उदयपुर, 01दिसंबर 2025 : उदयपुर की खाद्य परंपरा मीठे व्यंजनों और तले हुए पकवानों से भरपूर है, जो अक्सर रोज़मर्रा के खाने का हिस्सा बन जाते हैं। हाल ही में आए आँकड़ों के अनुसार, यही खानपान की आदतें और बढ़ती निष्क्रिय दिनचर्या, बच्चों और बड़ों, दोनों में स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा रही हैं।
एक राज्यव्यापी अध्ययन में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में करीब 50% और ग्रामीण इलाकों में लगभग 33% किशोरों में कई तरह के जीवनशैली संबंधी रोगों के जोखिम कारक मौजूद हैं, जो आगे चलकर डायबिटीज़, हृदय रोग और कैंसर जैसे गंभीर जीवनशैली रोगों का कारण बन सकते हैं। शहरी किशोरों में लगभग 12% और ग्रामीण किशोरों में 8% में एक साथ तीन या उससे ज़्यादा जोखिम कारक पाए गए।
अमेरिका स्थित फिज़िशियन्स कमिटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (PCRM) के न्यूट्रिशन वैज्ञानिक डॉ. ज़ीशान अली ने शुरुआती उम्र में बेहतर खानपान की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “शोध से पता चलता है कि स्कूल जाने वाले बच्चों में भोजन की गुणवत्ता का संबंध हृदय स्वास्थ्य से सीधे जुड़ा है। फाइबर और प्लांट-बेस्ड फैट्स का ज़्यादा सेवन करने और अतिरिक्त चीनी वाले पदार्थों को कम करना बेहद ज़रूरी है। यह उन्हें स्वस्थ वजन बनाए रखने में भी मदद करता है, जो लंबी अवधि के स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी है।”
प्लांट-बेस्ड जीवनशैली अपनाने के स्वास्थ्य लाभ केवल वयस्कावस्था में ही नहीं, बल्कि अल्पकाल में भी मिलते हैं। पौध-आधारित आहार लेने वाले किशोरों का वजन सामान्य रूप से संतुलित रहता है। इसके अलावा, स्वस्थ खाद्य विकल्प अपनाने वाले बच्चों में मुँहासे, एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याएँ भी कम पाई जाती हैं।
डॉ. अली ने परिवारों के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव भी दिए: “बच्चों और किशोरों को भोजन के साथ स्वस्थ संबंध बनाने के लिए प्रोत्साहित करना ज़रूरी है। शोध बताते हैं कि किसी नए भोजन को स्वीकार करने में बच्चों को 10 से 12 बार का समय लग सकता है। अगर वे किसी नए भोजन को न खाएँ, तो थोड़ा समय दें और किसी दूसरे दिन फिर से कोशिश करें। चटनी एवम् मसालों का इस्तेमाल करें, और रंग-बिरंगे फल व सब्ज़ियों को अलग-अलग तरीकों से पकाकर देखें।”
जब जीवनशैली रोग कम उम्र में ही बढ़ रहे हों, तो स्वास्थ्य विशेषज्ञों का संदेश बिल्कुल साफ है: रोकथाम की शुरुआत रसोई से होती है। यदि परिवार धीरे-धीरे पौध-आधारित भोजन बढ़ाएँ और मीठे, प्रोसेस्ड तथा पशु-आधारित खाद्य पदार्थ कम करें, तो उदयपुर के बच्चे भविष्य में होने वाली कई गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
पत्रिका जगत Positive Journalism