वास्तविकता एवम अपेक्षाओं की दूरी आत्मनिर्भरता में बाधक: डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़

Editor-Manish Mathur 

जयपुर 9 मार्च 2021 ये विचार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ ने  विश्वविद्यालय की  संघटक ईकाई सामुदायिक एवम व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय, अनुसंधान निदेशालय तथा महिलाओं के भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, (WICCI) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (SME)के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित आई .डी.पी .-नाहेप द्वारा प्रायोजित ‘‘मोबिलीज़िंग यूथ फॉर सेल्फ रिलायंस” (आत्मनिर्भरता हेतु युवाओं  की लामबंदी विषयक)

एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये.आपने  प्रेरणा, आकर्षण, प्रतिधारण को उद्यम के लिए अनिवार्य बताते हुए कहा की वर्तमान में हमारे देश के कुल 40 प्रतिशत युवा “यूथ इनक्विटी”की श्रेणी में आते हैं अर्थात ना तो शिक्षा ना ही रोज़गार की दृष्टि से स्वावलम्बी हैं.इनको आगे लाकर आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से ये वेबिनार नितांत प्रासंगिक है.आपने युवाओं को अपनी क्षमताओं को निष्पक्ष अवलोकन करते हुए भावी रोज़गार के लिए स्वम को तैयार करने का आह्वाहन किया.प्रतीभीगियों का स्वागत करते हुए कार्यकारी अधिष्ठाता डॉ.नीता लोढ़ा ने कहाँ की जिस हिसाब से देश में बेरोज़गारी की समस्या है,उसके मद्देनज़र जहां तक हो सके सभी युवाओं को स्वरोज़गार के लिए तैयार करना हम सबकी महती ज़िम्मेदारी है .डॉ.रेखा व्यास ,जोनल डायरेक्टर रिसर्च ने वेबिनार की परिचयात्मक टिपण्णी प्रस्तुत करते हुए MSME – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 के साथ भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया, माल और वस्तुओं के उत्पादन, उत्पादन, प्रसंस्करण या संरक्षण में लगी हुई संस्थाएं हैं।MSME क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है जिसने राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह रोजगार के अवसर पैदा करता है और पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में काम करता है। सरकार की वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 के अनुसार, वर्तमान में भारत में 6,08,41,245 MSMEs हैं। आपकी समझ के लिए, MSME की कुछ आधारभूत बातों पर चर्चा करें, जिसमें भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके वर्गीकरण, सुविधाएँ, भूमिका और महत्व शामिल हैं। डॉ। अजय शर्मा, डीन, सीटीएई एवम नोडल अफसर आई .डी.पी .-नाहेप ने विश्वास जताया की प्रस्तावित वेबिनार को प्रतिभागियों के क्षितिज को व्यापक बनाने में बहुत मदद मिलेगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए एसएमई और एमएसएमई की आवश्यकता और महत्व के साथ-साथ कृषि में संभावनाओं के संबंध में प्रतिभागियों के क्षितिज को व्यापक बनाने में मदद मिलेगी।               वेबिनार की प्रथम वक्ता डॉ.मंजीत बंसल राज्य अध्यक्ष, राजस्थान एसएमई और एमएसएमई परिषद        डायनामिक ग्रुप ऑफ सिक्योरिटी सर्विसेज, उदयपुर के सी.ई.ओ., ने महिलाओं के भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री विक्की(WICCI )की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इसकी भूमिका और महत्ता पर चर्चा की.आपने कहा की महिलाओं के लिए एक नेशनल बिजनेस चैंबर सरकार, संस्थानों, वैश्विक व्यापार और नेटवर्क के साथ अधिक से अधिक जुड़ाव के माध्यम से महिलाओं की उद्यमशीलता और व्यवसायों को बढ़ावा देता है। आपने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की120+ देशों में 250,000+ सदस्यों की सामूहिक शक्ति के साथ, हमारे विभिन्न प्रयासों और महिला सशक्तिकरण के लिए मुफ्त प्लेटफार्मों पर एक परिप्रेक्ष्य साझा करने के लिए एक आंदोलन है। महिला आर्थिक मंच (WEF) दुनिया भर की महिलाओं के लिए सीमाओं से परे व्यापार के लिए बोलने, साझा करने, जुड़ने और सहयोग करने के लिए एक वैश्विक सम्मेलन मंच है; दुनिया भर में महिलाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं दोनों के लिए हमारा ई-कॉमर्स और व्यापार मंच है; और WICCI हमारा उद्योग और व्यापार कक्ष है, जो महिलाओं और महिलाओं के उद्यमों और व्यवसायों के समर्थन में स्थानीय और वैश्विक पारिस्थितिक तंत्रों को सशक्त बनाने की दिशा में, सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार, अन्य कक्षों, कॉरपोरेट्स, विश्वविद्यालयों और विविध हितधारकों के साथ मिलकर काम करता है।               दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता श्री विपुल जानी,महाप्रबंधक, जिला औद्योगिक केंद्र, उदयपुर  और भीलवाड़ा ने जिला उद्योग केंद्र के क्रियाकलापों का विस्तृ ब्यौरा देते हुए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई  जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया जिनमें मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना ,प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना एवम राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना प्रमुख रहीं.आपने नवाचारों को प्राथमिकता बताते हुए स्व उद्योग के प्रारम्भ से लेकर मार्केटिंग तक की जानकारी दी.        तीसरे सत्र की वक्ता  डॉ.ममता तिवारी,कृषि विश्वद्यालय कोटा ने अपने विगत 35 साल के अनुभवों को चरणबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया .आपने कहा की आत्मनिर्भर भारत का मतलब सम्पूर्ण भारत को स्वयं के पैरों पर खड़ा होना बताया.उद्यमिता के नियोजन,क्रियान्वयन और मूल्यांकन सहित सभी पक्षों का समानुपातिक चित्रण करते हुए इसमें आनेवाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला .हौसलों को सफलता का मूल मन्त्र बताते हुए आपने एग्रीबिजनेस के क्षेत्र में किये जा सकने वाले उद्यमों की एक लम्बी फेहरिस्त बताई .प्रतिभागियों को स्वाम के प्रयासों से आत्मनिर्भर हुई लगभग 125  महिलाओं के बारे में बताते हुए उनसे रूबरू होने की आशा जताई.               समापन टिप्पणी प्रस्तुत करते हर निदेशक ,अनुसंधान डॉ.शान्ति कुमार शर्मा जी ने वक्ताओं द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण को प्रतिभागियों के लिए भविष्य में आत्मनिर्भर होने की दिशा के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए,कृषि क्षेत्र में इसकी अपार संभावनाएं बताई .आयोजन सचिव डॉ.गायत्री तिवारी विभागाध्यक्ष ,मानव विकास एवम पारिवारिक अध्ययन विभाग तथा संचालनकर्ता  ने बताया की वेबिनार के  मुख्य उद्देश्य वर्तमान स्थिति, जरूरतों और आत्मनिर्भर बनने के महत्व को समझना,युवाओं में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में एसएमई और एमएसएमई की भूमिका के बारे में अंतर्दृष्टि विकसित करना,और स्टार्ट अप और एग्रीबिजनेस के लिए प्रतिभागियों को आगे बढ़ने के लिए लैस करना है.

सह-आयोजन सचिव डॉ। सुधा बाबेल, विभागाध्यक्ष ,वस्त्र एवम अभिकल्पन विभाग और डॉ.हेमू राठौड़,वरिष्ठ वैज्ञानिक ने वक्ताओं का परिचय दिया . समन्वयक डॉ.स्नेहा जैन और सुश्री विशाखा त्यागी ने तकनीकी जानकारी देते हुए बताया की ऑनलाइन हुए इस वेबिनार में कुल 288 प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया.समापन डॉ.गायत्री तिवारी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ.वेबिनार के संचालन में विधिवाचस्पति छात्र,श्री पियूष चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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