Editor-Ravi Mudgal
जयपुर 14 दिसंबर 2020 : हालांकि भारत सरकार ने सौभाग्य योजना के तहत 100% बिजलीकरण का लक्ष्य पूरा किया है, लेकिन फिर भी भारतीय राज्यों, खास कर बिहार और उत्तर प्रदेश में अभी भी लोगों को बिन भरोसे की बिजली आपूर्ति और अनिर्धारित बिजली कटौती का सामना अभी भी करना पड़ रहा है। कई लघु उद्योगों में आटा चक्की, तेल निकालने वाली मशीनों जैसी कई मशीनों को आज भी बिजली के नॉन-ग्रिड स्त्रोतों पर चलाया जाता है। इस कमी को दूर करने के लिए टाटा पावर की संपूर्ण मालिकी की उपकंपनी टीपी रिन्यूएबल माइक्रोग्रिड (टीपीआरएमजी) ने ऑफ-ग्रिड एसी माइक्रोग्रिड सस्ते दामों में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति कर रही है। टीपीआरएमजी ने 26 नवंबर 2020 को अपनी पहली वर्षगांठ पर उत्तर प्रदेश के रत्नापुर इस छोटे, दूरवर्ती गांव में अपने 100 वें सोलर माइक्रोग्रिड प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने की घोषणा की है।
30 किलोवाट क्षमता की इस माइक्रोग्रिड परियोजना में सोलर पैनल्स के जरिए सूरज की ऊर्जा से बिजली पैदा की जाती है। ऊर्जा स्टोरेज व्यवस्था के लिए माइक्रोग्रिड में बैटरी होती है। सहायक (बैक-अप) बिजली आपूर्ति के लिए माइक्रोग्रिड में ही एक डीजी-सेट बिठाया जाता है जिससे उपभोक्ताओं को हर दिन पूरे चौबीस घंटे बिजली मिलती रहती है।
रत्नापुर परियोजना के शुरू होने के साथ, टीपीआरएमजी की सोलर माइक्रोग्रिड परियोजनाओं की कुल संस्थापित क्षमता 3 मेगावाट तक बढ़ चुकी है। कोविड-19 के वजह से आयी कई चुनौतियों के बावजूद कंपनी ने मात्र 10 महीनों में अपने 100 वे माइक्रोग्रिड को शुरू करने में सफलता हासिल की है और अब अगले 4 महीनों से भी कम समय में अपने अगले 100 वे माइक्रोग्रिड को शुरू करने के लक्ष्य पर उन्होंने अपना ध्यान केंद्रित किया है। फ़िलहाल टीपीआरएमजी की करीबन 50 परियोजनाएं ऐसी हैं जहां परियोजना कार्यान्वयन के अलग-अलग चरणों पर काम किया जा रहा है।
टाटा पावर कंपनी लिमिटेड के सीईओ और एमडी श्री. प्रवीर सिन्हा ने कहा, “इस सफलता पर हमें बहुत गर्व हो रहा है। एक साल से भी कम समय में हमारा 100 वा माइक्रोग्रिड शुरू होना, यक़ीनन एक बहुत बड़ा पड़ाव पार करने जैसा है। साथ ही टीपीआरएमजी का पहला साल पूरा होने की ख़ुशी भी है। सोलर माइक्रोग्रिड्स जैसी ऑफ-ग्रिड सुविधाओं के साथ हम भारत की ग्रामीण जनता की अत्यावश्यक बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए शीघ्र और किफायती उपाय दे रहे हैं। यह परियोजना गांवों को भरोसेमंद बिजली आपूर्ति देने के साथ ही वहां के लोगों के रोज़गार में सुधार लाएगी और पूरे समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगी।”
डीज़ल पर चलने वाले सिंचाई पंपों की जगह सोलर माइक्रोग्रिड की मदद से बिजली पर चलने वाले मोटर और पंप बिठाए जाने पर कंपनी विशेष ध्यान दे रही है। साथ ही आटा चक्की, तेल निकालने वाली मशीन्स, धान से भूसी उतारने की मशीन्स आदि डीज़ल पर चलने वाली मशीन्स की जगह भी बिजली पर चलने वाली मशीन्स ले सकती है।
पत्रिका जगत Positive Journalism