बैंक ऑफ बड़ौदा ने भावनात्‍मक कल्‍याण के लिए अग्रणी कदम उठाया – कर्मचारी सहायता कार्यक्रम किया शुरू

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 05 नवंबर 2020 : बैंक ऑफ बड़ौदा, जो भारत का प्रमुख सरकारी बैंक है और अनेक नई-नई परिकल्‍पनाओं, पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं को लाने व अपनाने में अग्रणी रहा है, ने अब कर्मचारियों के हित में नया ‘इंप्‍लॉयी असिस्‍टेंस प्रोग्राम (कर्मचारी सहायता कार्यक्रम)’ शुरू किया है।

इंप्‍लॉयी असिस्‍टेंस प्रोग्राम का उद्देश्‍य, साइकोलॉजिकल काउंसलिंग एवं कंसल्टिंग प्रोग्राम के जरिए व्‍यक्तिगत एवं पेशागत समस्‍याओं को हल करने में कर्मचारियों की सहायता करना है। वर्कप्‍लेस काउंसलिंग का महत्‍व समझ चुकने के बाद, बैंक ने इन समस्‍याओं को हल करने और कर्मचारियों के मनोबल को बनाये रखने में सहायता हेतु यह पहला कदम उठाया है। बैंक द्वारा शुरू में मुंबई ज़ोन एवं अपने कॉर्पोरेट ऑफिस में यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसमें ईएपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से पर्सनल काउंसलिंग के अलावा कई चैनलों के जरिए सहायता प्रदान करते हुए प्रौद्योगिकी का व्‍यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।

बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, श्री संजीव चड्ढा ने कहा, ”वर्तमान परिदृश्‍य में कार्यस्‍थल पर काउंसलिंग अधिक महत्‍वपूर्ण हो गया है, चूंकि कार्यस्‍थल पर भावनात्‍मक पहलुओं और तनाव ने कर्मचारियों के स्‍वास्‍थ्‍य को अत्‍यधिक प्रभावित किया है। विशेषीकृत सेवा प्रदाता के सहयोग से बैंक द्वारा उपलब्‍ध करायी जाने वाली यह सेवा सुरक्षित, अनालोचनात्‍मक एवं अत्‍यंत गोपनीय है और यह कर्मचारियों व उनके परिवारों के लिए 24/7 उपलब्‍ध है।”

बैंक के कार्यकारी निदेशक, श्री एस.एल. जैन ने कहा, ”हमारे बैंक में कर्मचारी सहायता प्रोग्राम को लागू करने का उद्देश्य कर्मचारियों का भावनात्‍मक रूप से बेहतर ख्‍याल रखना है, जिससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़े और खुशहाल एवं सकारात्‍मक कार्य परिवेश बने जिसका उत्‍पादकता पर सकारात्‍मक प्रभाव पड़े।”

श्री प्रकाश वीर राठी, महाप्रबंधक (एचआरएम) ने बताया, ”बैंक के लगभग 60 प्रतिशत कर्मचारियों की उम्र 18-35 वर्ष है। उन्‍हें प्राय: सहकर्मियों/साथियों के प्रभाव, कॅरियर एवं महत्‍वाकांक्षा से जुड़ी समस्‍याओं, संबंध/समायोजन संबंधी समस्‍याओं आदि का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थितियों में, विशेषज्ञों की काउंसलिंग से काफी सहायता मिलेगी और उनकी भावनात्‍मक चिंताओं को दूर करने में समय से सहयोग मिल सकेगा।”

यह बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा की गयी एक प्रमुख एचआर पहल है जिसको लेकर विश्‍वास है कि यह इसके कर्मचारियों के भावनात्‍मक कल्‍याण एवं जुड़ाव को बेहतर बनाने में महत्‍वपूर्ण रूप से सहयोगी साबित होगा।

About Manish Mathur