सब भुल गये ह गुली डंडा
अब खेल इसी पे होता है
मिलने जुलने का समय नही
अब मेल इसी पे होता है
खो गयी चिट्ठि ओर खत
अब संदेश इसी से होता है
खो गयी यारो कि महफिल
अब ग्रुप चेट इसी पे होता है
समाचार पत्र का समय नही
सब अपडेट इसी पे होता है
मिलने जुलने का दौर गया अब
मामला सेट इसी पे होता है
काम नही होता अब दिन मे
क्योकि, सोने मे लेट इसी से होता है
सुरेश
पत्रिका जगत Positive Journalism