“स्ट्रोक से बचाव संभव है – जागरूक रहें, समय पर कदम उठाएँ”

जयपुर, 28 अक्टूबर: स्ट्रोक अचानक, किसी को भी, कभी भी हो सकता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है या कोई रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते। परिणामस्वरूप, व्यक्ति की बोलने, चलने-फिरने या सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

आज की तेज़ रफ़्तार जीवनशैली, लंबे कार्य घंटे, तनाव, शारीरिक निष्क्रियता और असंतुलित आहार के कारण 45 वर्ष से कम की उम्र के लोग भी अब स्ट्रोक के बढ़ते खतरे के दायरे में हैं। भारत में स्ट्रोक दीर्घकालिक विकलांगता और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि अधिकांश स्ट्रोक रोके जा सकते हैं। नियमित स्वास्थ्य जांच, स्वस्थ जीवनशैली और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से लगभग 80% स्ट्रोक को रोका जा सकता है।

इस वर्ष का विषय “हर मिनट मायने रखता है” (Every Minute Matters) स्ट्रोक के दौरान समय के महत्व को रेखांकित करता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू होता है, ठीक होने की संभावना उतनी अधिक होती है। हर खोया हुआ मिनट अतिरिक्त मस्तिष्क क्षति का कारण बन सकता है, जबकि बचाया गया हर मिनट व्यक्ति की बोली, गतिशीलता और स्वतंत्रता बनाए रखने में मदद कर सकता है।

स्ट्रोक पहचानने का सरल तरीका – F.A.S.T.
* F – Face (चेहरा): क्या एक तरफ़ चेहरा झुका हुआ है?
* A – Arm (बाँह): क्या एक बाँह कमज़ोर या सुन्न है?
* S – Speech (बोली): क्या बोली अस्पष्ट या असामान्य है?
* T – Time (समय): देर न करें – तुरंत अस्पताल जाएँ।

अगर इनमें से कोई भी लक्षण कुछ सेकंड के लिए भी दिखे, तो इसे गंभीरता से लें और तुरंत आपात चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। शुरुआती उपचार पूरी तरह से ठीक होने और स्थायी विकलांगता के बीच का फर्क पैदा कर सकता है।

डॉ. नीतू रामरखियानी, डायरेक्टर – न्यूरोलॉजी विभाग, फोर्टिस अस्पताल , जयपुर ने कहा, “स्ट्रोक अब केवल बुजुर्गों की बीमारी नहीं रह गई है। आज हमारे पास 3 में से 1 मरीज 45 से कम उम्र के होते हैं, जो तनाव, अनुचित आहार और व्यायाम की कमी से प्रभावित हैं। ज़्यादातर मामलों में यह स्थिति रोकी जा सकती है। अपने रक्तचाप, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करें और शुरुआती संकेतों को कभी नज़रअंदाज़ न करें। समय पर उपचार से मस्तिष्क और जीवन – दोनों बच सकते हैं, क्योंकि ‘टाइम इज़ ब्रेन’।”

 

 

 

 

 

 

डॉ. विकास गुप्ता, एडिशनल डायरेक्टर – न्यूरोलॉजी विभाग, फोर्टिस अस्पताल , जयपुर ने कहा,
“कमज़ोरी, चक्कर आना या बोलने में थोड़ी परेशानी को हल्के में न लें। यह आपके शरीर का चेतावनी संकेत हो सकता है। नियमित व्यायाम करें, पौष्टिक आहार लें, धूम्रपान छोड़ें और तनाव को नियंत्रित रखें। रोकथाम मुश्किल नहीं है – बस नियमितता ज़रूरी है।”

इस विश्व स्ट्रोक दिवस पर, आइए हम सब मिलकर स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानें, तुरंत कार्रवाई करें और अपने आस-पास के लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें — क्योंकि स्ट्रोक से जूझते समय, हर मिनट वाकई मायने रखता है।

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