एब्डॉमिनल कैंसर बीमारी का सही इलाज करने के लिए कैंसर का अर्ली स्टेज में डायग्नोसिस करना जरुरी है

Editor- Manish Mathur

डॉ. संदीप जैन

जयपुर, 20 मईः एब्डोमिनल कैंसर एक जानलेवा बीमारी है लेकिन इस बीमारी का पूर्ण इलाज संभव है समय पर इलाज और अर्ली डायग्नोसिस से। एब्डोमिनल कैंसर का जल्द पता लगाने और रोकथाम के महत्व पर जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता के लिए 2019 में यह महसूस हुआ कि एक दिन होना चाहिए जागरूकता फैलाने के लिए, इसलिए प्रतिवर्ष 19 मई को पूरे विश्व में इसे ’एब्डोमिनल कैंसर डे’ के रुप में मनाया जाता है। इस वर्ष मई महीने में जयपुर में विभिन्न जागरूकता गतिविधियों का आयोजन ’एब्डॉमिनल कैंसर ट्रस्ट’ और आईआईईएमआर के तत्वावधान में किया गया। ’एब्डॉमिनल कैंसर डे’ का चौथा संस्करण जयपुर में ’अवेयरनेस इज पावर’ थीम के साथ आयोजित हुआ। इस अवसर पर संस्थापक एब्डॉमिनल कैंसर ट्रस्ट, डॉ. संदीप जैन ने कहा कि एब्डॉमिनल कैंसर बीमारी का सही इलाज करने के लिए कैंसर का अर्ली स्टेज में डायग्नोसिस करना जरुरी है। पेशेंट कितना जीवित रहेगा, कीमो/रेडियोथेरेपी की आवश्यकता है, उपचार लागत क्या होगी, उपचार में कोई कॉम्प्लीकेशन्स तो नहीं और एब्डॉमिनल कैंसर वापस होने व फैलने के रिस्क़ के ओवरआल परिणाम पर निर्भर करता है।

निदेशक, आईआईईएमआर, मुकेश मिश्रा ने बताया कि इसी कड़ी में आज जयपुर में सरदार पटेल मार्ग स्थित होटल हॉलिडे इन में ’अवेयरनेस इज पावर’ पर एक टॉक शो का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में राजस्थान सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रमुख सचिव, वैभव गलरिया और मुख्य अतिथि पंडित सुरेश मिश्रा उपस्थित थे। कार्यक्रम के द्वारान 3 विषयों पर पैनल डिस्कशन हुएः 1- गॉलब्लैडर कैंसर, 2- कोलोरेक्टल कैंसर और 3-पैलियेटीव केयर फॉर कैंसर। पहली पैनल डिस्कशन के दौरान पैनलिस्ट- डॉ. श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि जीवन शैली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर पैदा करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं; डॉ. वीके कपूर ने कहा कि गॉलब्लैडर की पथरी को नजरअंदाज करना खतरनाक और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा हो सकता है; प्रो. वी.ए. सारस्वत ने कहा कि रोगियों द्वारा निर्धारित जांच न करवाने की आदत कुछ मामलों में घातक साबित हो सकती है; डॉ. संदीप जसूजा ने बताया कि एब्डोमिनल कैंसर के अर्ली स्टेज में डायग्नोसिस और प्रभावी उपचार से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है; दूसरे पैनल डिस्कशन में डॉ. संदीप निझावन ने कहा कि कोलोरेक्टल कैंसर एक चिंता का विषय है और स्क्रीनिंग कॉलोनोस्कोपी से मृत्यु दर में काफी कमी आ सकती है; डॉ. ललित मोहन शर्मा ने कहा कि कोलोरेक्टल कैंसर का प्रभावी उपचार रोग के स्टेजेस के आधार पर सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के उपयोग से संभव है। डॉ. शिवेंद्र सिंह ने कहा कि लीवर और पेरिटोनियल मेटास्टेसिस के एडवांस स्टेजेस में कोलोरेक्टल कैंसर के रोगियों को भी कीमोथेरेपी के कॉम्बिनेशन में एडवांस सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। सुषमा भटनागर ने तीसरे पैनल डिस्कशन में कहा कि पैलियेटीव केयर कैंसर केयर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और हम लोगों को कैंसर रोगियों को इसकी उपयोगिता के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है; डॉ. अखिल अग्रवाल ने बताया कि दर्द से राहत कैंसर देखभाल के पैलियेटीव केयर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है; डॉ. रीना शर्मा ने कहा कि भारत में कैनसपोर्ट जैसे कुछ संगठन हैं जो कैंसर रोगियों को पैलियेटीव केयर देने में शामिल हैं; डॉ. अंजुम जोद ने कहा कि सामान्य तौर पर लोग पैलियेटीव केयर के महत्व से अवगत नहीं हैं; डॉ. माला एरॉन ने कहा कि पैलियेटीव केयर केवल शारीरिक पहलुओं के बारे में नहीं है, इसमें कैंसर के भावनात्मक और सामाजिक पहलू भी शामिल हैं।

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