कच्ची बस्तियों के अँधेरे को उजाले में बदल रहा है “स्माइल फॉर ऑल”

Editor- Ravi Mudgal

जयपुर 16 सितम्बर 2021  – जब हम कच्ची बस्ती के बच्चों को सड़क पर कचरा उठाते देखते हैं, लाल बत्ती पर भीख मांगते या खिलौने आदि बेचते हुए बच्चों को देखते हैं, तो हम में से अधिकांश उनका तिरस्कार करके भगा देते हैं। इस तरह की विसंगतियां हर जगह होती हैं। ऐसे बच्चों के लिए शिक्षा प्राप्त करना असंभव के समान होता है, ऐसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराना ही स्माइल फॉर ऑल सोसायटी की नींव का आधार है। एसफए की बुनियाद उस व्यक्ति ने रखी जो स्वयं शिक्षक है और एक शिक्षक से अधिक शिक्षा का महत्व कौन समझ सकता है? शिक्षा ही एक ऐसा स्त्रोत है जिससे समाज और देश का विकास किया जा सकता है। यह सब एक कहानी से शुरू होता है, कुछ ऐसा जो आपको अपने कम्फर्ट ज़ोन से परे सोचने के लिए प्रेरित करता है।

पारदर्शिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और हमारा हैप्पिनेस सबस्क्रिप्शन कार्यक्रम हमें अपने सपनों को साकार करने में मदद करेगा।

अगले 5 वर्षों में 10 मिलियन बच्चों का स्कूल में नामांकन कराना हमारा लक्ष्य है। पारदर्शिता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और हमारा हैप्पिनेस सबस्क्रिप्शन कार्यक्रम हमें अपने सपनों को साकार करने में मदद करेगा।” स्माइल फॉर ऑल के सह-संस्थापक एवं सीईओ श्री भूनेश शर्मा का यह कहना है।

हमें अभी एक लम्बा सफर तय करना है

हमने कुछ बच्चों की मदद की है, लेकिन इससे पहले मैं यह दावा करूँ कि स्माइल फॉर ऑल ने अब तक जो किया उससे मैं संन्तुष्ट हूँ, मुझे यह लगता है कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जिन बच्चों को फुटपाथ या फ्लायओवर पर सोते देखती हूँ, वे मुझे लगातार याद दिलाते रहते हैं कि हमें अभी एक लम्बा सफर तय करना है” स्माइल फॉर ऑल की सह-संस्थापक एवं सीओओ श्रीमति नेहा शर्मा का यह कहना है।

2016 में श्री भूनेश शर्मा जो कि स्वयं एक शिक्षक हैं, ट्रेफिक लाइट पर दो बच्चों को देखा जिनके हाथ में किताब व कॉपी थी और वह पैन्सिल खरीदने के लिए लोगों से पैसे मांग रहे थे। भूनेश शर्मा ने उन बच्चों को नज़दीक की दुकान से पैन्सिल आदि खरीद कर दिये। इस घटना से उनके अंतरमन में एक हलचल सी मच गई और ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ करने का विचार आया। शुरूआत उन्होंने अपनी पत्नि के साथ मिलकर कच्ची बस्ती के चार बच्चों को श्याम के समय में शिक्षा प्रदान करने से की। धीरे-धीरे बच्चे बढ़ते गये और इन बच्चों के लिए कुछ और अच्छा करने के लिए उन्होंने बैंक से लोन भी लिया और करीब 40 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया। परन्तु भूनेश लंबे समय तक ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ और अधिक करना चाहते थे। यहीं से उन्हें स्माइल फॉर ऑल संस्था की स्थापना का विचार आया और 2017 में उन्होंने इसकी स्थापना की तथा राजस्थान सहकारी अधिनियम 1958 (धारा 28, 1958) के तहत 2019 में संस्थान को पंजीकृत कराया। 2019 तक स्माइल फॉल ऑल द्वारा लगभग 100 ऐसे बच्चों का स्कूल में नामांकन कराया जा चुका था।

 

स्माइल फॉल ऑल बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने अपितु दाखिले से संबंधित प्रक्रिया जैसेः बच्चे का आधार कार्ड, जन्म व निवास प्रमाण पत्र बनवाना आदि सभी प्रकार से सहायता करती है। दाखिले के लिए स्कूलों से फीस पर बातचीत करना, उन्हें समाज की नीचली शुरूआत से बच्चों को स्वीकार करने के लिए मनाकर समझौता करना एसएफए की प्राथमिकता बन गई है। यहां केवल स्कूल फीस नहीं है, जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी आदि का खर्चा बच्चो के माता-पिता को वहन करना होता है। हालांकि जो माता-पिता वास्तव में यह खर्चा नहीं उठा सकते तो एसएफए यह जिम्मेदारी भी लेती है। माता-पिता को भी अपने बच्चों की शिक्षा का महत्व समझाकर तैयार किया जाता है।

 

स्माइल फॉल ऑल में श्री भूनेश शर्मा और नेहा शर्मा के इस मिशन में भारत और बांगलादेश के 4000 से अधिक स्वयंसेवक उनके साथ जुड़कर इस मिशन को सफल मनाने में उनका साथ दे रहे हैं और अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित कर रहे हैं। एसएफए स्वयंसेवक बनने के लिए ऑनलाइन फार्म के माध्यम से आवेदन स्वीकार किया जाता है, जिसके बाद उन्हें के कठोर साक्षात्कार प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाता है। स्माइल फॉल ऑल भूनेश शर्मा एवं नेहा शर्मा का अभिज्ञान है जो उन्हें, 4000 से अधिक स्वयंसेवकों और हैप्पिनेस सबस्क्राइबरर्स् को हर कदम आगे बढ़ाता है।

 

एसएफए टीम के मध्य एक गहन विचार-विमर्श ने एक शानदार सोच को जन्म दिया और उस सोच को “हैप्पिनेस सबस्क्रिप्शन”का नाम दिया गया, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति एक पिज्ज़ा की कीमत पर हर महिने एक बच्चे की शिक्षा को स्पॉन्सर कर सकता है। इसी सोच के साथ एसएफए के साथ आज 600 से अधिक सबस्क्राइबर्स् जुड़े हुए हैं तथा संस्था द्वारा बच्चे की शिक्षा संबंधित जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

 

यदि हम कमा रहे हैं और पिज्ज़ा खरीद सकते हैं, तो निश्चित रूप से हम उस पिज्ज़ा की कीमत में एक बच्चे की शिक्षा के लिए भुगतान भी कर सकते हैं। स्माइल फॉल ऑल इसे दुनिया के भविष्य में निवेश के रूप में देखता है क्योंकि हर शिक्षित बच्चा दुनिया के लिए एक खुली खिड़की है।

 

इतने बड़े विज़न के साथ एक एनजीओ की स्थापना करना बिना चुनौतियों के संभव नहीं है। कई माता-पिता अपने बच्चों को एनजीओ के माध्यम से नहीं भेजना चाहते हैं क्योंकि कई ऐसी संस्थाएं जो बच्चों की शिक्षा का वादा करके लुभाते हैं और फिर उनकी तस्करी कराते हैं या उन्हें फिर से भीख मांगने के लिए प्रेरित करते हैं। माता-पिता की चिन्ताएं स्वाभाविक हैं क्योंकि दुनिया विशेषकर कम भाग्यशाली लोगों के लिए बहुत डरावनी है।

 

भारत में लगभग 84 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं जो मई 2021 तक इसकी कुल आबादी का 6 प्रतिशत है। इसे कम करने का एक मात्र तरीका बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। स्माइल फॉर ऑल राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर साक्षरता बढ़ाने के लिए काम कर रही है।

 

अब तक देश भर में एसएफए के द्वारा लगभग 1000 बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया जा चुका है। संस्थान देश के राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्रा आदि लगभग 25 राज्यों के 250 शहरों (जयपुर, कोटा, चंडिगढ़, हिसार, पटना, प्रयागराज, कानपुर, बक्सर, भोजपुर, राँची, धनबाद, ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल आदि) में स्माइल स्वयंसेवकों (वोलिंटियर्स्) के माध्यम से काम कर रही है। वर्तमान में संस्थान देश के अलग-अलग शहरों में एक हज़ार से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान करा रही है।

 

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