एस्ट्राज़ेनेका के डॅपग्लीफ़्लोज़िन को भारत में किडनी की गंभीर बीमारी पर इलाज में उपयोग को मिली अनुमति

Editor-Ravi Mudgal

जयपुर 12 फरवरी 2021  – एस्ट्राज़ेनेका इंडिया (एस्ट्राज़ेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड) इस विज्ञान से प्रेरित अग्रणी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी ने आज घोषित किया है कि उन्हें उनकी डायबिटीज की दवाई डॅपग्लीफ़्लोज़िन को भारत में स्टेज – 3 तक पहुंचे हुए मरीज़ों पर इलाज के लिए इस्तेमाल करने के मार्केटिंग अधिकार मिले हैं।  इस अनुमति ने भारत में नेफ्रोलॉजिस्ट्स के लिए डॅपग्लीफ़्लोज़िन टैबलेट्स (10 एमजी) एक नयी बीमारी पर इलाज में इस्तेमाल करने का रास्ता खुल चूका है। एस्ट्राज़ेनेका का डॅपग्लीफ़्लोज़िन अपनी श्रेणी की पहली ऐसी दवाई है तो क्रोनिक किडनी डिसीज़ के पीड़ितों पर इलाज में प्रभावकारी और सुरक्षित होने के नतीजें पाए गए हैं। इस अध्ययन से पता चला है कि डॅपग्लीफ़्लोज़िन से टाइप-2 डायबिटीज के और जिन्हें डायबिटीज नहीं है ऐसे मरीज़ों में क्रोनिक किडनी डिसीज़ का बढ़ना कम करने में लक्षणीय लाभ हासिल होते हैं।  डीएपीए-सीकेडी अध्ययन के प्रभाव और सुरक्षा के आधार पर 30 मार्च 2020 को वैश्विक स्तर पर यह नतीजें पाए गए हैं।

 किडनी की गंभीर बीमारी (क्रोनिक किडनी डिजीज) यह एक नयी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। 2015 के ग्लोबल डिसीज़ बर्डन रिपोर्ट के अनुसार जिन बिमारियों की वजह से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं उनकी सूचि में सीकेडी का स्थान 12 वा था, दस सालों में मृत्यु दर 37.1%  बढ़ा है। यह बहुत ही चिंताजनक और लगातार गंभीर हो रही स्थिति है, इस बीमारी में किडनी ख़राब हो जाती है या काम करना बंद कर देती है।  दुनिया भर के करीबन 70 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उनमें से कई लोगों में इस बीमारी का निदान भी नहीं किया गया है। अनुमान है कि भारत में सीकेडी की मात्रा 17.2% है, जिसके अनुसार मरीज़ों की संख्या >1 बिलियन होगी।  सीकेडी मरीज़ों की बढ़ती संख्या आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं और वित्तव्यवस्था दोनों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन सकती है। बढ़ता मृत्यु दर और हृदय बंद पड़ने जैसी ह्रदय की बिमारियों का बढ़ना, अकाल मृत्यु आदि सीकेडी से जुड़े हुए हैं। सीकेडी के कारण होने वाली समस्याओं पर इलाज, दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन गुर्दे संबंधी बिमारियों पर सीधे प्रभाव करने की क्षमता इनमें से बहुत कम दवाइयों में है।

 डीएपीए-सीकेडी पहली ट्रायल है जिसमें टाइप-2 डायबिटीज वाले या जिन्हें डायबिटीज नहीं है ऐसे सीकेडी मरीज़ों में सुधारों के सहित प्रभाव पाया गया है।

 एस्ट्राज़ेनेका इंडिया के मेडिकल अफेयर्स एंड रेगुलेटरी के वाईस प्रेसिडेंट डॉ. अनिल कुकरेजा ने कहा, “असंचारी बिमारियों पर नए समाधान ढूंढ़ निकालने में एस्ट्राज़ेनेका हमेशा अग्रसर रहती है। फ़िलहाल कई थेरपी उपलब्ध हैं लेकिन सीकेडी के प्रभावकारी प्रबंधन में दुनिया भर में कई अभाव महसूस किए जा रहे हैं। भारत में सीकेडी पर इलाज में डॅपग्लीफ़्लोज़िन के उपयोग को अनुमति दी जाने की वजह से पहले से प्रभावकारी टाइप-2 डायबिटीज और ह्रदय की बिमारियों पर चुनिंदा इलाज अब नेफ्रोलॉजिस्ट्स द्वारा क्रोनिक किडनी डिसीज़ पर इलाज के व्यवस्थापन में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। क्रोनिक किडनी डिसीज़ के प्रबंधन में अभूतपूर्व प्रभाव दर्शाने वाला डॅपग्लीफ़्लोज़िन पहला एसजीएलटी2 इन्हीबिटर है।”  

एसएमएस मेडिकल कॉलेज और संलग्न हॉस्पिटल्स के सीनियर प्रोफेसर और नेफ्रोलॉजी के हेड डॉ. विनय मल्होत्रा ने बताया, “यह अनुमति मिलने से क्लिनीशियन्स को बेहतर क्लिनिकल परिणामों के लिए डीएपीएसीकेडी और डीईसीएलएआरई परीक्षणों की जानकारी का उपयोग करने में मदद मिलेगी। इसका मतलब है कि रोकथाम और नेफ्रोपैथी के उपचार दोनों संभव हैं। मैं सभी मरीज़ों, खास कर मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे उच्च जोखिम वाले मरीज़ों के लिए यूरिन एल्ब्यूमिन और ईजीएफआर करने की सलाह दूंगा। जल्द से जल्द निदान और शीघ्र प्रबंधन ही इसका इलाज है।

 क्रोनिक किडनी डिसीज़ (सीकेडी)

सीकेडी बहुत ही गंभीर और लगातार ज्यादा गंभीर होने वाली स्थिति है। इस बीमारी में किडनी ख़राब हो जाती है (कम से कम तीन महीनों तक ईजीएफआर कम आना या किडनी ख़राब हो रही यह दर्शाने वाले लक्षणों से पता चलता है) डायबिटीज, तनाव ग्लोमेरुलोनफ्रीटिस यह इस बीमारी के प्रमुख कारण हैं। मरीजों की स्थिति काफी ज्यादा बिगड़ना, ह्रदय बंद पड़ने जैसी ह्रदय की बीमारियां और अकाल मृत्यु सीकेडी के कारण हो सकते हैं। ईएसकेडी (एन्ड स्टेज किडनी डिसीज़) यह इसकी सबसे गंभीर स्टेज है जिसमें किडनी का काम बहुत ही धीमे चलता है और मरीज़ को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत पड़ सकती है। सीकेडी से बीमार कई मरीज़ ईएसकेडी तक पहुंचने से पहले सीकेडी के कारण अपनी जान गवा देते हैं।

एस्ट्राज़ेनेका

एस्ट्राज़ेनेका यह वैश्विक स्तर की विज्ञान से प्रेरित बायोफार्मास्युटिकल कंपनी है।  प्रमुख तौर पर ऑन्कोलॉजी, सीवीआरएम और रेस्पिरेटरी इन तीन थेरपी क्षेत्रों में प्रिस्क्रिप्शन दवाइओं की खोज, विकास और कमर्शियलाइजेशन पर इस कंपनी ने अपना ध्यान केंद्रित किया है।  दुनिया भर की 100 से ज्यादा देशों में कार्यरत इस कंपनी की आधुनिक दवाइयां दुनिया भर के करोड़ो लोग ले रहे हैं।

एस्ट्राज़ेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1979 में की गयी थी, पिछले 40 सालों से यह कंपनी भारत में मरीज़ों के लिए प्रतिबद्ध रहकर काम कर रही है। कंपनी का मुख्यालय कर्नाटक के बंगलोर में है और 1400 से ज्यादा कर्मचारी भारत में काम कर रहे हैं जो विकास और कमर्शियलाइजेशन में नवीनतम विज्ञान और वैश्विक उत्कृष्टता के जरिए मरीज़ों के लिए बेहतरीन लाभकारी दवाइयां बनाने में जुटे हुए हैं।

अधिक जानकारी के लिए कृपया astrazeneca.com/India पर संपर्क करें।

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