प्रज्ञता फाउंडेशन और विकी दिल्ली ह्यूमन राइट्स काउंसिल तरफ से ‘कुछ कहना है’ प्रोग्राम का किया गया आयोजन, पहुंचे दिग्गज

Editor-Roshan Jha 

जयपुर 23 मार्च 2021  – अंतरराष्ट्रीय हैप्पीनेस दिवस 20 मार्च को ध्यान में रखते हुए प्रज्ञता फ़ाउंडेशन ने विक्की डेली ह्यूमन राइट्स काउंसिल के साथ मिलकर दी ग्रैंड नई दिल्ली होटल एंड रेसिडेंसीज़ में “कुछ कहना है” प्रोग्राम का आयोजन किया। इस प्रोग्राम को दी ग्रैंड होटल और फ्रंटियर, वसंत कुंज द्वारा स्पॉन्सर किया गया। प्रोग्राम में मुख्य चीफ़ गैस्ट पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली गवर्मेंट से डॉक्टर योगानंद शास्त्री जी थे।प्रज्ञता फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती ममता यादव एंड विक्की दिल्ली ह्यूमन राइट्स काउंसिल की अध्यक्ष श्रीमती ओमिता उननारकर जैन के प्रयासों से मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी प्रश्नों के उत्तर पैनल द्वारा दर्शकों के मार्गदर्शन हेतु दिए गए। पैनल की प्रश्नोत्तरी डॉक्टर जयंती बनर्जी द्वारा एवं कार्यक्रम का संचालन श्रीमती पूनम शर्मा और हर्षित यादव द्वारा किया गया।

वही इस कार्यक्रम में कई दिग्गज नेताओं, डॉक्टर और महिलाओं और पुरुषों ने शिरकत की इसके अलावा इस कार्यक्रम में मानसिक बीमारी को लेकर और उस से कैसे बाहर निकला जा सकता है इस को लेकर विचार विमर्श किया गया

इस कार्यक्रम में एसडीएमसी की चेयर पर्सन डॉक्टर नंदिनी शर्मा के साथ एम्स के डॉक्टर और अन्य हॉस्पिटल्स के डॉक्टर्स और आयुष मंत्रालय की तरफ से भी लोग आए वही इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि किस तरह से लोगों को मेंटली तौर पर कमजोर नहीं होना चाहिए और उन्हें से लड़ना चाहिए और जो उनके अंदर है वह एक दूसरे को बताना चाहिए ताकि मन हल्का हो सके।

वहीं मीडिया से बात करते हुए योगानंद शास्त्री, डॉ नंदिनी शर्मा, और प्रज्ञता फाउंडेशन की अध्यक्ष ममता यादव ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि लोग आजकल मानसिक तौर पर काफी गंभीर हो चुके हैं और उनको इस से कैसे बाहर निकाला जा सकता है इसके लिए उन्हें डॉक्टरों या अन्य साथियों की मदद लेनी चाहिए क्योंकि आजकल हमारे समाज में इन सब का कारण सोशल मीडिया या व्हाट्सएप या फेसबुक है कि किस तरीके से आज हम लोग फोन में घुसे रहते हैं या लैपटॉप में घुसे रहते हैं अन्यथा ना किसी से मिलते हैं ना जुलते हैं ना कोई अपनी बातों को शेयर करते हैं सिर्फ हमारा दिमाग पूरे दिन मोबाइल फोन और लैपटॉप पर लगा रहता है इससे हमें बाहर निकलने की जरूरत है और हम चाहते हुए भी अपनी बातें किसी को नहीं बता पाते इसलिए हमें अगर किसी बात का डर या कोई कमी महसूस हो रही है तो हमें बेझिझक अपनी बात सामने रखनी चाहिए

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