इस वर्कशॉप का नेतृत्व फॉर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर की स्त्री एवं प्रसूति रोग की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. शालू कक्कड़, डॉ. स्मिता वैद और विशेषज्ञ डॉ. मनीला नैनावत ने किया। इसके अलावा, हेल्थकेयर के कई अन्य विशेषज्ञों ने भाग लिया और उन्होंने नवीनतम शोध और मरीजों के अनुभव साझा किए। कई ज्ञान सत्रों में फैले इस कार्यक्रम में पेल्विक ऑर्गन प्रोलेप्स, मूत्राशय और पेल्विक दर्द सिंड्रोम, स्ट्रेस यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस, प्रसूति चोटें, ट्रॉमा रिपेयर और यूरो-गायनेकोलॉजी में रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पुनर्योजी चिकित्सा की भूमिका जैसे विषयों को शामिल किया गया। लाइव सर्जिकल वीडियो मास्टरक्लास, इंटरैक्टिव सत्र और विशेषज्ञों के साथ एक-एक बातचीत ने प्रतिभागियों को अगली पीढ़ी के समाधानों का व्यावहारिक अनुभव दिया।
वर्कशॉप में बोलते हुए, फॉर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर की स्त्री एवं प्रसूति रोग की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. शालू कक्कड़ ने कहा, “पेल्विक हेल्थ किसी महिला की समग्र भलाई का सबसे संवेदनशील लेकिन अक्सर उपेक्षित पहलू है। इस वर्कशॉप के आयोजन का हमारा उद्देश्य यह दिखाना था कि कैसे आधुनिक चिकित्सा यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस, पेल्विक दर्द और प्रोलेप्स जैसी समस्याओं को सटीकता और सहानुभूति के साथ संबोधित करके जीवन की गुणवत्ता को बहाल कर सकती है। हम प्रमुख विशेषज्ञों के साथ बातचीत करके गायनेकोलॉजिस्ट को व्यावहारिक जानकारी प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाना चाहते हैं, जिसे वे अपनी दैनिक क्लिनिकल प्रैक्टिस में लागू कर सकें।”a
इस बारे में अपना दृष्टिकोण साझा करते हुए, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स जयपुर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. स्मिता वैद ने कहा, “सामाजिक कलंक या जागरूकता की कमी के कारण महिलाएं यूरो-गाइनिकोलॉजिकल समस्याओं के लिए मदद लेने में अक्सर हिचकिचाती हैं। इस तरह के कार्यशालाएं न केवल डॉक्टरों को शिक्षित करती हैं, बल्कि पेल्विक फ्लोर हेल्थ से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में भी मदद करती हैं। रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और पुनर्योजी चिकित्सा पर चर्चा से पता चलता है कि स्त्री रोग का भविष्य तेजी से बदल रहा है, और फोर्टिस इन नवीनतम तकनीकों को मरीजों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
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