टाटा पावर के ‘SaheliWorld.org’ की पेशकश ‘वारली आर्ट कलेक्शन’

Editor-Rashmi Sharma

राष्ट्रीय, 23 सितंबर 2020:  टाटा पावर ने विशेष उद्देश्य से शुरू की हुई वेबसाइट ‘SaheliWorld.org’ पर ग्रामीण भारत के स्वयं सहायता समूहों, किसानों और महिला सूक्ष्म उद्यमियों ने बनाए हुए हस्तनिर्मित उत्पादों को एक ही मंच पर प्रस्तुत किया जाता है।  प्राचीन, पारंपरिक कला और कारीगरी से निर्मित उत्पादों को लोकप्रियता और प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से चलाए जाने वाले इस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर आज ‘वारली आर्ट कलेक्शन’ पेश किया गया है।  जव्हार के कारीगरों ने इस कलेक्शन का निर्माण किया है।

 इस कलेक्शन के जरिए 400 सालों से चली आ रही प्राचीन भारतीय कला को पुनर्ज्जीवित करना और लोकप्रिय बनाना, साथ ही आज के युवाओं को पश्चिम भारत की वारली जनजाति की अनूठी जीवनशैली से पहचान बढ़ाने के लिए प्रेरित करना टाटा पावर कंपनी का लक्ष्य है।

नए कलेक्शन में हस्तनिर्मित उत्पादों की विविधतापूर्ण श्रेणी है।  इन उत्पादों की कीमतें किफायती हैं।  इसमें टीशर्ट्स, साड़ियों और कुर्तियों जैसे कपड़ें, कुशन कवर्स, दीवारों की सजावट के लिए वस्तुओं, चित्रों और पर्दों जैसे होम फर्नीशिंग्स, छातें और कोविड के दौरान बहुत ही आवश्यक और उपयुक्त मास्क्स आदि उपयुक्त उत्पाद शामिल हैं।  इन सभी उत्पादों में वारली कला को बहुत ही सोच-समझकर और कलात्मक ढंग से समाविष्ट किया गया है, जिसमें प्राचीन लोक कला और आधुनिकता का बेहतरीन मिलाप है।  युवाओं की रोज़ाना जिंदगी में इन उत्पादों का उपयोग हो सकें इसलिए इस कलेक्शन में टीशर्ट्स, कैप्स, हैंडलूम साड़ियां, छातें और कोविड-19 से संरक्षण करने वाले मास्क्स आदि को शामिल किया गया है।  साथ ही घरों, दीवारों की सजावट के लिए चित्र और वस्तुएं, पर्दें, कुशन कवर्स और अन्य पारंपरिक हस्तनिर्मित वस्तुएं इसमें हैं।

रोज़ाना इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं में कला को शामिल करके वारली कलेक्शन के उत्पादों को तैयार किया गया है।  प्राचीन कला और आधुनिक स्टाइल के बेहतरीन मिलाप को इस कलेक्शन में दर्शाया गया है।  इस कलेक्शन के टीशर्ट्स, साड़ियों पर वारली डिज़ाइन्स हैं, इन कपड़ों को रोज़ाना पहना जा सकता है।  होम फर्नीशिंग्स उत्पादों में वारली चित्रों से सजाए गए पर्दें और कुशन कवर्स हैं जो आपके घर को अनूठी प्राकृतिक सुंदरता प्रदान करते हैं।  फ़िलहाल कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया में फैली हुई अनिश्चितता का सामना करने के लिए विशेष कोविड रिस्पॉन्स कलेक्शन भी पेश किया गया है, इसमें कलात्मक, ट्रेंडी फेसमास्क्स और अन्य संरक्षक वस्तुएं हैं।  वारली डिज़ायनर छातों जैसे सीज़नल उत्पाद और वारली चित्र भी इसमें शामिल हैं।

टाटा पावर के सीईओ और एमडी श्री प्रवीर सिन्हा ने बताया, “टाटा पावर में हम समाज की मदद और समूहों को सक्षम करने के लिए लगातार प्रयास करते हैं।  वारली कलेक्शन पेश हो रहा है यह हम सभी के लिए बहुत ही ख़ुशी की बात है।  वर्तमान चुनौतियों में भी स्वयं-सहायता समूहों को रोजगार पाने के लिए मदद करने का काम इस कलेक्शन से हो रहा है।

टाटा पावर की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस और सस्टेनेबिलिटी चीफ सुश्री शालिनी सिंग ने नए कलेक्शन के बारे में कहा, हमारा नया वारली आर्ट कलेक्शन प्रस्तुत करते हुए हमें बहुत ख़ुशी हो रही है।  वारली कला के सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ावा देना, इस कला को प्रोत्साहन देना, उसका संवर्धन करना हमारे इस कलेक्शन का लक्ष्य है।  कलेक्शन को ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाकर हम इस प्रकार के कला प्रकारों को अप्राकृतिक रूप से नष्ट होने से रोकने और उपभोक्ताओं को इस समृद्ध कला से जोड़ने के लिए प्रयासशील हैं।”

वारली कला की तरह, सहेलीवर्ल्ड के निपुण कारीगरों ने अपने सभी उत्पादों के जरिए अपनी जनजाति को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है।  सुश्री योगिता बोंबाडे बहुत ही बेहतरीन कलाकार और प्रशिक्षक भी है।  हमारे कार्यान्वयन सहयोगी ‘आयुष’ के जरिए वे सहेलीवर्ल्ड के साथ जुड़ गयी। उन्होंने अपनी आज तक की यात्रा के बारे में बताया, “कला और सीखना यह दोनों मुझे पहले से बहुत पसंद हैं।  इसीलिए मैंने एटीडी – आर्ट डिप्लोमा पूरा किया।  उसके बाद मैंने उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया लेकिन मैं फी नहीं भर पायी।  मैं अपनी शिक्षा को अधूरा छोड़ने ही वाली थी, तब मुझे टाटा पावर की सहेलीवर्ल्ड पहल के बारे में जानकारी मिली।  मैंने उन्हें मेरी कला के कुछ नमूनें दिखाए, जो उन्हें बहुत अच्छे लगे।  मुझे उनके द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण और जानकारी आदानप्रदान कैम्प्स में शामिल होने का अवसर मिला।  इससे मुझे और आगे कला निर्माण में मदद मिली, मुझे रोजगार मिलने लगा और उससे मैं अपनी शिक्षा को जारी रख पायी।”

 सुश्री योगिता की तरह आज 500 से ज्यादा सदस्य ‘SaheliWorld.org’ से जुड़े हुए हैं।  इस पहल के जरिए कंपनी ने अलग-अलग पारंपरिक कलाओं के बारे में जागरूकता फैलायी है, हमारी प्राकृतिक, सांस्कृतिक परंपरा की समृद्ध धरोहर का संवर्धन किया है, इतनाही नहीं, अपने सदस्यों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाकर उनका जीवन सक्षम बनाया है।

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