जीएसटी को लेकर बढ़ती अनिश्चितता के बीच गेमिंग उद्योग में हलचल

10 अगस्त 2022, भारत: 28 -29 जून को जीएसटी काउंसिल की हुई 47वीं बैठक की प्रगतियों के बाद, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए करारोपण दर को मौजूदा 18% से बढ़ाकर 28% करने की सिफारिश की गई थी। उसके बाद जुलाई में हुई बैठक में, यह निर्णय लिया गया कि जीओएम द्वारा जीएसटी काउंसिल को रिपोर्ट सौंपी जाएगी, जिसके बाद अगस्त में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पूर्वोक्त प्रस्ताव संबंधी निर्णय पर चाहे स्वीकृति हो या न हो, लेकिन यह ऑनलाइन स्किल गेमिंग इंडस्ट्री की व्यावसायिक व्यवहार्यता को प्रभावित करेगा। प्रस्ताव में इस सनराइज सेक्टर को प्रगतिशील कर व्यवस्था देने के महत्व को उजागर किया गया है ताकि इसके विकास में मदद मिल सके।

केंद्र सरकार ने एवीजीसी कार्यबल, अंतर-मंत्रालयी कार्यबल के गठन जैसे कई सकारात्मक कदम उठाना शुरू किया है ताकि एक नियामक नीति बनाई जा सके और क्षेत्र की विकास क्षमता और चिंताओं को समझने के लिए प्रमुख ऑनलाइन कौशल गेमिंग उद्योग से जुड़े खिलाड़ियों के साथ बैठकें की जा सकें।

हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, करारोपण के लिए जीओएम की हालिया सिफारिश इस इंडस्ट्री के लिए अव्यवहार्य थी। इस बारे में बताते हुए, कॉन्सेंट्रिक्स के वाइस प्रेसिडेंट – सॉल्यूशंस, कमलेंदु बाली ने कहा, “ऑनलाइन गेमिंग को जुआ, सट्टेबाजी, कैसीनो और लॉटरी, आदि के रूप में देखा जाना इस इंडस्ट्री की संभावना को नष्ट किये जाने का संकेत है। कर की दर बढ़ाने की अटकलें ताबूत में एक और कील है। इस क्षेत्र के लिए स्पष्टता की कमी, और ग्रे क्षेत्र में उनके अतिदेय स्वागत से यह क्षेत्र हैरान है।”

ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र जिस तरह से लगातार नकारात्मक जांच का दबाव झेल रहा है, यह उद्योग के हितधारकों के लिए चिंता का एक और विषय है। कौशल आधारित ऑनलाइन गेम की वैधता को कई उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (जी) वैध व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में कौशल-आधारित ऑनलाइन खेलों के लिए कानूनी मान्यता प्रदान करता है। लॉटरी, जुआ, सट्टेबाजी या दांव जैसे चांस वाले खेलों को ऐसी सुरक्षा प्राप्त नहीं है और उन्हें कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। संविधान का अनुच्छेद 14 यह भी कहता है कि असमानताओं के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाएगा।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने यह भी बताया है कि मूल्यांकन मात्रिक परिवर्तन के चलते उद्योग कैसे ढह सकता है। उनकी चिंताओं के अनुसार, प्रतिकर (कॉन्सिडरेशन) के पूरे मूल्य पर कर लगाने से प्लेयर्स की जीत राशि काफी घट जाएगी और कानूनी आधार पर खिलाड़ी की रुचि नहीं रहेगी। इससे, अपतटीय और अवैध प्लेटफार्मों को बढ़ावा मिलेगा जिनका सरकारी खजाने में योगदान शून्य होता है।

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग अगले 5 वर्षों में $3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए तैयार है और इसे निवेश के लिए बड़ा अवसर माना जाता है। सनराइज क्षेत्र ने राष्ट्रीय विकास में मदद करने और सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार ने पहले इस वृद्धि को स्वीकार कर चुकी है, और उन्होंने उद्योग को समर्थन दिया है, जिससे हितधारकों में अनुकूल करारोपण व्यवस्था को लेकर उम्मीद जगी है।

उद्योग विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत, अमेरिका और ब्रिटेन की वैश्विक मिसालों से यह समझ सकता है कि पूरे प्रतिकर (कॉन्सिडरेशन) मूल्य पर जीएसटी लगाकर ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को संभावित रूप से अपंग करने के बजाय संबंधित देशों द्वारा सबसे अच्छे क्या उपाय अपनाये गये।

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