2020 में लोगों की पसंदीदा कॉस्मेटिक ट्रिटमेंट-डॉक्टर प्रियंका रेड्डी

Editor-Manish Mathur

जयपुर 09 दिसंबर 2020 – कॉस्मेटिक इंडस्ट्री की यही खूबसूरती है कि यह हमेशा विकास करती रहती है। समाज के लिए सुंदरता की परिभाषा लगातार बदल रही है और इसलिए इसके प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव आ रहा है। नई तकनीकों के आधार पर नए– नए आविष्कार किए जा रहे हैं और लोग समाज द्वारा निर्धारित सौंदर्य मानकों पर खड़ा उतरने के लिए नए उपचारों को खुले मन से आज़मा रहे हैं। डिजिटलीकरण की शुरुआत के साथ ज्यादा–से–ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुँच रही है और नवीनतम ट्रेंड के अनुसार खुद को संवारने के लिए वे इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइटों पर मशहूर हस्तियों की नकल भी कर रहे हैं। साल 2020 में इन नवीनतम कॉस्मेटिक उपचारों के ट्रेंड में रहने की उम्मीद है।

  • प्रिवेंटिव इंजेक्शंस

इलाज़ से बेहतर है रोकथाम; यह एहसास सौंदर्य उद्योग की सूरत बदल रहा है। सौंदर्य प्रक्रियाओं का अनुरोध 40 से 50 वर्ष के बीच की महिलाएं तक ही सीमित नहीं होगा। 20 से 30 वर्ष के बीच की युवतियां भी यह समझने लगीं हैं कि जितनी जल्दी एंटी–एजिंग ट्रीटमेंट शुरु कराई जाएगी, ट्रीटमेंट उतना ही असरदार रहेगी। युवा पीढ़ी में नॉन– इनवैसिव और लो–डाउनटाइम कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट की मांग बढ़ रही है। ज्यादातर लोग झुर्रियों को हटाने वाले इंजेक्शन जैसे बोटॉक्स की मांग कर रहे हैं। एक और लोकप्रिय विकल्प है प्रिवेंटेटिव डर्मल फिलर्स जिसका इस्तेमाल चेहरे के अलग– अलग हिस्सों जैसे गालों, जॉलाइन या होठों पर वॉल्यूम एवं आकार देने के लिए किया जा सकता है। अब हमारे पास ऐसे फिलर्स भी हैं जो कान्टुर या फिलिंग में बदलाव किए बिना आपकी त्वचा की नमी को बढ़ा सकते हैं। ये बिल्कुल नए फिलर्स हैं जो आपकी त्वचा को भीतर से नम बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। लंबे समय में, ये त्वचा की बूढ़ी होने की प्रक्रिया को धीमा करेगा क्योंकि नम त्वचा स्वस्थ त्वचा होती है और ऐसी त्वचा की उम्र भी अधिक होगी।

  • थ्रेड फेसलिफ्ट्स

थ्रेड फेसलिफ्ट चेहरे की त्वचा के ढीलेपन को दूर करने का सबसे नया तरीका है। हाल तक, इस समस्या को दूर करने का एक मात्र तरीका था फेशल सर्जरी। लेकिन तकनीक में हुई प्रगति ने थ्रेड लिफ्ट का तरीका दिया। यह चेहरे और गले के लिए कारगर और मामूली परेशानी वाली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में, “लिफ्ट” करने क लिए त्वचा के भीतर अस्थायी धागे डाले जाते हैं। फेसलिफ्ट सर्जरी के मुकाबले थ्रेड लिफ्ट के कई लाभा हैं, सबसे बड़ा लाभ है– रिकवरी में लगने वाला कम समय। हालांकि सर्जरी कराने पर मरीजों को ठीक होने के लिए अपने काम से कुछ समय के लिए छुट्टी लेनी पड़ती है लेकिन थ्रेड लिफ्ट के बाद मरीज़ लगभग तुरंत ही अपने रोजमर्रा के काम पर वापस लौट सकते हैं। चूंकि थ्रेड लिफ्ट में बहुत कम चीड़–फाड़ होती है इसलिए इसमें खून के निकलने, घाव होने या गंभीर चोट लगने जैसा कोई खतरा नहीं होता।

  • पेनलेस बॉडी कान्टुरिंग

एक बार फिर, जब बात शरीर की चर्बी कम करने हो तो चीड़–फाड़ मुक्त प्रक्रियाएं लोकप्रिय हो रही हैं। हाल के कुछ वर्षों में, नॉन–सर्जिकल प्रक्रियाओं जैसे टेम्परेचर–बेस्ड फैट रिडक्शन और स्किन टाइटनिंग, की मांग बढ़ी है। इस प्रकार के उपचारों में मांसपेशियों की सिकुड़न को दूर करने के लिए फोकस्ड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी का प्रयोग किया जाता है जो न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूत बनाती है बल्कि चर्बी को भी पिघलाने का काम करती है। यह लगभग तत्काल रिकवरी वाली एक साधारण प्रक्रिया है। हालांकि, मरीजों को एक से अधिक सेशंस लेने की जरूरत पड़ सकती है।

  • फेशल कान्टुरिंग प्रोसीज़र्स

चूँकि अब हर किसी के पास सूचनाओं तक पहुँच पहले के मुकाबले अधिक है इसलिए फेशल कान्टुरिंग जैसी प्रक्रियाएं चेहरे की सामान्य दिखावट में सुधार के उद्देश्य के साथ लोकप्रिय हो रही हैं। सपाट होठों या नाक वाले मरीज फिलर्स कराने का विकल्प चुन रहे हैं क्योंकि ये उनके चेहरे को कहीं अधिक कान्टुर बना सकते हैं। फिलर्स का प्रयोग उन हिस्सों को प्लंप अप करने में किया जा सकता है जिनमें युवावस्था में वॉल्यूम नहीं था या जो हिस्से उम्र बढ़ने के साथ अपना वॉल्यूम खोने लगे हों। इस वर्ष प्राकृतिक रूप से कॉन्टूर होठों की मांग भी बढ़ने की आशा है। सामग्रियां उपबल्ध हैं जिन्हें लिप फिलर्स के स्पष्ट संकेतों को दर्शाए बिना होठों में इंजेक्शन के माध्यम से डाल कर मरीज के होठों को प्लंप बनाया जा सकता है। हायलूरॉनिक एसिड से बने अस्थायी फिलर्स का विकल्प अच्छा है जो होठों को अधिक नेचुरल लुक देते हैं और इनमें समय के साथ घुल जाने की क्षमता भी होती है।

  • माइक्रोब्लैडिंग

फुलर आइब्रोज़ लेटेस्ट ट्रेंड हैं। लगभग नेचुरल– लुक वाली मोटी भौहों के लिए और रोज– रोज आइब्रो पेंसिल से उन्हें आकार देने की झंझट से बचने के लिए ज्यादातर लोग माइक्रोब्लैडिंग का विकल्प चुन रहे हैं। यह एक सेमी–पर्मानेंट टैटू तकनीक है जिसमें त्वचा में पिगमेंट डालने और आइब्रो को मोटा दिखाने के लिए छोटी– छोटी सूईयों वाली, हाथों से चलाए जाने वाले एक छोटे टूल का उपयोग किया जाता है।

लेखिका – डॉक्टर प्रियंका रेड्डी (Dr.Priyanka Reddy)-त्वचा विशेषज्ञ, कॉस्मेटोलॉजिस्ट, ट्राइकोलॉजिस्ट, डीएनए (DNA) स्किन क्लीनिक, बैंगलोर के संस्थापक।

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