राजकीय चिकित्सालयों में पुराना रिकॉर्ड, नाकारा सामान,अवधिपार दवाएं एक माह में करें निस्तारित -अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

जयपुर 02 मई 2019 चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने प्रदेशभर में राजकीय चिकित्सालयों, डिस्पेंसरी एवं अन्य कार्यालयों में अनुपयोगी वाहन, कबाड़, नाकारा पडे़ सामानों, पुराने रिकॉर्ड एवं अवधिपार दवाइयों का एक माह के भीतर नियमानुसार नष्टीकरण एवं निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं।
श्री सिंह ने बताया कि वर्षाें से निस्तारण के अभाव में इकट्ठा कबाड़, अनुपयोगी वाहन, पुराना रिकॉर्ड, सरप्लस सामान के कारण इन अस्पतालों एवं कार्यालयों में जहां साफ सफाई एवं जगह की समस्या आ रही है, वहीं मरीजों एवं चिकित्साकर्मियों को भी असुविधा हो रही है। खुले में पडे़ वाहन, टायर, कबाड़ में पानी जमा होने से मच्छरों के पनपने की आशंका भी बनी रहती है। इसे देखते हुए सभी संयुक्त निदेशक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों एवं प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिखकर निर्देश दिए गए हैं कि वे माह मई के अन्त तक सम्बन्धित सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों की अनुपालना करते हुए लेखा शाखा के सहयोग से इकट्ठा कबाड़, अनुपयोगी वाहन, पुराना रिकॉर्ड, सरप्लस सामान के निस्तारण एवं नष्टीकरण की प्रक्रिया पूर कर लें। साथ ही की गई कार्यवाही के बारे में सूचना निदेशालय को प्रेषित करें।
विभाग के विशिष्ट शासन सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम डॉ.समित शर्मा ने बताया कि विभाग अपने सभी चिकित्सालयों में गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही इनमें स्वच्छता के लिए लगातार प्रयासरत हैं। पिछले 1 अप्रेल से 15 अपे्रल को मनाए गए स्वच्छता पखवाड़े एवं उसके बाद जिला एवं राज्य स्तरीय निरीक्षणों में सामने आया कि पुराने कबाड़, सरप्लस सामान, अनुपयोगी वाहनों, पुराने रिकॉर्ड के कारण भी इन चिकित्सालयों की साफ-सफाई में समस्या एवं जगह की कमी बनी हुई है। इसके अलावा विभाग का प्रयास है कि इन चिकित्सालयों में आने वाले रोगियों को बेहतर माहौल मिल सके।
मिशन निदेशक ने बताया कि अवधिपार, अनुपयोगी एवं खराब हो चुकी दवाओं के निस्तारण के सम्बन्ध में 2013 में एक नीति जारी की गई थी। इसके अनुसार टूटी-फूटी, खराब, अनुपयोगी एवं अवधिपार दवाओं के निस्तारण की प्रक्रिया तय की गई थी। उन्होंने बताया कि तमाम प्रयासों के बावजूद अपरिहार्य परिस्थितियों मेें कई बार जिला ड्रग वेयर हाउसों पर अवधिपार, खराब, दवाइयों का निस्तारण जरूरी हो जाता है। इसके लिए जिला ड्रग स्टोर प्रभारी, ड्रग कन्ट्रोल ऑफिसर एवं इंटरनल ऑडिटर की एक कमेटी बनाई जाती है। यह कमेटी इन दवाओं के अनुपयोगी होने के कारणों का परीक्षण करेगी। कमेटी उस वित्तीय वर्ष मे ड्रग स्टोर को कुल प्राप्त एवं स्टोर्ड दवाइयों के मूल्य के केवल 0.5 प्रतिशत मूल्य की दवाओें का ही निस्तारण कर सकती है। कमेटी में विस्तृत चर्चा के बाद कमेटी निस्तारण योग्य दवाओं के  पूर्ण कोड, मात्रा, बैच नम्बर, निर्माण दिनांक, एक्सपायरी दिनांक, निर्माता के नाम के साथ इसकी जानकारी ई-औषधि सॉफ्टवेयर पर भी देनी होगी।
डॉ. शर्मा ने बताया कि दवाआें का निस्तारण इनके सुरक्षित निस्तारण की गाइडलाइन के अनुसार किया जाएगा। निस्तारण योग्य दवाओ का मूल्य वार्षिक प्राप्त एवं संधारित दवाओं के कुल मूल्य के 0.5 प्रतिशत से 1 प्रतिशत के मध्य होने पर प्रबन्ध निदेशक आरएमएससीएल एवं अधिक होनेे पर आरएमएससीएल के बोर्ड अॅाफ डायरेक्टर के स्तर पर इनके निस्तारण का निर्णय किया जाएगा।

About Manish Mathur