Editor-Manish Mathur
जयपुर 01 दिसंबर 2020 – पीरामल फाउंडेशन के सुरक्षित पेयजल अभियान ‘पीरामल सर्वजल‘ ने कम्पोजिट वाॅटर वल्नेरेबिलिटी इंडेक्स (सीडब्लूवीआई) नाम से एक टूल जारी किया है। यह टूल ‘सस्टेनेबल वाॅटर सिक्योरिटी फाॅर अर्बन अंडर सव्र्ड‘ विषय पर आयोजित वेबीनार में जारी किया गया। यह वेबीनार सेंटर फाॅर वाॅटर एंड सेनीटेशन (सीडब्लूएएस) और सेंटर फाॅर एनवाॅयरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलाॅजी (सीईपीटी) के सहयोग से आयोजित किया गया। सीडब्लूवीआई शहरी कच्ची बस्तियों को विभिन्न मापदण्डों जैसे उपलब्धता, पहुंच, गुणवत्ता, निर्भरता और रोग भार के आधार पर रैकिंग के लिए डिजाइन किया गया है। यह टूल पीरामल सर्वजल ने सीडब्लूएएस के सहयेाग से डिजाइन किया है और नागपुर की 23 कच्ची बस्तियों में किए गए पायलट अध्ययन के जरिए इसे प्रदर्शित किया गया। यह अध्ययन नागपुर नगर निगम के सहयोग से किया गया जो स्मार्ट सिटी विचार पर सबसे अच्छा काम कर रहा है।
वेबीनार में मौजूद पैनेलिस्ट का मत था कि यह टूल महाराष्ट्र की 10 स्मार्ट सिटीज में काम लिया जा सकता है और फिर इसे देश की दूसरे स्मार्ट सिटीज के लिए तैयार किया जा सकता है। सीडब्लूवीआई टूल बहुत ज्यादा प्रभावित होने वाले समुदायों और उनकी चुनौतियों को परिभाषित करने और पहचानने में काफी अहम भूमिका निभाएगा। यह पाइप से पेयजल आपूर्ति से वंचित समुदायों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में आ रही मौजूदा समस्या को सुलझाने में प्रशासनिक इकाइयों के लिए भी काफी मददगार साबित होगा।
त्कनीक के इस्तेमाल, नवाचार, क्लाउड कम्प्यूटिंग, डिजीटल फाइनेंस और डवलपमेंट फाइनेंस के जरिए देश में जल प्रबंधन की समस्या का बेहतर तरीके से समाधान किया जा सकता है। इन उपायों के जरिए महिलाओं को जल के लिए सामुदायिक स्तर पर जोड कर महिला सशक्तिकरण का काम भी किया सकता है।
‘सस्टेनेबल वाॅटर सिक्योरिटी फाॅर अर्बन अंडर सव्र्ड‘ विषय पर आयोजित वेबीनार के वक्ताओं में पीरामल ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और पीरामल फाउंडेशन की डायरेक्टर डाॅ. स्वाति पीरामल, महराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के सचिव श्री महेश पाठक, नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ अर्बन अफेयर्स के डायरेक्टर हितेश वैद्य, हार्वर्ड टीएच कैन स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ और हावर्ड टीएच कैन स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ इंडिया रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर व डायरेक्टर डाॅ के विश्वनाथ, ली कुम की, सीडब्लूएएस, सीईपीटी की डायरेक्टर डाॅ. मीरा मेहता, और पीरामल सर्वजल के सीईओ अनुज शर्मा शामिल थे। सीडब्लूएएस, सीईपीटी युनिवर्सिटी के प्रोफेसर दिनेश मेहता ने वेबीनार का संचालन किया।
पीरामल ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और पीरामल फाउंडेशन की डायरेक्टर डाॅ स्वाति पीरामल ने अपने मुख्य सम्बोधन में कहा, ‘‘पिछले कुछ वर्षो में जलस्रोतों को बेहतर बनाने और इन तक पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में अच्छा काम किया है। हमारे एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए यह जरूरी है कि हम सुरक्षित जल प्रबंधन और जलापूर्ति को सुदृढ करने पर फोकस करें। यह काम सुरक्षित पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति से वंचित समुदायों में करना विशेष तौर पर जरूरी है। पीरामल फाउंडेशन में हम हमारी तरह ही काम करने वाले साझेदारों को साथ् जोड़ते हैं, क्योंकि हम सभी तक सुरक्षित व किफायती जलापूर्ति के अपने लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।‘‘
महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री महेश पाठक ने पीरामल फांउडेशन व सीईपीटी द्वारा किए जा रहे बेहतरीन काम की प्रशंसा की। उन्होंने बेहतर जल प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि अपशिष्ट जल की रिसाइक्लिंग और पुनः इस्तेमाल को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के पास अपशिष्ट जल की रीसाइक्लिंग और पुन इस्तेमाल के लिए एक नीति है और कई शहरों जैसे मुम्बई, पूना, नागपुर में इस नीति के तहत काम किया जा रहा है। इसके जरिए ताजा जल स्रोतों पर निर्भरता कम की जा सकती है और जल सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सीईपीटी और पीरामल फाउंडेशन जैसी संस्थाएं महाराष्ट्र के शहरों में काफी सहयोग दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि अमृत 2.0 जल्द शुरू होने वाला है और इसमें जलापूर्ति सेवाओं को बेहतर करने के लिए की जाने वााली गतिविधयों के कई अवसर मिलेंगे।
सीडब्लूएएस की डायरेक्टर डाॅ. मीरा मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षित व किफायती जलापूर्ति सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स के छठे लक्ष्य- सभी के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता की उपलब्धता, को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि एसडीजी- 6 सार्वभौमिक, समान और सस्ती जलापूर्ति पर भी फोकस करता है। उन्होंने गरीबों के लिए और साथ ही स्कूलों व अस्पतालों में अच्छी गुणवत्ता वाले जल की आपूर्ति पर जोर दिया। इन गतिविधियों में महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों की भूमिका को भी रेखांकित किया गया।
हार्वर्ड टीएच कैन स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ और हावर्ड टीएच कैन स्कूल आॅफ पब्लिक हैल्थ इंडिया रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर व डायरेक्टर डाॅ के विश्वनाथ, ली कुम की ने बताया कि कैसे भविष्य में पानी बड़ी समस्या और सभी तरह के संघर्षों का कारण बनने वाला है। उन्होंने पीरामल सर्वजल को कम्पोजिट वाॅटर वल्नरेबेलिटी इंडेक्स (सीडब्लूएआई) जैसा एक नया व शक्तिशाली टूल विकसित करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस टूल में व्यवहार बदलने की क्षमता है और जो कोविड के बाद की दुनिया के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने शहरी नियोजनकर्ताओं के लिए सीडब्लूवीआई को विशेष उपयोगी बताते हुए कहा कि ऐसा टूल इन समुदायों में स्वास्थ्य की स्थिति को बहुत बेहतर ढंग से पकड़ सकता है। यह ना सिर्फ समुदायो को उनकी प्रगति को ट्रैक करने का मौका देता है, बल्कि उन्हें अपनी तुलना दूसरे समुदायों से करने का मौका भी देता है।
पीरामल सर्वजल के सीईओ अनुज शर्मा ने कहा, ‘‘नागपुर मे किए गए इस पायलट अध्ययन से मैक्रो स्तर की चुनौतियां शहर स्तर की चुनौतियों के रूप में सामने आई हैं। अब इन पर विशेष तौर पर काम हो सकेगा और इसका लक्षित प्रभाव होगा। हमें उम्मीद है कि यह अध्ययन अन्य शहरी निकायों को भी अपना आंकलन करने के लिए प्रेरित करेगा। विशेषकर जो लोग कच्ची बस्तियों में रह रहे हैं, उनके लिए आॅफ ग्रिड उपायों की उपयोगिता और ऐसे उपायों के लिए भुगतान करने की इच्छा का पता चल सकेगा। पीरामल सर्वजल में हम यह मानते हैं कि सीडब्लूवीआई जैसे टूल्स के उपयोग से काम करने की सही दिशा मिलती है और हम मानते है कि इसे पूरे देश में स्वीकार किया जाएगा।‘‘
डायरेक्टर नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ अर्बन अफेयर्स के डायरेक्टर हितेश वैद्य ने शहरीकरण के बढते स्तर, सभी को सुरक्षित व समान ढंग से जलापूर्ति की चुनौती और शहरी निकायों द्वारा जलापूर्ति सेवाओं के बेहतर प्रशासन के लिए शोधपरक आंकड़ों की जरूरत के बारे में बात की।
‘सस्टेनेबल वाॅटर सिक्योरिटी फाॅर अर्बन अंडर सव्र्ड‘ विषय पर आयोजित इस वेबीनार में सरकार, शिक्षा जगत, सिविल सोसायटी संस्थाओं, एनजीओ और समुदायों से जुडे विभिन्न लोगों ने भाग लिया। चर्चा में पर्याप्त जलापूर्ति से वंचित लोगों के लिए सस्टेनेबल जल सुरक्षा विकल्पों और सीडब्लूवीआई का उपयोग महाराष्ट्र व देश के अन्य शहरों में किए जाने की सम्भावनाओं पर फोकस किया गया। अन्य शहरी जल सेवाओं के मापदण्डों के स्तर के साथ ही शहरी जल सुरक्षा के लिए पाइप और आॅफ ग्रिड सेवाओं के मिश्रण पर जोर दिया गया।
पत्रिका जगत Positive Journalism