भारत में न्याय प्रदान करने में महाराष्ट्र सबसे आगे

Editor-Manish Mathur

 जयपुर 28 जनवरी 2021 : इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के द्वितीय संस्करण की आज घोषणा की गई. लोगों को न्याय प्रदान करने में भारत के राज्यों की इस एकमात्र रैंकिंग रिपोर्ट में 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों (प्रत्येक एक करोड़ से अधिक आबादी वाला राज्य) में महाराष्ट्र ने एक बार फिर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है. इसके बाद तमिलनाडु (2019 में तीसरा स्थान), तेलंगाना (2019 में 11वाँ), पंजाब (2019 में 4था) और केरल (2019 में दूसरा स्थान) ने क्रमशः दूसरा, तीसरा, चौथा और पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया है. सात छोटे राज्यों (एक करोड़ के कम आबादी वाले राज्य) की सूची में शीर्ष पर त्रिपुरा (2019 में 7वाँ) और उसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः सिक्किम (2019 में 2रा) और हिमाचल प्रदेश (2019 में 3रा) है.

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आइजेआर) टाटा ट्रस्ट्स की पहल है जिसे सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कामनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, दक्ष, टीआईएसएस-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पालिसी और हाउ इंडिया लिव्स का सहयोग प्राप्त है. प्रथम आइजेआर 2019 में जारी की गई थी.

14 महीनों की श्रमसाध्य मात्रात्मक शोध के माध्यम से इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2020 ने एक बार फिर राज्यों द्वारा सभी को प्रभावकारी ढंग से सेवाएँ देने के लिए न्याय प्रदान करने के अपने-अपने ढाँचों में की गयी प्रगति की खोज की है. इसमें नवीनतम आंकड़ों और परिस्थितियों का विचार किया गया है जैसी वे मार्च 2020 के पहले थीं. इसमें न्याय के चार स्तंभों – पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और कानूनी सहायता पर आधिकारिक सरकारी स्रोतों के अन्यथा बंद पड़े आंकड़ों को एक साथ पेश किया गया है.

अखिल भारतीय तस्वीर को मिलाकर रिपोर्ट के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं. भारत में कुल न्यायाधीशों में महिलाओं का अनुपात केवल 29% है. देश के दो-तिहाई कैदी अभी अंडरट्रायल हैं. 1995 के बाद पिछ्ले 25 वर्षों में केवल 1.5 करोड़ लोगों को कानूनी सहायता मिली है, जबकि देश की जनसंख्या की 80% आबादी इसकी पात्र है.

राज्य के अपने घोषित मानदंडों और मानकों के आलोक में बजट, मानव संसाधन, कर्मी कार्यभार, विविधता, अवसंरचना और प्रवृत्ति (पाँच वर्षों की अवधि में सुधार की आकांक्षा) के नजरिए से प्रत्येक स्तम्भ का विश्लेषण किया गया था. इन प्रसंगों के आधार पर रिपोर्ट में इसका मूल्यांकन किया गया है कि सभी 29 राज्यों और 7 संघ-शासित क्षेत्रों ने स्वयं को योग्य बनाया है, और उनमें से प्रतिस्पर्धा की भावना का परिचय देने वाले 18 बड़े और मध्यम आकार और 7 छोटे आकार के राज्यों की रैंकिंग निर्धारित की गई.

रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश (सेवानिवृत्तमदन बी. लोकुर ने कहा, “राज्यों की रैंकिंग करते समय, रिपोर्ट एक राज्य को दूसरे के खिलाफ नहीं दर्शाती है – यह प्रत्येक राज्य में प्रत्येक स्तंभ की ताकत और कमजोरियों को उजागर करती है, जिससे आंतरिक मूल्यांकन को बढ़ावा मिलता है। साथ ही यह न्याय के वितरण में सकारात्मक बदलाव लाएगी। यह रिपोर्ट राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य को अपने लोगों को सर्वोत्तम संभव न्याय प्रदान करने के लिए प्रतियोगिता में स्थान देती है।”

श्री एन श्रीनाथ, टाटा ट्रस्‍ट्स के सीईओ ने कहा, “2019 और अब 2020 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट नीति निर्माताओं और सिविल सोसायटी के लिए सबूत का आधार बनाने में उल्‍लेखनीय योगदान देगी। ताकि हम सभी के फायदे के लिए शुरुआती सुधारों को आरंभ किया जा सके।”

सुश्री श्लोका नाथहेड- पॉलिसी एवं एडवोकेसीटाटा ट्रस्ट्स ने कहा: “इंडिया जस्टिस रिपोर्ट न्याय वितरण के सभी स्तंभों – पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता का एक तंत्र के रूप में आंकलन करती है। भारत में न्याय प्रणाली पर अत्यधिक बोझ है और इस बात पर बल दिया जाता है कि अधिकांश लोगों के लिए न्याय सेवाओं तक पहुंच बनाना मुश्किल है। यह रिपोर्ट चार स्तंभों के आंकड़ों के माध्यम से समग्र तौर पर तंत्र के रहस्यों को उजागर करती है। हमें उम्मीद है कि पहली रिपोर्ट की तरह यह दूसरा संस्करण भी एक अधिक सूचित प्रवचन को बढ़ावा देता है और शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह नीति निर्माताओं के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है और अन्य हितधारकों को त्वरित मरम्मत के लिए क्षेत्रों की पहचान करता है।”

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2019 की चीफ एडिटर सुश्री माजा दारुवाला ने कहा, “न्याय प्रणाली बहुत लंबे समय से उपेक्षित है। इसने सह-रुग्णता, सभी स्तरों पर बड़ी संख्या में रिक्तियों, खराब बुनियादी ढांचे और अपर्याप्त प्रशिक्षित कर्मियों के साथ महामारी के दौर में प्रवेश किया। इसे एक आवश्यक सेवा के रूप में नामित किया जाना चाहिए और जनता को हर स्थिति में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए पहले उत्तरदाता के रूप में सुसज्जित किया जाना चाहिए, विशेष रूप से आपात स्थिति और निश्चित रूप से वर्तमान महामारी में। ”

नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉराजीव कुमार ने कहा, “न्‍याय प्रदान करना एक बेहद आवश्‍यक सेवा है जिस पर दूसरे विकासीय लक्ष्‍यों की सफलता निर्भर करती है। मैं रिपोर्ट का दूसरा संस्‍करण लाने के लिए इंडिया जस्टिस रिपोर्ट टीम की प्रशंसा करता हूं। नीति आयोग में हम संपूर्ण जस्टिस डिलीवरी को सुधारने पर व्‍यापक चर्चाओं को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। आइजेआर 2020 राज्‍यों को तात्‍कालिक सुधार के क्षेत्रों को पहचानने में मदद करती हैं। उम्‍मीद है कि यह रैंकिंग्‍स उन्‍हें और ज्‍यादा बेहतर करने का प्रोत्‍साहन देंगी।”

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