ट्रुथटाॅक्स में जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण ने कहाः सत्य को उसकी पूर्णता में समझना आवश्यक

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 06 अक्टूबर 2020 – सत्य विज्ञान फाउंडेशन की ओर से आयोजित ट्रुथटाॅक्स सीरीज की दूसरी टाॅक में भारत के दिग्गज न्यायविदोें में से एक न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्ण के साथ चर्चा रखी गई। टाॅक का संचालन, अर्थशास्त्र और प्रशासनिक कानून मामलों के अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरसेन ने किया।

सत्य विज्ञान फाउंडेशन और देश अपनाएं व इनाम ग्रुप के सह-संस्थापक वल्लभ भंसाली की एक पहल ट्रुथटाॅक्स उन्हें सामने लाती हैं, जिन्होंने सत्य के साथ बहुत ‘प्रयोग’ किए हैं। जिन्होंने सत्य को केवल नैतिक मूल्य या एक कानूनी दायित्व से बढ़कर आचरण के मूल स्वभाव के हिस्से के रूप में समझने के प्रयास किए हैं। मकसद है कि समाज भले ही पूरी तरह से सच्चा बन पाए या नहीं लेकिन हमारे जीवन में सत्य का अंश बढ़ाते हुए अधिक शांति, अधिक विश्वास, अधिक सम्मान और अधिक संतुष्टि शामिल हो।

न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने सत्य विज्ञान फाउंडेशन द्वारा आयोजित दूसरी ट्रुथटाॅक्स में पूछे गए सवालों के जवाब दिए ताकि हमारे भीतर की शांति और बाहरी समृद्धि, दोनों में इजाफा हो। अग्रणी अधिवक्ता सोमशेखर सुंदरसेन ने इस दौरान मुंबई दंगों में एक न्यायाधीश की सीमाओं से लेकर कूटनीतिक वास्तविकताओं, संतानों में मूल्यों को रोपने, कॉर्पोरेट लालच, संतुलित आर्थिक विकास, पूर्ण सत्य से लेकर सापेक्ष सत्य तक, कई सवाल उठाए।

विद्वान न्यायाधीश ने अपने उत्तरों के समर्थन में भारतीय धर्मग्रंथों के श्लोकों से लेकर पश्चिमी दार्शनिकों के सिद्धांतों सहित संविधान और अदालती केसों के उदाहरण उद्धृत किए। न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने कहा कि हालांकि सत्य ही दुनिया में स्थायी है पर हमारे व्यवहार में सत्य को समय और स्थान के सापेक्ष देखा जाना चाहिए। इसी तरह, सापेक्ष सत्य को हमेशा पूर्ण सत्य के संदर्भ में बोला और समझा जाना चाहिए।

उन्होंने यह कहते हुए इसे स्पष्ट किया, ‘अगर मैं कहता हूं कि मेरा फोन काला है, तो इसका मतलब यह होना चाहिए कि जिस समय मैं इसे देख रहा हूं, वास्तव में मैं पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ इसे इस समय काले रंग में देख रहा हूं। हालांकि, जो कुछ भी इसके बीच अनकहा रह गया है, उसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, वह यह है कि अन्य प्रकाश या गर्मी की स्थिति में यह काला नहीं भी हो सकता है।’

प्रख्यात न्यायाधीश ने कहा, ‘आमतौर पर सामान्य या लोकप्रिय अपेक्षा यही रहती है कि जो ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए अच्छा है, वही सत्य है। धारणा यह है कि हर किसी की सोच समान है, हर किसी के दिमाग में इस तरह का विचार निहित है और हर कोई ईमानदार और सच्चा है। तो यह एक प्रकार मानसिकता है। वृत्ताकार तर्क दिया जाता है कि आप सत्य की खोज नहीं कर सकते हैं जब तक कि आप सच्चे नहीं हैं और जब तक आप सच्चे नहीं हैं, तब तक आपको सत्य मिलेगा नहीं। समाज हमारे सामने ऐसी दुविधा खड़ी करता है, जिसे दूर करने की आवश्यकता है।’

न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने अपनी बात को पूरी तरह स्पष्ट करने के लिए कई उदाहरण दिए। जैसे एक न्यायाधीश के रूप में अपनी भूमिका को लेकर एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा ‘एक न्यायाधीश संविधान में निर्धारित कर्तव्यों से बंधा है। उसे बिना किसी डर या प्रलोभन अपना काम करना होगा और वह लोकप्रिय या प्रचलित धारणा में नहीं बह नहीं सकता। वह अपने सामने रखी गई सामग्री के बाहर तथ्यों या विचारों को नहीं जोड़ सकता है।’

प्रख्यात न्यायमूर्ति ने कहा, ‘सत्य, धर्म का एक पहलू है। तो आखिरकार ऐसा क्या है जो आपको करने की आवश्यकता है, आपको धर्म को प्रतिष्ठित करना होगा।‘ उन्होंने कहा कि सत्य का अभ्यास धर्म की आधारशिला है जैसे कि ‘अगर किसी को झूठ बोलना पसंद नहीं है, तो उसे दूसरों से झूठ नहीं बोलना चाहिए।‘ सभी उत्तर इस एक सिद्धांत से लिए जा सकते हैं।

कॉरपोरेट जगत के लिहाज से ‘सत्य’ और ‘न्यायसंगत’ के बारे में पूछे जाने पर न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण ने कहा कि काॅरपोरेशन के संबंध में कॉरपोरेशन के उद्देश्य को लेकर इसे चलाने वाले अग्रणी व्यक्तियों के विजन से फर्क पड़ेगा। आधुनिक दुनिया की आवश्यकता और प्रगति बहस का एक अलग मुद्दा है। सत्र के दौरान उन्होंने यह भी देखा कि ‘कूटनीति प्रभावी ढंग से बोलना है, झूठ या आपत्तिजनक नहीं बोलना है।’

जनता में फैले भ्रमों का निराकरण करने के लिए ट्रूथटाॅक्स की ओर से समय-समय पर प्रख्यात हस्तियों को आमंत्रित किया जाता है जो अपने सत्यपूर्ण जीवन और शब्दों के आलोक के साथ मार्गदर्शन करते हैं।

देश अपनाएं और इनाम समूह के सह-संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक वल्लभ भंसाली ने कहा, ‘न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्ण ने एक सामान्य व्यक्ति के दृष्टिकोण से सत्य के क्षेत्र को अलग-अलग तरीकों से समझाया है। यह हमारा सौभाग्य है कि उनके बेजोड़ ज्ञान और अनुभव से हमें सीखने को मिला।

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सत्य विज्ञान और देश अपनाएं फाउंडेशन के बारे में –

देश अपनाएं के एक विभाग, सत्य विज्ञान फाउंडेशन का उद्देश्य जीवन के कार्यकलापों के मुख्य तौर पर सत्य को अपनाने से है। देश अपनाएं का उद्देश्य तीन विषयों के आसपास एक जवाबदेह नागरिकता और समाज का निर्माण करना हैः नागरिक शिक्षा, स्वयंसेवकता और अपने आसपास के लोगों से सद्भाव। इसका स्कूल कार्यक्रम देश अपनाएं एक्टिजेन क्लब, छात्रों को नेतृत्व कौशल में सुधार करने, सामुदायिक सेवा पहल पर काम करने और हर सप्ताह नई गतिविधियों में भाग लेने का मौका देता है। शिक्षकों को भी बिना किसी लागत के आकर्षक शिक्षा सामग्री प्राप्त करने की सुविधा मिलती है।

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