गोवा में खनन कार्य फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का आग्रह

Editor-Manish Mathur 

जयपुर 04 फरवरी 2021  – गोवा में खनन कार्यों को फिर से शुरू करने के लिए लड़ाई लड़ने वाली प्रमुख संस्था गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) ने कहा है कि गोवा फाउंडेशन की गैर-जिम्मेदाराना कार्रवाइयों ने गोवा के खनन उद्योग को पूरी तरह से ठप कर दिया है। इसके कारण 3 लाख लोगों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है और राज्य की अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का लगा है। गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट ने गोवा में खनन कार्य को फिर से शुरू करने के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है और कहा है कि अगर जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण गोवा का लगातार चैथा खनन वर्ष व्यर्थ चला जाएगा।

दक्षिण गोवा में गोवा खनन आश्रितों की हालिया बैठक के दौरान जीएमपीएफ ने खनन गतिविधियों को फिर से शुरू करने में जानबूझकर बार-बार बाधा उत्पन्न करने के लिए गोवा फाउंडेशन की निंदा की। इसने गोवा फाउंडेशन को आगामी अदालती सुनवाई के दौरान गोवा खनन को फिर से शुरू करने पर जोर देने का आग्रह किया।

24 अगस्त 2020 को खान मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक परामर्श के लिए अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए 24 अगस्त के नोटिस ‘नोट आॅन प्रपोजल फाॅर माइनिंग रिफाॅम्र्स’ के जवाब में जीएमपीएफ ने केंद्र सरकार को गोवा दमन एंड दीव माइनिंग कंसेशंस (एबोलिशन एंड डिक्लेरेशन आॅफ माइनिंग लीजेज) एक्ट में संशोधन करने और इसे 1987 से लागू करने पर विचार करने का सुझाव दिया था। यह सुझाव गोवा राज्य के उन पत्रों के अनुरूप था, जो उसने 2018 से समय-समय पर केंद्र सरकार को लिखे हैं। इन पत्रों में उसने एबोलिशन एक्ट में आवश्यक विधायी कार्य/संशोधन करने के बारे में लिखा है, जिसके माध्यम से लीज की अवधि को 2037 तक बढ़ाने की संभावना उत्पन्न हो जाती है (यानी 50 वर्ष एमएमडीआर अधिनियम 2015 के तहत अनिवार्य है)।

बैठक को संबोधित करते हुए जीएमपीएफ के प्रेसीडेंट श्री पुति गोवांकर ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि खनन क्षेत्र के लिए आत्मनिर्भर भारत के सुधार पैकेज में केंद्र गोवा दमन और दीव एबोलिशन एक्ट में संशोधन पर विचार करेगा। हालाँकि हम यह भी समझते हैं कि यह उसका हिस्सा नहीं था। पिछले तीन वर्षों के दौरान गोवा के खनन उद्योग और खनन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका की उपेक्षा की गई है। हमें आश्चर्य है कि गोवा फाउंडेशन केवल राज्य में विकास परियोजनाओं के विरोध में ही सक्रिय क्यों है। क्या गोवा फाउंडेशन ऐसी बाहरी ताकतों के एजेंडे का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जो गोवा के लोगों को गरीब और असहाय देखना चाहती हैं?’’

धारबंदोरा तालुका ट्रक ओनर्स एसोसिएशन के बालाजी गाॅन्स ने कहा, ‘‘पंचायतों के प्रतिनिधि के रूप में, हम केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग करते हैं कि हमारे उस ज्ञापन पर तत्काल कार्रवाई की जाए, जिसमें हमने गोवा फाउंडेशन के वित्तीय लेनदेन और अन्य पहलुओं की जांच की मांग की है। हमें अंदेशा है कि इन सारी घटनाओं के पीछे कुछ मजबूत विदेशी ताकतें सक्रिय हैं, जो हमारे देश और राज्य को अस्थिर करना चाहती हैं।’’

पिछले तीन वर्षों में खनन आश्रितों ने भारत के माननीय राष्ट्रपति, माननीय प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय खनन मंत्री, और राज्य और केंद्र स्तर पर अधिकारियों से हस्तक्षेप और कार्रवाई की मांग करते हुए उन्हें विभिन्न अपील/अभ्यावेदन/ज्ञापन प्रस्तुत किए हैं। गोवा के लोगों की दुर्दशा को दर्शाने वाले इन ज्ञापनों को गोवा के मुख्यमंत्री, सभी दलों के सांसदों और केंद्र और राज्य के नौकरशाहों को भी सौंपा गया है।

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