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आईआईएफएल होम फाइनेंस ने किफायती हरित आवास के लिए देश की पहली हैंडबुक लॉन्च की

Editor-Rashmi Sharma

जयपुर 02 अप्रैल 2021  – भारत की अग्रणी होम लोन कंपनी आईआईएफएल होम फाइनेंस ने किफायती ग्रीन हाउसिंग के लिए देश की पहली हैंडबुक लॉन्च की है। इस हैंडबुक में उपभोक्ताओं, बिल्डरों और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों को हरित आवास के निर्माण के संबंध में एक निश्चित ढाँचे के बारे मंे जानकारी दी गई है।

इस हैंडबुक की परिकल्पना आईआईएफएल और प्रसिद्ध वास्तुकार श्री अशोक लाल ने की है। इसे  हाल ही में एक वर्चुअल समारोह में लाॅन्च किया गया, जिसमें उद्योग से जुड़े नियामक, कॉरपोरेट्स, फंड्स और सामाजिक रूप से जिम्मेदार हाउसिंग कम्युनिटी के अग्रणी लोग शामिल हुए।

हैंडबुक की लॉन्चिंग के अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर रेगुलेटर नेशनल हाउसिंग बैंक के एमडी श्री एस के होता ने कहा, ‘‘समय की जरूरत है कि रिहायशी हाउसिंग के लिए ग्रीन बिल्डिंग का ही निर्माण किया जाए और खासतौर से किफायती हाउसिंग सेगमेंट में हरित आवास को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह एक मिथक है कि ग्रीन हाउसिंग प्रीमियम सेक्टर के लिए है और किफायती आवास सेगमेंट के लिए व्यवहार्य नहीं है।’’

आईआईएफएल हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के चेयरमैन श्री एस श्रीधर ने कहा, ‘‘मुख्यधारा के आवासों में हमारा विजन टिकाऊ और वहनीय आवास बनाने से है और जब हम टिकाऊ आवास की बात करते हैं, तो हमारा मतलब देश में किफायती और हरित आवास से है।’’

भारत में अपने ग्रीन हाउसिंग के माध्यम से अग्रणी और इस पुस्तक की परिकल्पना करने वाले आईआईएफएल होम फाइनेंस के सीईओ श्री मोनू रात्रा ने कहा, ‘‘किताबें हमेशा के लिए रहती हैं और यह हैंडबुक भारत में स्थायी किफायती आवास की दिशा में हमारा योगदान है।’’

आईआईएफएल होम फाइनेंस देश में पहले से ही ‘कुटुम्ब’ के माध्यम से किफायती ग्रीन हाउसिंग के विचार का प्रचार-प्रसार कर रहा है और वित्त पोषण, तकनीकी जानकारी जैसे मुद्दों पर काम कर रहा है औरएक काॅमन प्लेटफाॅर्म का निर्माण कर रहा है, ताकि इनका समाधान तलाशा जा सके। लंबे समय में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने के इरादे से आईआईएफएल होम फाइनेंस ‘ग्रीन वैल्यू पार्टनर’ की अपनी अत्यधिक कुशल तकनीकी टीम के माध्यम से परियोजना की शुरुआत से लेकर डिलीवरी तक व्यापक समर्थन प्रदान करता है। एक अरब से अधिक आबादी की आवास जरूरतों को ध्यान में रखते हुए और सामाजिक प्रभाव को सुनिश्चित करते हुए जलवायु संकट को रोकने के लिहाज से हरित किफायती आवास ही एकमात्र तरीका है।

आईआईएफएल होम फाइनेंस के प्रयासों की सराहना करते हुए सुसान ओलसेन, सीनियर स्पेशलिस्ट, प्राइवेट सेक्टर फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस, साउथ एशिया – एडीबी ने कहा, ‘‘हमें  आईआईएफएल होम फाइनेंस लिमिटेड जैसी और अधिक कंपनियों को खोजने की आवश्यकता है जिनके पास ग्रीन अफोर्डेबल हाउसिग के निर्माण को लेकर एक खास किस्म का विजन है।’’

ग्रीन हाउसिंग – निवेश को आकर्षित करने और जलवायु कार्रवाई का समर्थन करने का माध्यम

वैश्विक स्तर पर जलवायु कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, दुनिया भर में वित्त संस्थान और फंड अपनी वित्तपोषण और निवेश रणनीति को नए सिरे से व्यवस्थित कर रहे हैं और उन व्यवसायों को अधिक आवंटन प्रदान कर रहे हैं जिन्होंने टिकाऊ और वहनीय एप्रोच को अपनाया है।

सीडीसी ग्रुप के एमडी और हैड आॅफ साउथ एशिया श्री एन श्रीनिवासन ने कहा, ‘‘अगर हम ग्रीन एजेंडा को नहीं अपनाएंगे, तो वैश्विक संस्थाएं हमारे देश में निवेश करने के लिए आगे नहीं आएंगी।’’

श्री एन श्रीनिवासन के विचारों से सहमत होते हुए आईआईएफएल ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन श्री निर्मल जैन ने कहा, ‘‘निजी क्षेत्र की ओर निवेश का प्रवाह हो सकता है, अगर यह सेक्टर देश में  हरित और सतत विकास सुनिश्चित करे। और आवास इसका एक प्रमुख हिस्सा है।’’

इस संदर्भ में आवास क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि निर्माण उद्योग गैर-नवीकरणीय संसाधनों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है। पूरा होने के बाद भी, अधिकांश इमारतें अत्यधिक मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करती रहती हैं। भारत में इमारतें पहले से ही देश की कुल बिजली खपत के 30 प्रतिशत से अधिक हिस्से की बिजली का उपयोग करती हैं और 2030 तक भारत में मौजूद दो तिहाई इमारतें बनना अभी बाकी हैं। जैसे-जैसे निर्माण कार्य बढ़ता जा रहा है, हमें इस दिशा में विचार करने के बारे में बहुत व्यापक अवसर मिल रहे हैं।

आईआईएफएल फाइनेंस के एमडी श्री आर वेंकटरमन ने कहा, ‘‘यही वजह है कि ग्रीन कंस्ट्रक्शन इतना महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर हम इसके फायदों की बात करें, तो यहां यह बताना उचित होगा कि ग्रीन कंस्ट्रक्शन वैश्विक तौर पर कार्बन उत्सर्जन को 2050 तक 84 गीगाटन कम करने की क्षमता रखता है।’’

क्लाइमेट बॉन्ड्स पहल के सीईओ श्री सीन किडनी ने कहा, ‘‘हमें ऐसे उपयुक्त लेबलिंग स्केल को विकसित करने, विस्तार करने, बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जो सस्टेनेबल डेवलपमेंट और रिवर्स क्लाइमेट चंेज को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखते हैं।’’

सामाजिक प्रभाव

भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए ग्रीन हाउसिंग का बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रभाव होगा। हमारे देश में भी इसका व्यापक प्रभाव होगा, क्योंकि हमारे यहां ‘सबके लिए आवास’ एक सामाजिक एजेंडा है। आईआईएफएल फाइनेंस का उद्देश्य सरकार, उद्योग निकायों, बहुपक्षीय एजेंसियों और प्रमाणन एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना है ताकि ‘सभी के लिए किफायती ग्रीन हाउसिंग’ को सुनिश्चित किया जा सके। यह हैंडबुक इसी एजेंडा को आगे ले जाने के लिए एक संसाधन की भूमिका निभाती है।

सुश्री सेजल पटेल, हैड, इंटरनेशनल आॅफिस, सीईपीटीयू यूनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘जैसा कि हम आगे बढ़ते हैं और हरित वित्तपोषण के बारे में बात करते हैं, हमारे लिए किफायती आवास की परिभाषा को समझना भी महत्वपूर्ण हो जाता है और ऐसा करते समय हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि देश में यह ईडब्ल्यूएस और एलआईजी सेगमेंट तक कैसे पहुंचे।’’

सुश्री नेहा कुमार, भारत प्रतिनिधि, जलवायु बाॅण्ड पहल ने जानकारी दी, ‘‘वित्त मंत्रालय ने भारत में हरित किफायती आवास विकास के लिए एक सस्टेनेबल फाइनेंस टास्क फोर्स बना रखी है।’

बड़े पैमाने पर ग्रीन हाउसिंग को अपनाना सुनिश्चित करने के लिए, सही प्रमाणीकरण की भी बहुत जरूरत है। कई कॉर्पोरेट्स, प्रमाणन एजेंसियां और उद्योग निकाय उसी दिशा में काम कर रहे हैं। इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी), और ग्रीन रेटिंग फाॅर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट (जीआरआईएचए) का उद्देश्य सभी के लिए एक स्थायी निर्मित वातावरण को सक्षम करना और 2025 तक भारत को सस्टेनेबल बिल्ट एनवायर्नमेंट के क्षेत्र में वैश्विक तौर पर अग्रणी देशों में से एक बनाना है।

आईजीबीसी के चेयरमैन श्री वी सुरेश ने कहा, ‘‘2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में योगदान करने के लिए हमें हरित आवास के पथ को चुनना ही होगा।’’

पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए लेखक और प्रसिद्ध वास्तुकार श्री अशोक बी लाल ने कहा, ‘‘यह काम अभी प्रगति पर हैै और इसने भारत में स्थायी किफायती आवास विकास की दिशा में एक सही शुरुआत कर दी है।’

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