ट्रांसेंडिंग जान्र (विशिष्ठ विधा): जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रसून जोशी और विद्या शाह का संवाद

Editor-Ravi Mudgal

जयपुर, 20 फरवरी2021 –  ‘धरती के सबसे बड़े लिटरेरी शो’ और ‘साहित्य के कुम्भ’ नाम से प्रसिद्ध जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2021 का शुभारम्भ कल कवि, गीतकार और केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के चेयरमैन प्रसून जोशी और संगीतकार व स्कोलर विद्या शाह के दिलचस्प संवाद से हुआ|

संगीत की इन दो महान हस्तियों ने ‘अक्रोस जान्र: क्लासिकल, फोक एंड पोपुलर म्यूजिक’ नामक सत्र में संगीत की विभिन्न विधाओं पर गंभीर चर्चा की| उन्होंने समाज में संगीत और कला की महत्ता पर बात की और बताया कि इस बदलती दुनिया में संगीत व कला के माध्यम से ही चित्त को स्थिर किया जा सकता है|

“कला को महत्ता प्रदान करने वाले इंसान की तरह ही, कला का खोजी व्यक्ति भी उतना ही महत्वपूर्ण है| कला संवाद से परे होती है| इन दिनों हम मैसेज के प्रति कुछ ज़्यादा ही आसक्त हो गए हैं| लेकिन शायद कोई सन्देश नहीं, बस उस पल के लिए खुद को भूल जाना ही आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है|” पुरस्कृत गीतकार ने कहा|

उन्होंने सिकुड़ते शब्दकोष के चलते एक गीतकार के संघर्ष और सीमाओं के बारे में भी बताया| “मैंने हाल ही में गुलज़ार साहब से कहा था कि आपकी पीढ़ी से मेरी पीढ़ी तक आते-आते खूबसूरत और सार्थक शब्दों का इस्तेमाल और कम हो गया है| अपनी बात व्यक्त करने के लिए अब मेरे पास कम शब्द हैं| उनके समय के दौरान उनके पास अभिव्यक्ति के लिए अधिक शब्द थे, क्योंकि लोग उन शब्दों का मतलब जानते थे|”

विद्या शाह ने भी जोशी के शब्दों से सहमति व्यक्त करते हुए संगीत सुनते समय अर्थ की महत्ता का समर्थन किया| उन्होंने कहा, “संगीत सुनते समय भावनाओं और संभावनाओं की विशालता आपको अपने में समां लेती है| अगर हम खुद को उसमें बह जाने दें, तो ये दुनिया ज़रा और खूबसूरत हो जाए|”

फोक म्यूजिक की बात करते हुए जोशी ने कहा कि ये संयुक्तता का भाव है| “कोई भी इस पर अपना एकल दावा नहीं कर सकता| लोक संगीत की चमक इसके संयुक्त रूप में है|” उन्होंने बताया कि लोक संगीत की ये बारीकी कई पीढ़ियों की देन है| हमारी बहुत सी परम्पराएँ इसी लोक संगीत के माध्यम से जीवित हैं, उन्होंने बताया कि कितने गाने ऐसे हैं जो भिन्न अवसरों और मूल्यों को जीवंत करते हैं|
ये संगीत द्वय साथ मिलकर कभी रचना को गुनगुनाने लगता तो कभी एक परम्परा की बात करते हुए, दूसरी शैली तक जा पहुँचता| उन्होंने हमारी संस्कृति की विशालता और उसमें भी बसी एकता की बात की और नई संभावनाओं की तरफ इशारा किया|
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2021 का मंचन इस विशेष वर्चुअल प्लेटफार्म पर 28 फरवरी तक होगा|

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