विश्व स्ट्रोक दिवस से पहले स्ट्रोक प्रबंधन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की कांफ्रेंस का आयोजन

जयपुर, 31 अक्टूबर, 2025: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, जयपुर एवं जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के सयुंक्त तत्वावधान में विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 के अवसर पर “स्ट्रोक एक मस्तिष्क आघात है – समय रहते कार्रवाई करें” शीर्षक से एक चिकित्सा कांफ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें शहर भर के प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट, हृदय रोग विशेषज्ञ और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ शामिल हुए। इस पहल का उद्देश्य स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और दीर्घकालिक विकलांगता को रोकने और जीवन बचाने के लिए समय पर, समन्वित हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

डॉक्टरों के लिए एक इंटरैक्टिव शिक्षण मंच के रूप में डिज़ाइन किए गए इस सत्र में स्ट्रोक के अंतर्निहित कारणों, हृदय और मस्तिष्क स्वास्थ्य के बीच महत्वपूर्ण संबंध, और थ्रोम्बोलिसिस और थ्रोम्बेक्टोमी जैसे उपचार में नवीनतम प्रगति पर सार्थक चर्चा को प्रोत्साहित किया गया, जो रोगियों के स्वास्थ्य लाभ के परिणामों को बदल रहे हैं।

कार्यक्रम का नेतृत्व फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर की न्यूरोलॉजी विभाग की डायरेक्टर डॉ. नीतू रामरखियानी ने किया, जिसमें डॉ. दिनेश शर्मा, डॉ. बी.एल. कुमावत, डॉ. विकास गुप्ता, डॉ. महेंद्र अग्रवाल, डॉ. सी.बी. मीणा, डॉ. प्रशांत सिंह, डॉ. विवेक वैद, डॉ. त्रिलोचन श्रीवास्तव, डॉ. अरुण अग्रवाल, डॉ. पुष्कर गुप्ता, डॉ. अंजनी शर्मा, डॉ. आर.के. सुरेका, डॉ. प्रिया अग्रवाल, डॉ. शीतल धवन, डॉ. नीरज भूटानी और डॉ. विक्रम बोहरा जैसे प्रमुख चिकित्सकों ने भाग लिया, जिन्होंने बहुमूल्य नैदानिक अंतर्दृष्टि और वास्तविक अनुभव को साझा किए। चर्चा प्रारंभिक लक्षणों की पहचान, बहु-विषयक आपातकालीन प्रतिक्रिया और समग्र स्ट्रोक प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए हृदय और तंत्रिका संबंधी दृष्टिकोणों को एकीकृत करने पर केंद्रित थीं।

इस अवसर पर बोलते हुए, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर की न्यूरोलॉजी विभाग की डायरेक्टर, डॉ. नीतू रामरखियानी ने कहा, “स्ट्रोक समय के लिहाज से सबसे संवेदनशील चिकित्सा आपात स्थितियों में से एक है। पूरी तरह से ठीक होने और आजीवन विकलांगता के बीच का अंतर बस कुछ ही मिनटों का हो सकता है। शुरुआती कुछ घंटे, जिन्हें हम ‘गोल्डन विंडो’ कहते हैं, स्ट्रोक के मामलों में उपचार शुरू करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। दुर्भाग्य से, कई मरीज़ अभी भी शुरुआती लक्षणों, जैसे अचानक कमज़ोरी, चेहरे का लटकना, बोलने में कठिनाई या संतुलन खोना, के बारे में जागरूकता की कमी के कारण अपना कीमती समय गँवा देते हैं। इस तरह की पहल के माध्यम से, हमारा उद्देश्य न केवल डॉक्टरों के बीच, बल्कि व्यापक समुदाय के बीच भी जागरूकता बढ़ाना है, ताकि समय पर मदद ली जा सके और उसे प्रदान किया जा सके।”

डॉ. रामरखियानी ने कहा “इस पहल के माध्यम से, हमारा उद्देश्य चिकित्सा समुदाय को साक्ष्य-आधारित प्रथाओं और विकसित हो रहे उपचार प्रोटोकॉल के बारे में निरंतर संवाद में शामिल करना है। बेहतर जागरूकता, तेज़ निदान और समन्वित देखभाल के साथ, हम कई मरीज़ों में आजीवन विकलांगता को रोक सकते हैं और स्वास्थ्य लाभ के परिणामों में सुधार कर सकते हैं। समय पर कार्रवाई करने और चिकित्सकों और जनता दोनों को चेतावनी के संकेतों को जल्दी पहचानने के लिए सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।”

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