‘मां से सीखा हर रिश्ते में दोस्ती को प्रमुख रखना’ – अनुपम खेर

Edit-Dinesh Bhardwaj

जयपुर, 21 सितम्बर2020।मैंने अपनी मां से हर रिश्ते में दोस्ती और आत्मीयता निभाना सीखा है। अपने माता पिता ने 59 साल की शादी में पति पत्नी से ज्यादा दोस्तों की तरह अपने रिश्ते निभाए है। इसी एक सीख से मैंने अपने सभी रिश्तों की नींव रखी है। एक पिता, पति, बेटे या सहयोगी की छवि में होते हुए सबसे पहले एक अच्छे दोस्त की भूमिका निभाता हूं। बॉलीवुड एक्टर और राइटर अनुपम खेर कुछ इस अंदाज़ में अपने जीवन से जुड़े अनुभवों को साझा करते दिखे।
उन्होंने रजत बुक कॉर्नर के साथ आयोजित हुए एक वर्चुअल लाइव सेशन के दौरान अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘लेसंस लाइफ टॉट मी अनोयंगली’ के बारे में जानकारी दी।
इस दौरान रजत बुक कॉर्नर से मोहित बत्रा ने खेर से उनके जीवन के कुछ यादगार पलों के बारे जाना साथ ही किताबों से उनके खास लगाव पर चर्चा की। खेर ने बताया कि उनकी पसंदीदा किताबों में से ऑथर मैक्सिम गोर्की की ‘मदर’, ऑथर निकलोई आस्ट्रोवस्की ‘हाउ द स्टील वॉज़ टेम्पर्ड’ की सबसे फेवरेट है। इसी के साथ वे हाल में सदगुरु की लिखित किताबें पढ़ रहे है।

– अमिताभ बच्चन से सीखा कर्मठता –

खेर ने बताया कि मैं एक फिल्म की शूटिंग के लिए चेन्नई में था, उस तेज़ गर्मी में मेरी वैनिटी वैन का एयर कंडीशनर काम नहीं कर रहा था। मैं गर्मी में परेशान फिल्म यूनिट से नाराजगी जाहिर करने लगा। इस दौरान जब मैं शूटिंग सेट पर पहुंचा तो देखा कि अभिनेता अमिताभ बच्चन भरी गर्मी में लेदर जैकेट पहन कर अपने डायलॉग्स पढ़ रहे थे। मैंने उनसे गर्मी का पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘गर्मी के बारे में सोचेंगे तो लगेगी नहीं सोचेंगे तो नहीं लगेगी’। उनकी ये बात मुझे आज भी याद है, उनके इस व्यवहार से मैंने कर्मठता और अपने काम के प्रति लगन रखना सीखा है।

– जो सेल्फ मेड होते है वो किसी से नहीं डरते –

 अपने जीवन के एक बेहद डरा देने वाले किस्से का जिक्र करते हुए अनुपम खेर कहते है कि ‘हम आपके है कौन’ फिल्म की शूट के दौरान उन्हें फेस पैरालिसिस अटैक आया। जिसके चलते उन्हें डॉक्टर्स ने 2 से 3 महीने का बेड रेस्ट दिया। खेर ने बताया कि राजयश्री फिल्म्स द्वारा निर्मित सदी की सबसे बड़ी फिल्म के इस रोल को मैं अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। जिसके चलते प्रोड्यूसर यश चोपड़ा की मदद से मैं फिल्म की शूटिंग के लिए चला आया। इस दौरान मेरा चेहरा टेढ़ा हो गया था, मगर इसी रूप में मैंने कुर्सी पर चढ़ कर ‘मौसीजी मौसीजी..’ वाले सीन को कॉमेडी बना दिया। आज वो सबसे यादगार सीन है, लोग आज भी उस कॉमिक सीन को याद करते है मगर शायद ही किसी को पता होगा कि मैं उस दौरान इन हालातों से गुजरा था। 

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