जैव ईंधन से कम होगा प्रदूषण

Editor-Ravi Mudgal 
जयपुर 09 फरवरी 2021 – महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा वृक्षमूल तैलीय पौधों की उत्पादन प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण 9 फरवरी, 2021 मंगलवार को संपन्न हुआ। इसमें राजीविका के 40 कृषि सखी एवं 10 प्रगतिशील कृषकांे ने भाग लिया। प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एस.एल.मून्दड़ा ने बताया कि देश में करीब 85 प्रतिशत पेट्रोलियम पदार्थ आयात किया जाता है जिस पर अरबों  रूपए खर्च होते हैं। राजस्थान में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले वृक्षपोषित तिलहनी फसलों के बीजों से प्राप्त तेल में आवश्यक रसायन मिलाने पर ईंधन तैयार हो जाता है। इस तरह से प्राप्त ईंधन से प्रदूषण के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी कम होता है।
बायोफ्यूल प्रभारी डाॅ. पी.सी.चपलोत ने इस अवसर पर कहा कि बायोफ्यूल भविष्य का ईंधन है। पौधों पर आधारित जैव ईंधन जैसे रतनजोत, करंज, नीम की बंजर भूमि पर अधिकतम ख्ेाती की जानी चाहिए, जिसे देश में खाडी देशों पर पेट्रोलियम के लिये निर्भरता कम हो जाए। इस अवसर पर क्षेत्रीय वन अधिकारी श्री आर.के.जैन ने बताया कि बंजर, अनउपजाऊ तथा खराब भूमि पर विभिन्न तेलजनित पौधों जैसे रतनजोत, करंज, महुआ आदि का रोपण कर कृषक अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हंै। इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने रतनजोत, करंज, महुआ आदि की उन्नत खेती के बारे में विस्तृत चर्चा की।

About Manish Mathur