Editor-Manish Mathur
जयपुर 11 फरवरी 2021 – बायोफ्यूल प्राधिकरण, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर द्वारा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर को स्वीकृत परियोजना वृक्षमूल तैलीय पौधों की उत्पादन प्रौद्योगिकी के तहत दो दिवसीय (10 से 11 फरवरी, 2021) प्रशिक्षण प्रसार शिक्षा निदेशालय में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में राजीविका से झाडोल तहसील के ओगणा, कीतावतों का वास, रोहीमाला की 33 कृषि सखी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, वल्लभनगर के चयनित 20 कृषकों ने भाग लिया। प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. सम्पत लाल मून्दड़ा ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले बायोडीजल पौध की खेती को बढ़ावा देने के लिए जनसहभागिता पर जोर देते हुए बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों पर व्यय होने वाली विदेशी मुद्रा वृक्षमूल तैलीय पौधों की ख्ेाती को व्यवसायिक स्वरूप प्रदान कर कम किया जा सकता है। इस अवसर पर परियोजना के मुख्य अन्वेषक डाॅ. पी.सी.चपलोत ने रतनजोत, करंज, महुआ एवं नीम के औषधीय, जैविक, औद्योगिक एवं अन्य विशिष्ट गुणों, कृषि, अकृषि, चरागाह व खेती की मेड़ पर पौधारोपण, बुवाई दूरी, कटाई-छटाई एवं बीज एकत्रण की जानकारी दी तथा अधिक आय अर्जित करने के गुर सिखाऐ। डाॅ. विनोद यादव (राजस्थान राज्य खान एवं खनिज लिमिटेड, उदयपुर) ने तेल निस्सारण, बायोडीजल निर्माण एवं महत्व पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण में क्षेत्रीय वन अधिकारी श्री आर.के.जैन ने नर्सरी में पौध तैयार करने की तकनीक, डाॅ. आई.जे.माथुर ने सीमारूबा की उन्नत खेती एवं डाॅ. एस.एस.मीणा ने विभिन्न कृषि उपकरणों के महत्व की जानकारी दी।
पत्रिका जगत Positive Journalism