Jaipur Literature Festival के दूसरे दिन प्रसिद्ध वक्ताओं और विचारोत्तेजक सत्रों की धूम

Editor- Manish Mathur

जयपुर, 12 मार्च 2022 – आइकोनिक Jaipur Literature Festival के पहले दिन विविध विषयों से सम्बंधित सत्रों, वक्ताओं की भरमार रही| जेसीबी प्राइज फॉर लिटरेचर सीरिज पर आधारित एक सत्र में पत्रकार और संपादक लिंडसे पेरिअर; लेखिका रिजुला दास; लेखक व सिविल सर्वेंट शबीर अहमद मीर के साथ संवाद किया लेखिका करुणा एज़रा पारीख ने| सत्र के दौरान, पैनल में मौजूद वक्ताओं ने अपने पहले उपन्यास से जुड़े रोमांच को साझा किया|
दूसरे दिन की शानदार शुरुआत योग इंस्ट्रक्टर सुमित थाल्वल ने प्राणायाम से करवाई| सुमित ने प्राणायाम, अनुलोम-विलोम का महत्व बताते हुए, लॉन में उपस्थित श्रोताओं से श्वास सम्बन्धी कुछ आसनों के साथ ॐ का उच्चारण भी करवाया| प्राणायाम से मिली ऊर्जा और ताज़गी को और समृद्ध किया ‘प्रातः संगीत’ ने| शास्त्रीय गायिका आस्था गोस्वामी ने तबले और हार्मोनियम के संयोजन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया| सुबह की ये प्रस्तुतियां दुनिया के सबसे बड़े साहित्योत्सव के दूसरे दिन की शुरुआत के लिए एकदम उपयुक्त रहीं|
आज के आकर्षण:

• नेशनल अवार्ड से सम्मानित अभिनेता, मनोज वाजपेयी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 15वें संस्करण में आयोजित एक सत्र, ‘प्योर इविल: द बैड मैन ऑफ़ बॉलीवुड’ में हिस्सा लिया| सत्र का शीर्षक, बालाजी विट्ठल की किताब से लिया गया| बालाजी की अन्य किताब, आरडी बर्मन: द मैन, द म्यूजिक नेशनल अवार्ड से सम्मानित है| सत्र में लेखिका व पत्रकार, प्रज्ञा तिवारी ने बालाजी व मनोज से बात करते हुए हिंदी सिनेमा के खलनायकों पर विस्तार से बात की| बालाजी ने अपनी किताब में, हर दौर के सिनेमा में उभरे खलनायकों और उनकी परिस्थितियों पर एक भिन्न नजरिया श्रोताओं के सामने रखा| अपने निभाए लोकप्रिय किरदार की बात करते हुए मनोज ने बताया कि ‘सत्या’ का भीखू महात्रे कोई पारम्परिक खलनायक नहीं था| वो एक बहुत ही प्यारा इन्सान था, जो मजबूरियों की वजह से ऐसा था| भीखू ने फिल्मों में ‘ग्रे शेड’ को उभारा, जहाँ न तो नायक दूध का धुला था और न नायक कोई बहुत बुरा इन्सान| मनोज ने ‘अक्स’, ‘राजनीति’, ‘गैंगस्टर ऑफ़ वासेपुर’ जैसी उम्दा फिल्मों के माध्यम से अपने किरदार की गहराई और कई परतों पर बात की|

• मिडिल ईस्ट की जिओपॉलिटिक्स पर आधारित एक सत्र में, साइंस और तकनीक सलाहकार सईद अल सईद, सेवानिवृत राजनयिक नवदीप सूरी और भूतपूर्व आईएफएस तलमीज़ अहमद से लेखक नवतेज सरना ने चर्चा की| चर्चा के दौरान, सूरी ने ज़ोर दिया कि जो देश, राज्य और लोग अब यूएस की बातों में नहीं आते, उन्हें साइड कर दिया जाता है|

• एक अन्य सत्र में, ओड़िया लेखिका पारमिता सत्पथी से लेखन, उसकी प्रक्रिया, निजी सफ़र और प्रेरणा के बारे में लेखिका अनुकृति उपाध्याय और साकेत सुमन ने बात की|

• साहित्यिक उत्सव में आयोजित एक सत्र में, माननीय न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के सेवानिवृत जज, जस्टिस मदन बी. लोकुर; मेकर्स ऑफ़ मॉडर्न दलित हिस्ट्री के लेखक, गुरु प्रकाश पासवान और भारत के भूतपूर्व चुनाव आयुक्त, नवीन बी. चावला से संवाद किया अकादमिक विजय तनखा ने| चुनाव प्रक्रिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में चावला ने कहा, “अगर आप उन दूसरे उपनिवेशों और उनकी लोकतांत्रिक हालत को देखें, जिन्होंने हमारे साथ ही आज़ादी हासिल की थी, तो आप जान जायेंगे कि हमारे देश ने, आज़ादी के बाद से अब तक, अपने हर चुनाव को ठीक समय पर किया है|”

 

• एक रोमांचक सत्र के दौरान, लेखक रॉय फिनिक्स (कौशिक रॉय) ने कहा, “मुझे लगता है कि हंसने का साहस आपको अपने उस परिवेश से मिलता है, जहाँ आपने जन्म लिया| अगर आपका जन्म ऐसे परिवेश में हुआ है, जहाँ लोग कड़वी से कड़वी बात को हलके-फुल्के तरीके से कहने में माहिर हैं, तो आपमें भी वो हिम्मत और वो हास्य सहज ही आ जाता है|” रॉय के साथ सत्र में शामिल थे इकोनोमिक डिप्लोमेट सौम्या गुप्ता और लेखक, पत्रकार साकेत सुमन|

• भारत के भूतपूर्व विदेश सचिव, विजय गोखले; स्टेट फॉर यूरोपियन अफेयर्स के भूतपूर्व सचिव, ब्रूनो मकाएस; बांग्लादेशी पत्रकार, महफूज़ अनम और नेशनल व स्ट्रेटेजिक अफेयर्स की एडिटर ज्योति मल्होत्रा से पाकिस्तान में भारत के भूतपूर्व हाई कमिश्नर टीसीए राघवन ने संवाद में उभरते वर्ल्ड आर्डर और भविष्य के दृष्टिकोण पर बात की|

• एक दिलचस्प सत्र में, भारतीय पत्रकार उदय माहुरकर और उपन्यासकार व कवि मकरंद आर. परांजपे ने अपनी किताब, वीर सावरकर: लाइफ एंड लीगेसी के माध्यम से गाँधी, सावरकर और हिंदूत्व पर अपने विचार रखे| सत्र संचालन किया पत्रकार मंदिरा नायर ने|

• एक विचारोत्तेजक सत्र में, भिन्न पृष्ठभूमियों, भिन्न साहित्यिक संस्कृतियों और भिन्न भाषाओँ से आये लेखकों ने लेखन के सफ़र के अनुभव साझा किये| नाइजीरियाई लेखक, फिल्मकार व होस्ट ओन्येका नेव्लुए और तुर्की डिप्लोमेट व भारत में राजदूत, फिरत सुनेल ने अपना अनुभव द युवा एकता फाउंडेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी पुनीता रॉय से साझा किया|

• ‘धरती के सबसे बड़े साहित्यिक शो’ में आयोजित एक सत्र में नेपाली लेखक और कवि, बुद्धिसागर; भारतीय लेखक, शुडें काबिमो और हिंदी उपन्यासकार प्रभात रंजन ने भाग लिया| चर्चा का विषय था समकालीन नेपाली साहित्य| फेस्टिवल के बहुभाषा प्रेम से प्रभावित होकर प्रभात रंजन ने विविध भाषाओँ को मंच प्रदान करने के लिए जेएलएफ का आभार व्यक्त किया|

• बेस्टसेलिंग पौराणिक लेखक और स्क्रीनप्ले राइटर आनंद नीलकंठन ने अपनी नई किताब, वाल्मीकि’स वीमेन: फाइव टेल्स फ्रॉम रामायण पर चर्चा की| सत्र में आनंद का साथ दिया लेखिका और उद्यमी कोरल दासगुप्ता; लेखिका और इतिहासकार इरा मुखोटी; लेखिका और अकादमिक मालाश्री लाल ने| आनंद ने अपनी किताब में माँ, बहनों, पत्नी और प्रेमिका के रूप में आई महिलाओं के जटिल हालातों और मनोस्थिति पर गहराई से प्रकाश डाला है|

• अपनी बेबाक आत्मकथा “सच कहूं तो” में नीना गुप्ता, अपने बारे में बनाई गई पूर्वधारणाओं का बड़ी स्पष्टता से खंडन करती हैं। इस किताब में उन्होंने अपने निजी और व्यवसायिक जीवन की कई अनसुनी कहानियों को साझा किया है… लाइमलाइट के पीछे का सच, उतार चढ़ाव, दिल टूटना और उपलब्धियों का ज़िक्र किया| सत्र संचालन किया स्तंभकार व पत्रकार सीमा गोस्वामी ने| युवा लड़कियों को दिए सन्देश में, नीना ने कहा, “आज मैं कहूँगी कि मोडेस्टी बेस्ट पोलिसी नहीं है|” उन्होंने कहाँ कि अपने युवा दिनों में वो किसी से काम मांगने में झिझकती थीं, ये सही नहीं है| लड़कियों को अपने हक के लिए आवाज़ उठानी चाहिए|

• एक अन्य सत्र में, पत्रकार और लेखक, एस.विजय कुमार के साथ संवाद किया इतिहासकार और चर्चित किताब, लॉर्ड्स ऑफ़ द डेक्कन: साउथर्न इंडिया फ्रॉम द चालुक्य टू द चोलास के लेखक, अनिरुद्ध कनिसेटी ने| कुमार की किताब में ऐसी कई वास्तविक घटनाएँ हैं, जिनमें उन्होंने बताया है कि भारत के एंटीक्स को कैसे स्मगल करके, करोड़ों रुपयों में विदेशों में बेचा गया है| ये स्मगलिंग साम्राज्य के समय से शुरू हुई और आज तक भी जारी है|

• सत्र लव, लोंगिंग, लोस इन उर्दू पोएट्री में रेख्ता के संस्थापक संजीव सराफ और लेखक, राजनेता और डिप्लोमेट, पवन के. वर्मा ने चर्चा की| इन दोनों ने उर्दू शायरी में आये प्रेम की नजाकत और सराहना पर अपने विचार रखे| ‘रेख्ता’ उर्दू पोएट्री और साहित्य का सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन प्लेटफार्म है|

Jaipur Literature Festival के 15वें संस्करण में कैथरीन पंगोनिस की पहली किताब, क्वीन्स ऑफ़ जेरूसलम का लोकार्पण हुआ| पंगोनिस ने अपनी किताब पर लेखिका और इतिहासकार इरा मुखोटी से चर्चा की| सत्र की शुरुआत में इरा ने कैथरीन से उनकी किताब के भूगोल, धर्मयुद्ध, और जेरूसलम में महिलाओं की भूमिका पर सवाल किया| “पीढ़ियों से, दिखावे के तौर पर महिलाओं को अधिकार दिया गया, उन्हें राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया… लेकिन अब ये महिलाएं अब इस अधिकार को साकार कर रही हैं,” कैथरीन ने कहा|

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