉ. पंकज आनंद ने कहा, “भारत में हर साल सेप्सिस से हजारों लोगों की मौत होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह देर से पहचान और कई अंगों पर एक साथ असर पड़ना है। इस कार्यशाला का मकसद डॉक्टरों को बेहतर नैदानिक उपकरण और रोगी-केंद्रित उपचार पद्धतियों से अवगत कराना है, ताकि समय पर सही इलाज देकर मरीजों की जान बचाई जा सके।”
डॉ. श्रीनिवास सामवेदम, अध्यक्ष, इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन ने कहा, “भारत में सेप्सिस एक बड़ी चुनौती है। इसका समय पर निदान और एंटीबायोटिक का जिम्मेदाराना उपयोग बेहद जरूरी है। इस तरह की कार्यशालाएँ डॉक्टरों को सही दिशा में कदम उठाने और बेहतर इलाज की रणनीतियाँ अपनाने में मदद करती हैं।”
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में देश के विभिन्न शहरों से आए विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। सभी ने इस पहल की सराहना की और माना कि इस तरह के आयोजन से आईसीयू में गंभीर संक्रमण के बेहतर इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सकता है।
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