जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2023 में सुनाई पड़ेंगी भिन्न भारतीय भाषाएं

जयपुर, 18 जनवरी। 19 से 23 जनवरी 2023 को आयोजित होने वाले जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भारतीय भाषाओँ पर प्रमुख फोकस के माध्यम से साहित्य, कला और संस्कृति की ताकत का जश्न मनाया जायेगा| फेस्टिवल के 16वें संस्करण में 21 भारतीय और 14 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओँ को प्रस्तुत किया जायेगा|

साहित्य के इस महाकुम्भ में एक विशेष सत्र में अलका सरावगी और उपन्यासकार, टोकरी में दिगंत के लिए साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित अनामिका हिस्सा लेंगी| इन प्रतिष्ठित और लोकप्रिय लेखिकाओं से संवाद करते हुए पत्रकार निष्ठा गौतम हिंदी साहित्य के गूढ़ अर्थ को समझने का प्रयास करेंगी|

एक अन्य सत्र में, संस्कृत के विद्वान और सर्वान्तेस इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर, ऑस्कर पुजोल, भारत में पोलैंड के एम्बेसडर, एडम बुराकोव्सकी और लेखक और भारतीय राजनयिक, अभय के साथ दिखाई देंगे, जहाँ यूरोप में हिंदी की लोकप्रियता पर चर्चा होगी|

फेस्टिवल में एक सत्र इंटरनेशनल बुकर प्राइज विजेता गीतांजलि श्री और उनकी अनुवादक डेजी रॉकवेल के नाम रहेगा| सत्र संचालन साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार विजेता तनुज सोलंकी करेंगे| सत्र का फोकस हिंदी के मूल उपन्यास ‘रेत समाधि’ पर रहेगा और उसके माध्यम से कहानी कहने की प्रयोगात्मक कला, विषयांतर और वृद्ध नायिका के नजरिये से विभाजन को समझा जायेगा|

हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओँ में चौथे स्थान पर है| प्रत्येक स्थान पर, स्थानीय शब्दों और लहजे ने हिंदी का एक नया ही रूप गढ़ लिया है| भाषा और अनुभव का ये विस्तार उन लेखकों के कार्य में नज़र आता है, जो हमेशा कुछ नया गढ़ने के लिए तैयार रहते हैं| साहित्य के इस महाकुम्भ में, उपन्यासकार अनामिका, इंटरनेशनल बुकर प्राइज विजेता गीतांजलि श्री, लेखक नंद भारद्वाज, और पुष्पेश पंत से ‘एक हिंदी अनेक हिंदी’ नामक सत्र में संवाद करेंगे जाने-माने कवि, संगीत और सिनेमा के विद्वान यतीन्द्र मिश्र|

बुक लॉन्च सेक्शन में, लेखिका, धरती के सबसे बड़े साहित्यिक उत्सव की को-डायरेक्टर और फाउंडर नमिता गोखले और अनुवादक पुष्पेश पंत और प्रभात रंजन से संवाद करेंगी प्रकाशक अदिति महेश्वरी गोयल| इस अवसर पर टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और फेस्टिवल के प्रोडूसर, संजॉय के. रॉय; प्रसिद्ध लेखक, इतिहासकार और फेस्टिवल के को-डायरेक्टर, विलियम डेलरिम्पल और वाणी प्रकाशन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और वाणी फाउंडेशन के चेयरमैन, अरुण महेश्वरी| लोकार्पण के बाद गोखले की दिलचस्प किताब ‘जयपुर जर्नल’ के मज़ेदार हिंदी अनुवाद ‘जयपुरनामा’ पर चर्चा की जाएगी| जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के बेकड्रॉप पर आधारित यह उपन्यास मानो श्रोताओं के दिल की बात बयां कर देता है|

लता मंगेशकर के सुरों के लम्बे सफ़र के कई अनजाने पहलुओं से परिचित कराती, जाने-माने कवि, संगीत और सिनेमा के विद्वान, यतीन्द्र मिश्र की किताब ‘लता: सुर गाथा’ का अंग्रेजी अनुवाद इरा पांडे ने किया है| फेस्टिवल के दौरान, एक सत्र में मिश्र से संवाद करेंगी अनुवादक और लेखिका अनु सिंह चौधरी|

फेस्टिवल के कुछ रोचक सत्र राजस्थानी और भोजपुरी को भी समर्पित रहेंगे| राजस्थान की समृद्ध वाचिक परम्परा को अब विस्तार से राजस्थानी और हिंदी में दर्ज किया जा रहा है| राजस्थान के विशाल साहित्य और संस्कृति पर आयोजित एक सत्र में लेखक चन्द्र प्रकाश देवल से संवाद करेंगे लेखक मालचंद तिवारी|

साहित्य के इस उत्सव में, कवि-राजनयिक अभय के. बिहारी साहित्य के विस्तार और श्रेष्ठता को अपने अनूठे संकलन के माध्यम से प्रस्तुत करेंगे| इस संकलन में उन्होंने प्रान्त की ग्यारह भाषाओँ के लेखन को संजोया है| सत्र में, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री, अकादमिक और उपन्यासकार अनामिका भी उपस्थित रहेंगी| अनामिका ने भी इस संकलन में योगदान दिया है| इन दोनों से संवाद करेंगे पुरस्कृत लेखक अक्षय मुकुल|

शब्दों की ताकत का जश्न मनाने वाले इस फेस्टिवल में, कई भारतीय भाषाएँ जैसे उर्दू, भोजपुरी और राजस्थानी शामिल रहेंगी| एक सत्र में, आइकोनिक शायर, गीतकार और पटकथाकार जावेद अख्तर और नामी अभिनेत्री और सामाजिक कार्यकर्त्ता, शबाना आज़मी से संवाद करेंगी पुरस्कृत अनुवादक, लेखिका और साहित्यिक इतिहासकार रक्षंदा जलील| सत्र में, शायर व गीतकार जां निसार अख्तर (जावेद अख्तर के पिता) की कविताओं के संकलन, धनक पर चर्चा होगी| इस संकलन की कविताओं का चयन आज़मी ने किया है और इसका उर्दू से अनुवाद किया है सुमंत्र घोशाल ने| कैफ़ी आज़मी (शबाना आज़मी के पिता) का काव्य संकलन, दायरा की कविताओं का चयन जावेद अख्तर ने किया है और उर्दू से इसका अनुवाद किया है मीर अली हुसैन ने| इन दो बेमिसाल किताबों में दोनों शायरों की चुनिन्दा 25-25 नज्में हैं| सत्र में, अख्तर इन दो किताबों, धनक (मतलब इन्द्रधनुष) और दायरा (मतलब घेरा) पर बात करते हुए उस दौर की कुछ सुहानी यादें साझा करेंगे| फेस्टिवल में एक अन्य सत्र में, खालिद जावेद की उल्लेखनीय किताब के बारां फ़ारूकी द्वारा किये गए अंग्रेजी अनुवाद द पैराडाइस ऑफ़ फ़ूड पर बात होगी| इस किताब को 2022 के जेसीबी प्राइज से भी सम्मानित किया गया था| इसमें एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार के पचास सालों के सफ़र को उनकी रसोई के माध्यम से दर्ज किया गया है| सत्र में बारां और खालिद से संवाद करेंगी ओइजो मीडिया की क्रिएटिव डायरेक्टर और इंडियन हिस्ट्री कलेक्टिव की को-फाउंडर, प्रज्ञा तिवारी

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