सर्वे से पता चलता है कि, ज़्यादातर भारतीय माता-पिता बच्चों की सेंसिटिव त्वचा के कारण होने वाली तकलीफों से बचाव के लिए निवारक उपाय करना चाहते हैं

मुंबई, भारत,19 जुलाई 2023: क्रॉस-कंट्री पैरेंटल अवेयरनेस ऑन अर्ली इन्टरवेंशन्स इन रिलेशन टू बेबी स्किनकेयर पर अध्ययन में सर्वे किए गए 80% से ज़्यादा माता-पिता बच्चों की त्वचा को रूखी, खुजलीदार, संवेदनशील (जो एटोपिक या एक्जिमा (atopic or eczema) प्रोन भी सकती है और नहीं भी) होने से बचाने के लिए निवारक इलाज करने के इच्छुक हैं। इन माता-पिता ने निवारक इलाज को अपनाने का प्रमुख कारण बच्चे की रक्षा करने में मदद बताया है। भारत में 57% माता-पिता ऐसे हैं जो बच्चे की त्वचा संवेदनशील होने का खतरा ज़्यादा होने की आशंका होने पर, लक्षणों के आने से पहले मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। मात्र 26% माता-पिता ऐसे हैं जो एक्ज़िमा (eczema) जैसे लक्षणों को आने से रोकने के लिए मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करेंगे या नहीं इसके बारे में आशंकित हैं।
कॉर्क विश्वविद्यालय में किए गए एक स्वतंत्र क्लिनिकल अध्ययन से पता चलता है कि एटोपिक (atopic) प्रोन त्वचा में शुरुआती इलाज के तरीकों से स्किन बैरियर को बचाने में मदद मिल सकती है, जिससे एटोपिक (atopic) डर्मेटाइटिस का खतरा कम हो सकता है।  इन तरीकों में बच्चे के डॉक्टर से बात करके प्लान ऑफ़ एक्शन तय करना, हर दिन एमोलिएंट्स (emollients) का इस्तेमाल और त्वचा की कोमल देखभाल के लिए रूटीन बनाना और उसका पालन करना शामिल हैं।
संवेदनशील त्वचा स्थितियों को समझने के लिए जल्द से जल्द जांच का महत्व
सिंगापुर में 25वीं वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ डर्मेटोलॉजी में साझा किए गए हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि जिन बच्चों के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को एलर्जी की तकलीफ रही है, उनकी त्वचा रूखी, खुजली वाली, संवेदनशील (जो एटोपिक या एक्ज़िमा (atopic or eczema) से संबंधित हो भी सकती है और नहीं भी) होने की संभावना के बारे में समझने के लिए स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है। केनव्यू की जॉनसन एंड जॉनसन कंज्यूमर आईएनसी.  सहायक कंपनी द्वारा समर्थित एक अध्ययन में जांच की गयी कि क्या त्वचा स्वास्थ्य के कुछ मार्कर जन्म से ही बच्चों में एटोपिक या एक्जिमा (atopic or eczema) प्रोन त्वचा होने के जोखिम का अनुमान लगा सकते हैं। अध्ययन में पाया गया कि त्वचा की सूजन के विशिष्ट मार्कर उन बच्चों में अधिक होते हैं जिन्हें बाद में एटोपिक (atopic) डर्मेटाइटिस होता है। स्वास्थ्य देखभाल में इस प्रगति से पता चलता है कि त्वचा स्वास्थ्य मार्करों को क्लिनिकल प्रैक्टिस में एक स्थान मिल सकता है जिसका उपयोग स्थिति के बढ़ने की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, इन मार्कर से यह भी बताया जा सकता है कि किन लोगों को  त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मॉइस्चराइज़र का उपयोग करने जैसे शुरुआती उपायों से लाभ मिल सकता है।
केनव्यू के आरएंडडी एपीएसी के हेड केशन गुणसिंघे ने बताया, “वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ डर्मेटोलॉजी में हमने जो हालिया अध्ययन प्रस्तुत किया है उससे हमें ऐसे बच्चों में स्किन सरफेस मार्कर्स को समझने में मदद मिलती है जिन्हें त्वचा सुखी, खुजली वाली, संवेदनशील होने का (जो एटोपिक या एक्ज़िमा (atopic or eczema) प्रोन त्वचा से संबंधित हो सकता है या नहीं भी) खतरा रहता है। बच्चों की त्वचा के स्वास्थ्य के लिए पेडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी समुदाय के करीबी सहयोग से मज़बूत सायंटिफिक सबूतों पर आधारित नए और भरोसेमंद समाधान हम लगातार प्रदान कर रहे हैं, जिसके लिए यह इनसाइट्स काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे।”
लक्षणों की शुरूआत में देरी करने के बारे में जागरूकता और की गई कार्रवाई के बीच अंतर
त्वचा में हाइड्रेशन को बनाए रखने और एपिडर्मल बैरियर (epidermal barrier)(त्वचा की सबसे बाहरी परत) के डिस्फंक्शन के कारण त्वचा में होने वाले पानी के नुकसान को कम करने के लिए, हर दिन एमोलिएंट (emollient) का उपयोग स्किन बैरियर की बिगड़ी हुई स्थिति को ठीक करने में मददगार हो सकता है।

एटोपिक (atopic) प्रोन त्वचा में एपिडर्मल बैरियर (epidermal barrier) के टूटने से पानी की कमी हो जाती है, जिससे ज़ेरोसिस (शुष्क त्वचा) हो सकता है।
स्थिति में गिरावट बच्चे के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य और रोज़ाना ज़िन्दगी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। सर्वे में केवल 4 में से 1 माता-पिता ने महसूस किया कि रूखी, खुजली वाली, संवेदनशील त्वचा की स्थिति (जो एटोपिक या एक्जिमा (atopic or eczema) प्रोन त्वचा से संबंधित हो भी सकती है और नहीं भी) ने बच्चे की नींद की गुणवत्ता को बिगाड़ दिया है, जबकि 50% से अधिक लोगों ने कहा कि इसकी वजह से बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है और करीबन 12% ने कहा कि इन तकलीफों की वजह से बच्चे का आत्मसम्मान कम होता है।
सर्वे से पता चला है कि त्वचा की संवेदनशीलता और इसके निवारक समाधानों के बारे में जागरूकता और लक्षणों की फ्रीक्वेंसी को उचित रूप से कम करने के लिए की गई कार्रवाई के बीच जानकारी का अंतर है। भारत में 45% माता-पिता को यह एहसास नहीं था कि कोई निवारक समाधान उपलब्ध थे, जबकि 69% से अधिक माता-पिता को यह पता नहीं था कि उन्हें निवारक समाधानों का उपयोग करने की आवश्यकता है।
वास्तव में, 55% से अधिक माता-पिता निवारक उपाय के महत्व और रोकथाम दृष्टिकोण से जुड़ी संभावित लागत के बारे में आशंकित हैं।

श्री गुणसिंघे ने कहा, “हम जानते हैं कि सभी माता-पिता अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा ही चाहते हैं और यह खुशी की बात है कि अधिकांश लोग निवारक तरीकों को आजमाएंगे, जिसमें पहले अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रोफेशनल से परामर्श करना भी शामिल है। बच्चे की त्वचा अगर एटोपिक या एक्ज़िमा (atopic or eczema)प्रोन है तो एमोलिएंट्स (emollients) का इस्तेमाल माता-पिता की प्रबंधन दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। 1% कोलाइडल ओटमील-आधारित (colloidal oatmeal-based) एमोलिएंट्स (emollients) त्वचा की नमी वाली परत को मजबूत करने में मदद करता है, त्वचा एलर्जी के प्रवेश को रोक सकता है और बाद में एलर्जेन सेंसिटाइजेशन को बढ़ावा देता है। .”

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