501 महिलाओं की कलश यात्रा से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

जयपुर ,15 दिसंबर 2022: छोटी काशी में गुरुवार को श्रीमती गोविंदी देवी इंदरलाल डेरेवाला मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट व श्री गौ गौरी गोपाल सेवा संस्था समिति के तत्वावधान में होटल हवेली के प्रांगण में बनाए गए विशेष पांडाल में भव्य सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा से हुआ। बैंड-बाजों व लवाजमे के साथ सी-41, इंद्र विला, लाजपत मार्ग, सी-स्कीम से रवाना हुई। यात्रा में 501 महिलाएं माथे पर कलश और तुलसी का पौधा धारण किए चल रही थीं। मंगल कलश यात्रा में मुख्य यजमान जुगल किशोर डेरेवाला की धर्मपत्नी राजकुमारी डेरेवाला के नेतृत्व में हजारों की संख्या में श्रद्धालु बैंड-बाजे, ढोल-मंजीरे के साथ प्रभु भजनों की धुनों पर नाचते गाते चल रहे थे। कथा वाचक श्री वृंदावन धाम के परम पूज्य अनिरुधाचार्य जी महाराज रथ पर सवार होकर यात्रा में शामिल हुए और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया। विभिन्न मार्गों से होते हुए कलश यात्रा कथा आयोजन स्थल पहुंची। जहां पूजा-अर्चना के उपरांत कलश यात्रा संपन्न हुई। कथा आयोजन स्थल होटल हवेली में पहले दिन की कथा का शुभारंभ मुख्य आयोजक और ट्रस्टी जुगल किशोर डेरेवला, राजकुमारी डेरेवला, प्रमोद डेरेवला, रितेश डेरेवला व अन्य पदाधिकारियों ने भागवत ग्रंथ और व्यास पीठ की आरती करके किया गया।
इसके बाद कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने श्रोताओं को कहा कि भगवान के सच्चे भक्तों को उनके प्रेम में मीरा की तरह आंसू बहाना सीखना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिस तरह मीरा कृष्ण के अलावा किसी और को देखना पसंद नहीं करती थीं उसी तरह का आचरण हमें भी प्रभु के प्रति अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
कथा में प्रवचनों के दौरान भजन ” मीरा दीवानी हो गई रे.. मीरा मस्तानी हो गई रे ” पर श्रद्धालु महिलाओं ने आनंदित हो खूब नृत्य किया। भक्त प्रभु की भक्ति के रस में डूब गए।
आगे कथा में बताया गया कि भगवान तो एक ही है जो अनेकों रूपों में है जैसे जैसे पानी/भाप/बर्फ व ओस रूप में अलग-अलग होने पर भी एक ही होता है। महाराज ने कहा जिस तरह मीरा कृष्ण दीवानी होने पर भी भगवान राम को पूजती थी उसी तरह हमें भी भगवान श्रीमन नारायण के अलग-अलग रूपों के प्रति आस्था होनी चाहिए। आयोजक जुगल किशोर डेरेवाला ने बताया कि गुलाबी नगरी में यह आयोजन 15 से 21 दिसंबर तक चलेगा। यह भव्य धार्मिक उत्सव स्वयं को जानने और मन के सारे संतापों को दूर करने का एक सुअवसर है। भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के अंतर्गत दूसरे दिन शुक्रवार को भगवान के विराट स्वरूप वर्णन एवं श्री ध्रुव चरित्र की कथा श्रवण करने का श्रद्धालुओं को अवसर प्राप्त होगा।

 

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