एमपीयूएटी में आईओटी आधारित सोलर ऊर्जा चलित वायरलैस मृदा स्वास्थ्य टावर की शुरूआत

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 08 दिसंबर 2020 – 21वीं सदी इंटरनेट एवं मोबाइल का युग है। संचार एवं इंटरनेट आधारित दूर संवेदी तकनीकों का विकास विश्व में तेजी से हो रहा है। इन तकनीकों के उपयोग से कृषि में मृदा, जल, ऊर्जा, प्रबंधन तथा मार्केटिंग में उपयोग कर कृषि को समय, उपयोग एवं लाभ को बढ़ाया जा सकता है। एमपीयूएटी प्रदेश का अग्रणी विश्वविद्यालय है जहाँ आईओटी आधारित मृदा वायरलैस टॉवर की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने इस सुविधा का उद्घाटन किया।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने पिछले एक वर्ष में कृषि से डिजीटलीकरण के प्रदत्तों पर आधुनिकतम तकनीकों के माध्यम से कार्य किया है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय से सीटीएई महाविद्यालय के टेक्नोलॉजी फार्म पर क्लाऊड सर्वर आधारित मोबाइल तथा लेब कम्प्इट चलित मृदा स्वास्थ्य टॉवर की स्थापना की है। इस तकनीक से मिट्टी के तापमान, लवण, नमी, पोषक तत्व (एन पी के), ईसी आदि कारकों का दूर संवेदी सिंग्नल के माध्यम से मॉनीटर किया जाता है। इनसे प्राप्त परिणामों से समय पर मिट्टी में उचित पोषक तत्वों, नमी, लवण आदि को सटीकता से आकलन कर मृदा स्वास्थ्य तथा मृदा उर्वरता का ऑटो-आकलन कर सटीक प्रबंधन किया जा सकता है। इससे समय की बचत, पानी, पोषक तत्व एवं ऊर्जा की बचत होगी। इससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को नवीनतम तकनीकी से मृदा प्रबंधन एवं खेती के नए गुर सीख सकेंगे। उच्च तकनीक के सेन्सर से लैस यह टॉवर 0.5 प्रतिशत टोलरेन्स पर काम करेगा। उच्च तकनीकी आईओटी आधारित इस सुविधा में कृषकों को प्रत्येक घंटे मृदा की जानकारी उनके मोबाईल पर मिलेगी। इस तकनीक के स्थापित होने से कृषकों का खेती में उर्वरकों एवं पानी का उपयोग कम होगा तथा फसल की लागत कम होगी। इसके अलावा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को मृदा आधारित शोध में त्वरित जानकारी उपलब्ध होगी, जिससे मृदा के कारण फसल खराब होने से रोका जा सकेगा।

यह टॉवर सीटीएई के विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील जोशी एवं महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ अजय शर्मा के मार्गदर्शन में पूरा किया गया। इसकी उपयोगिता पर डॉ. एस. के शर्मा, अनुसंधान निदेशक ने कहा कि इस विधि द्वारा किसान अपनी भूमि की उर्वकता शीघ्र ही जाँच सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि जिस प्रकार मेडिकल एवं इंजीनियरिंग सेक्टर में डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है, कृषि क्षैत्र में भी डिजिटलाइजेशन का असर बढ़ता जा रहा है। इससे मिट्टी, जल तथा फसल एवं फसल सुरक्षा की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी। बड़े फार्म पर इस प्रकार के आई ओ टी आधारित अभिनव तकनीकों का व्यापक स्कोप है। कृषि विद्यार्थी इस क्षेत्र में अपना व्यवसाय एवं कन्स्लटेन्सी की शुरूआत कर सकते हैं। भविष्य में इस यूनिट की व्यवसायिक उपयोग हेतु प्राइवेट पार्टनर्स का चयन कर, मिशन मोड़ पर कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा किया जाएगा।

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